Hathras stamped: कौन हैं भोले बाबा जिनके सत्संग में भगदड़ से 100 से ज्यादा लोगों की गई जान

राजस्थान तक

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तस्वीर: राजस्थान तक.
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यूपी के हाथरस (hathras accident news) के रतिभानपुर (hathras ratibhanpur satsang accident news) गांव में भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ से 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है. मरने वालों की संख्या में इजाफा हो सकता है. हादसे का दृश्य देखकर यूपी पुलिस के एक कर्मी की हार्ट अटैक से भी मौत हो गई है. मंगलवार को हुए इस हादसे में भारी संख्या में यूपी और उसके आसपास के राज्यों से भीड़ उमड़ी थी. इस सत्संग में राजस्थान से भी लोग भाग लेने आए थे. 

हाथरस के डीएम आशीष कुमार के मुताबिक 107 लोगों की मौत हो चुकी है. हादसे की रूह कपां देने वाला दृश्य ये बता रहा है कि मौतों की संख्या में अभी और इजाफा हो सकता है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये कौन हैं भोले बाबा जिनके सत्संग में हजारों की संख्या में लोग दूर-दूर से आ रहे हैं. लोगों की भारी भीड़ वाले इस सत्संग के लिए प्रशासन से परमिशन ली गई थी. ऐसी भीड़ को मैनेज करने के लिए आयोजक और प्रशासन के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं थे?

कौन हैं हाथरस सत्संग वाले भोले बाबा?

भोले बाबा ऊर्फ नारायण साकार शिव हरि नाम के संत की प्रसिद्धि केवल पश्चिमी यूपी में ही नहीं बल्कि उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली में भी है. इनका सत्संग हर अलीगढ़ और हाथरस जिलों में हर मंगलवार को आयोजित किया जाता है. इन सत्संगों में भारी भीड़ उमड़ती है. यहां खाने-पीने और कार्यक्रम का इंतजाम बाबा से जुड़े स्वयंसेवक और स्वयंसेविकाएं करती हैं. 

कैसे हुआ हादसा

डीएम आशीष कुमार ने बताया कि कार्यक्रम के लिए एसडीएम ने परमिशन दी थी. कार्यक्रम में हजारो लोगों की भीड़ जुटी थी. प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि सत्संग खत्म होते ही बाबा का पैर छूने के लिए भीड़ आगे बढ़ गई. इससे भगदड़ मच गई. कार्यक्रम स्थल के पास नाला भी था. उससे बचने के चक्कर में भी भीड़ पीछे की तरफ बढ़ी और पीछे से भीड़ आगे की तरफ बढ़ी. ऐसे में काफी लोग एक दूसरे से दब और और वहीं काफी लोग नाले में भी गिर गए. लोग घंटों दबे रहे और हादसे में 100 से ज्यादा लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. 

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अस्पतालों में घायलों और शवों का लगा तांता

अस्पतालों में अचानक घायलों और मृतकों का तांता लग गया. एक तरफ डॉक्टर मरने वालों को मृत घोषित कर रहे थे वहीं लोगों की चीख-पुकार और गुस्से के बीच घायलों की इलाज करने की कोशिश करते रहे. कईयों को दूसरे अस्पतालों के लिए रेफर किया गया. हर तरफ कंधे पर अपनों को लेकर भागते हुए, शवों के साथ विलाप करते हुए नजारे रूह कपां देने वाले थे.

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