'नया हूं पर नया मत समझना, अच्छे-अच्छों की बैंड बजा दूंगा...' कुछ इस अंदाज में गरजे रविंद्र भाटी!

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विधानसभा का बजट सत्र इस बार काफी हंगामेदार नजर आ रहा है. इसी गहमागहमी के बीच सत्ताधारी दल बीजेपी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सदस्यों के बीच तीखी बहस भी देखने को मिल रही है. वहीं, शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी भी अपने तेवर दिखा रहे हैं. भाटी ने राजस्थान के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं सहकारिता के वार्षिक प्रतिवेदन पर बात करते हुए खाद्य आपूर्ति और उसकी गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि जब भी खाद्य आपूर्ति के बारे में पढ़ते है तो उनके हाथों के रोंगटे खड़े हो जाते है. क्योंकि इसमें जिन लोगों के बारे में हमारे उन भाइयों के बारे में बात होती है जो आर्थिक रूप से कमजोर है, जो बीपीएल परिवार है, जिनके पास खाने के लिए पर्याप्त खाना नहीं है. राशन की नई दुकानों की बहुत ज्यादा आवश्यकता है.

भाटी ने कहा कि सरकार को संवेदनशीलता से विचार करने की जरूरत है. क्योंकि आज भी ऐसे कई लोग है जिनका नाम अब भी बीपीएल के अंदर रजिस्टर्ड नहीं है, ऐसे जो आखरी पंक्ति के व्यक्ति है उनके नाम इस लिस्ट में कैसे जोड़े. ताकि उनके परिवार तक पर्याप्त मात्रा में राशन पहुंच सके. इस बारे में सोचा जाना चाहिए. 

 

 

निर्दलीय विधायक ने कहा कि राशन दुकान मालिको की मानदेय को लेकर भी बात की जानी चाहिए. कई ऐसी समस्याएं हैं. जितना भी खाद्य का समान है, वो अगर उपभोक्ताओं को शुद्ध मिलेगा तो ऐसे में यह वंचित लोग स्वस्थ रहेंगे. 

विभाग की मॉनिटरिंग का बनाया जाए सिस्टम

भाटी ने सदन में सहकारिता मामलों पर बोलते हुए सदन में कहा कि वह इस सदन में नए है और उनके लिए यह विभाग भी बिल्कुल नया है. सहकारिता के मामले में वह बहुत ज़्यादा कुछ नहीं जानते है और दुख की बात है कि सिर्फ़ वह ही नहीं, बल्कि बाकि जनता भी इसके बारे में ज़्यादा जानती नहीं है. इस दौरान उन्होंने सहकारिता विभाग में कार्यरत निरीक्षकों की पदोन्नति पर चर्चा करते हुए सुझाव भी दिए. साथ ही का कि इस विभाग की एक प्रॉपर मॉनिटरिंग का सिस्टम बनाया जाए.

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