Barmer: पाकिस्तान की 250 बकरियां BSF के गले पड़ गईं, भारतीय सीमा में घुसकर बनीं आफत?
पाकिस्तान की सीमा से भारत में घुसी बकरियों बीएसएफ 48 दिनों से पाल रहा है. इधर फ्लैग मीटिंग में पाकिस्तान ने बकरियों को लेने से इनकार कर दिया. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की ओर से जब तक बकरियों को लेने का दावा नहीं किया जाएगा तब तक वे भारत में ही रहेंगी.
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न्यूज़ हाइलाइट्स
तारबंदी कटने से पाकिस्तान की करीब 250 बकियां भारत में घुस आईं.
फ्लैग मीटिंग में पाकिस्तान ने बकरियों को लेने से इनकार कर दिया है.
अब ये बकरियां बीएसएफ के कब्जे में हैं और इनकी देखभाल करनी पड़ रही है.
राजस्थान (rajasthan news) से सटे पाकिस्तानी सीमा (Pak boarder) पर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के लिए करीब 250 बकरियां आफत बन गई हैं. ये बकरियां भारत की नहीं बल्कि पाकिस्तान की हैं. इधर फ्लैग मीटिंग में पाकिस्तान ने अपनी बकरियों को लेने से इनकार कर दिया है. पिछले डेढ़ महीने से सीमा सुरक्षा बल के सैनिकों को इन बकरियों की देखभाल करनी पड़ रही है.
मामला बाड़मेर (barmer news) जिले से लगती भारत-पाक सीमा पर सरूपे का ताला बीएसएफ चौकी का है. यहां दो रेतीले टीलों के बीच सीमा की सिंगल तारबंदी को 20 से 25 फीट तक काट दी गई. इधर सूचना मिले पर बीएसएफ ने तारबंदी कटी सीमा पर पेट्रोलिंग बढ़ा दी. बताया जा रहा है कि 16 जुलाई (गुरुवार) को तारबंदी कटने के बाद पाक सीमा से करीब 250 बकरियां भारतीय सीमा में प्रवेश कर गईं. इन बकरियों को मौके पर मौजूद बीएसएफ के जवानों ने कब्जे में ले लिया.
48 दिन से BSF कर रही बकरियों की निगरानी
पाकिस्तान की सीमा से भारत में घुसी बकरियों बीएसएफ 48 दिनों से पाल रहा है. इधर फ्लैग मीटिंग में पाकिस्तान ने बकरियों को लेने से इनकार कर दिया. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की ओर से जब तक बकरियों को लेने का दावा नहीं किया जाएगा तब तक वे भारत में ही रहेंगी.
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बकरियों के देखभाल के लिए 6 जवान नियुक्त
बकरियों की देखभाल के लिए 6 जवानों की नियुक्ति की गई है. ये बकियों के खाने-पीने की व्यवस्था देख रहे हैं. जवान बकरियों की देखभाल के लिए स्थानीय ग्रामीणों की भी मदद ने रहे हैं. बॉर्डर इलाके में इस साल अच्छी बारिश हुई है. इससे बकियों को खाने-पीने की कमी नहीं है.
नियमों से फेरबदल से बढ़ी परेशानी
भारत सरकार ने वस्तुओं और पशुधन के लिए कस्टम एक्ट में बदलाव कर दिया है. नए नियमों के तहत सीमा पार से आए पशुओं का स्थानीय स्तर पर ही निस्तारण हो सकेगा. ऐसे में कस्टम विभाग ने भी बकरियों को लेने से इनकार कर दिया है. नए नियमों के तहत पशुधन को किसी एनजीओ को देने का प्रावधान है, लेकिन बाड़मेर जिले में इस तरह का कोई एनजीओ नहीं होने के कारण बीएसएफ को ही इन बकरियों की मजबूरन देखभाल करनी पड़ रही है.
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स्थानीय स्तर पर हो सकती है नीलामी
बताया जा रहा है कि बाड़मेर में किसी एनजीओ के नहीं होने पर अब बकरियों की स्थानीय स्तर पर नीलामी की जाएगी. नीलामी में यदि कोई खरीददार मिल जाता है तो ठीक है नहीं तो बीएसएफ को ही बकरियों की देखभाल करनी पड़ेगी.
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बीएसएफ ने कलेक्टर को लिखा पत्र
इस मामले में बीएसएफ ने बाड़मेर के जिला कलक्टर को पत्र लिखा है. वहीं ग्रामीणों से भी बकरियों की देखभाल के लिए सहयोग मांगा है. जिला कलक्टर निशांत जैन ने बताया कि फ्लैग मीटिंग में पाक ने बकरियां लेने से मना कर दिया है. किसी तरह की चरवाहे की जानकारी भी नहीं दी है. तारबंदी कैसे कटी यह भी अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है.
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