Rajasthan में महंगाई पड़ोसी राज्यों से ज्यादा, 65 फीसदी लोगों की घटेगी आय!

Nitesh Tiwari

13 Sep 2023 (अपडेटेड: Sep 13 2023 2:21 PM)

Inflation rising in rajasthan: राजस्थान (rajasthan assembly election 2023) में चुनाव है, लेकिन जनता में तनाव है. वो तनाव महंगाई की वजह से है. राजस्थान सरकार महंगाई (inflation in rajasthan) रोकने के लिए बड़े बड़े कदम उठा रही है, योजनाएं लाई है, सभी शहरों और गांवों में महंगाई राहत के कैंप भी लगाए जा रहे […]

Inflation rising in rajasthan:राजस्थान में महंगाई राहत कैंप फिर भी महंगाई डायन खाए जात है! जानें वजह (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

Inflation rising in rajasthan:राजस्थान में महंगाई राहत कैंप फिर भी महंगाई डायन खाए जात है! जानें वजह (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

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Inflation rising in rajasthan: राजस्थान (rajasthan assembly election 2023) में चुनाव है, लेकिन जनता में तनाव है. वो तनाव महंगाई की वजह से है. राजस्थान सरकार महंगाई (inflation in rajasthan) रोकने के लिए बड़े बड़े कदम उठा रही है, योजनाएं लाई है, सभी शहरों और गांवों में महंगाई राहत के कैंप भी लगाए जा रहे हैं. और तो और अन्नूपूर्णा फूड पैकेट (annapurna food packet scheme) भी मुफ्त में बंटवाए गए हैं, लेकिन ना जाने क्या वजह है कि महंगाई की डायन पीछा छोड़ने को तैयार नहीं है.

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प्रदेश में आटा, चावल, दाल, दूध, तेल और घी सबकुछ महंगा हो गया है. महंगाई से राहत मिलना तो दूर उल्टे ऐसी आफत आई है कि राजस्थान के पड़ोसी राज्य यूपी एमपी और गुजरात से भी कहीं ज्यादा महंगाई की मार राजस्थानियों को झेलनी पड़ रही है.

ऐसे बढ़ रही महंगाई

उत्पाद रेट पहले रेट अब
गाय का दूध 50 रुपए लीटर 60 रुपए लीटर
भैंस का दूध 60 रुपए लीटर 70 रुपए लीटर
घी 800 रुपए लीटर 1000 रुपए लीटर
मूंगफली का तेल 2800 रु. टिन 4000 प्रति टिन

जानकारों के मुताबिक राजस्थान में मूंग की पैदावार 15 से 25%, मूंगफली की पैदावार 10 से 15% और कपास उत्पादन 25 से 30% से ज्यादा नहीं होगा. यही हाल मोठ, ग्वार और बाजरा के अलावा खरीफ की दूसरी फसलों का है. अगस्त में बारिश कम या फिर नहीं के बराबर होने की वजह से फसलें तबाह होने के बाद ये हालात पैदा हुए हैं. दैनिक भास्कर के एक सर्वे के मुताबिक पूरे देश में रिकॉर्ड तोड़ दलहन और तिलहन उत्पादन के मामले में पहले नंबर पर रहने वाले राजस्थान के 20 से ज्यादा जिलों में अकाल और सूखे जैसे हालात बन गए हैं.

60-70 फीसदी तक फसलें खराब होने का अनुमान

राजस्थान में 163.01 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों की बुआई हुई, इसमें से 70 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 60 से 70 फीसदी तक फसलें खराब होने की अनुमान है. ऐसे में एवरेज उत्पादन भी 60 से 70 फीसदी कम ही होगा. राजस्थान की 65 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर ही निर्भर है. फसल खराबे की वजह से किसानों पर कर्ज बढ़ेगा. इसका असर रबी की खेती और उसके उत्पादन पर भी पड़ने वाला है.

65 फीसदी लोगों की घटेगी आय

यानि राजस्थान का किसान फिर से सहाकारी बैंकों के कर्ज और ब्याज के फेर में ही उलझने वाला है. फसल खराबे के नुकसान होगा तो मार्केट में पैसा भी कम आएगा. 65 फीसदी लोगों की आय घटेगी. फिर लोगों की खर्च करने की क्षमता भी घटेगी. कम खरीददारी होगी तो सरकारी खजाने में राजस्व भी कम ही आने वाला है. सूखे जैसे हालात में मवेशियों की समस्याएं भी बढ़ जाएंगी. चारे की भारी किल्लत होगी. अभी से ही चारे की कीमत 4 से 5 रुपए प्रति किलो से सीधा 10 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है. ऐसे में आशंका है कि आने वाले दिनों में चारे की ये कीमतें 25 से 30 रुपए किलो तक पहुंच सकती हैं. महंगाई से जुड़ी तमाम दुश्वारियां पैदा होंगी तो जीडीपी ग्रोथ पर भी असर पड़ेगा ही. राजस्थान की जीडीपी में घरेलू कृषि उत्पादन का 27 प्रतिशत हिस्सा है. कृषि के अलावा उद्योग का 24 फीसदी और सर्विस सेक्टर का 49 फीसदी का हिस्सा होता है. जीडीपी प्रतिशत में कमी आएगी तो ये कमी कई बड़े डेवलपिंग प्रोजेक्ट में रुकावट भी बनेगी.

जुलाई में राजस्थान महंगाई में सबसे आगे

जुलाई महीने में ही राजस्थान ने महंगाई के मामले में सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया था. जुलाई महीने में महंगाई दर 9.66 फीसदी पहुंच चुकी थी जो अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं ज्यादा थी. महंगाई के मामले में दूसरे नंबर पर 9.16 फीसदी महंगाई दर के साथ झारखंड और तीसरे नंबर पर 9 फीसदी के साथ तमिलनाडु रहा. राजस्थान में गांवों के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में महंगाई ज्यादा है. जुलाई महीने में शहरी महंगाई के मामले में देश के टॉप-3 राज्यों में राजस्थान 10.4 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर, पहले नंबर पर उत्तराखंड 10.5 फीसदी और तीसरे नंबर पर ओडिशा 9.9 फीसदी के साथ रहा। फिलहाल महंगाई के मामले में राजस्थान पहले नंबर पर पहुंच चुका है.

चुनावी साल में महंगाई रोकने के लिए सरकार की तमाम कोशिशों पर मानसून ने पानी फेर दिया. एक बार फिर से किसान उसी मुहाने पर खड़ा दिख रहा है, जहां पांच साल पहले था. किसान कर्जे में फंसेगा, आय घटेगी, राज्य की जीडीपी ग्रोथ पर भी पडे़गा. ये तमाम मुद्दे चुनाव पर असर डालेंगे इसमें कोई दो राय नहीं.

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