Ganesh Chaturthi 2024: देश के विभिन्न शहरों में गणेश जी की मूर्तियां तैयार की जाती हैं, लेकिन दुनियाभर में सबसे ज्यादा डिमांड अलवर की मिट्टी से बने गणेश जी की मूर्तियों की होती है. अलवर में बनी मूर्तियां इको-फ्रेंडली होती हैं और ये मिट्टी पानी में पूरी तरह घुल जाती है. इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता. इसी कारण विदेशों में भी अलवर की मूर्तियों की विशेष डिमांड है. अलवर के कारीगर सालभर इन मूर्तियों को तैयार करते हैं और ये मूर्तियां भारत के अलावा 15 देशों में भेजी जाती हैं.
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देशभर में 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी और इस मौके पर देश ही नहीं विदेशों में कई जगहों पर अलवर की मिट्टी से बनी प्रतिमाओं की पूजा होगी. यहां की चिकनी मिट्टी से तैयार गणेश जी की मूर्तियों की खास डिमांड रहती है. अलवर के आस-पास के क्षेत्र में यह चिकनी मिट्टी उपलब्ध होती है, जिसे दो तरह की काली रैतीली मिट्टी को मिलाकर तैयार किया जाता है. यह मूर्ति पानी में घुलकर पूरी तरह से समाप्त हो जाती है.
POP से अधिकतर बनाई जाती है मूर्तियां
अमूमन देश के अन्य शहरों में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनाई जाती हैं जो पानी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं. लेकिन अलवर की मिट्टी की मूर्तियां इको-फ्रेंडली होती हैं, इसलिए इनकी विशेष डिमांड है.
ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सऊदी अरब, दुबई में डिमांड
अलवर के कारीगर साल भर मूर्तियों का निर्माण करते हैं, और देश के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सऊदी अरब, दुबई, स्पेन, और यूरोप जैसे बड़े देशों में भी मूर्तियां भेजी जाती हैं. कोरोना के बाद लोगों में गणेश चतुर्थी को लेकर उत्साह काफी बढ़ गया है, और मूर्तियों की मांग भी. घरों में गणेश जी की स्थापना के प्रचलन के कारण भी मांग बढ़ गई है.
अलवर की चिकनी मिट्टी से बनाई जाती है मूर्तियां
अलवर की चिकनी मिट्टी से बनी मूर्तियां खांसी सुंदर और आकर्षित होती हैं. समय के साथ मूर्तियों के कई तरह के डिजाइन भी अब तैयार होने लगे हैं. एक मूर्ति को तैयार होने में 10 दिन का समय लगता है और यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है, जिसमें मिट्टी की तैयारी, आकार देना, सुखाना, पेंट करना और सजावट शामिल होते हैं.
डिमांड में रहती हैं मूर्तियां
राजस्थान के अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी अलवर की गणेश मूर्तियों की आपूर्ति होती है. आकार और डिजाइन में विविधता के कारण इनकी खास मांग रहती है.
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