जालोर: प्रदेश का ऐसा मंदिर जहां दलित परिवार करते हैं पूजा-अर्चना, ये है लोगों की मान्यता! जानें

Naresh Bishnoi

• 04:03 AM • 08 Feb 2023

Jalore news: जालोर के एकमात्र रामभक्त हनुमान मंदिर में दलित समाज के परिवार पूजा अर्चना का काम देखते हैं. एक तरफ जहां मंदिरों व शिवालयों में दलितों के प्रवेश को लेकर विवाद होते हैं, हिन्दु मुस्लिम किया जाता है. वहीं जालोर के कानीवाड़ा हनुमान मंदिर में हिन्दु के साथ-साथ मुस्लिम धर्म के लोग भी पूजा […]

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Jalore news: जालोर के एकमात्र रामभक्त हनुमान मंदिर में दलित समाज के परिवार पूजा अर्चना का काम देखते हैं. एक तरफ जहां मंदिरों व शिवालयों में दलितों के प्रवेश को लेकर विवाद होते हैं, हिन्दु मुस्लिम किया जाता है. वहीं जालोर के कानीवाड़ा हनुमान मंदिर में हिन्दु के साथ-साथ मुस्लिम धर्म के लोग भी पूजा अर्चना करते हैं, सिंदूर लगाकर राम भक्त हनुमान मंदिर में मन्नत मांगते हैं. यह मंदिर करीब 800 साल पुराना बताया जाता है. जोकि की यहां के लोगों के लिए बड़ी आस्था का केंद्र है.

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मंदिर के मुख्य पूजारी ने बताया कि 800 साल यहां के ठाकुर बलवंतसिंह ने कुंआ खोदने का कार्य शुरू किया तो जमीन के दस फिट नीचे रामभक्त हनुमान की मूर्ति मिली. तब ठाकुर सहित यहां बस रहे लोगों ने पूजा-अर्चना शुरू की ओर हनुमान जी का स्थान बना लिया. बताया जा रहा है कि चमत्कारी हनुमान का स्थान 800 साल पूराना है ओर तब से दलित वर्ग के गर्गाचार्य इस मंदिर मे पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. यह कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा है.

जीर्णोद्धार के बाद भी मूर्ति के ऊपर छत नहीं
इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है, लेकिन इस बार मूर्ति के ऊपर छत नहीं है, उस स्थान को खुला रखा गया है. इसकी भी एक मान्यता है, जिसके बारे में पूजारी बाबुलाल गर्ग बताते हैं कि उनके पूर्वज कहते थे कि जब उन्होंने मंदिर को ऊपर से ढ़का था तो कई बार चदरें उड़ गई ओर छत गिर गई. हनुमान उनको स्वप्न में आकर कह गए कि इसे खुला रखा जाए, यह मेरे आने जाने का रास्ता है. तब से यह मंदिर ऊपर से खुला है.

एक साथ 13 अखंड ज्योत जलती हैं
इस हनुमान मंदिर के प्रति लोगों में आस्था है कि हनुमान जी के आर्शिवाद से संतान हो जाती है ओर फिर उन बच्चों का नाम हनुमान रखा जाता है. बताया गया कि यहां हिन्दू के साथ-साथ मुस्लिम-सिख भी आते हैं ओर अपनी मन्नते मांगते हैं. यह मंदिर सामाजिक समरसता का प्रतिक है. मंदिर मे 13 अखंड ज्योत है, वो एक साथ जलती हैं. शुद्ध देशी गाय के घी से ज्योत की जाती है.

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