नतीजे आने से पहले ही बाड़ेबंदी की तैयारी, बीजेपी-कांग्रेस को सताने लगी चिंता, बागी बैचेन!
Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election 2023) के नतीजों को लेकर अब बेहद कम समय बचा हुआ है. 3 दिसंबर को परिणाम आने से पहले ही पार्टी और उनके प्रत्याशियों में बैचेनी बढ़ गई है. वहीं, अब बड़ा सवाल यही है कि नई विधानसभा के गठन के बाद सत्ता की चाबी किसके पास होगी? […]
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Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election 2023) के नतीजों को लेकर अब बेहद कम समय बचा हुआ है. 3 दिसंबर को परिणाम आने से पहले ही पार्टी और उनके प्रत्याशियों में बैचेनी बढ़ गई है. वहीं, अब बड़ा सवाल यही है कि नई विधानसभा के गठन के बाद सत्ता की चाबी किसके पास होगी? यह तो खुलासा 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही होगा. सट्टा बाजार के दावे, एग्जिट पोल का इंतजार और तमाम पार्टियों के अपने आंकलन के बीच आंकड़ों में कौन आगे रहेगा बीजेपी (bjp) हो या कांग्रेस (congress), इस पर जरूर पार्टियों का दिन-रात मंथन चल रहा है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने काम के दम पर सरकार रिपीट करने की बात कह रहे हैं तो बीजेपी के भी बहुमत को लेकर अपने दावे हैं. लेकिन दोनों ही पार्टियों को अंदर खाने डर भी सता रहा है. डर बहुमत से दूर रहने का, जिसके लिए प्लान-बी की तैयारी शुरू कर दी गई है.
निर्दलीय से संपर्क में दोनों पार्टियां!
राजस्थान पत्रिका की खबर के मुताबिक पार्टियां अपने उम्मीदवारों से फीडबैक लेने में जुटी हैं. निर्दलीय व अन्य दल के मजबूत प्रत्याशियों से संपर्क को लेकर रास्ते भी तलाशे जा रहे हैंय सूत्रों के मुताबिक दोनों दलों की ओर से कुछ निर्दलीयों को तो हालचाल पूछने के साथ बधाई को लेकर फोन तक किए जा चुके हैं. खास तौर पर पार्टियों ने मजबूत निर्दलीयों से संपर्क रखने के लिए स्थानीय नेताओं को कह दिया है. स्थिति यह तक हो गई है कि दोनों ही दल अपने बागियों और निर्दलीयों से बातचीत कर बधाई दे चुके हैं और यह भी कह रहे हैं कि सरकार बनने पर हमारा साथ जरूर दें. हालांकि निर्दलीय क्या फैसला लेंगे, यह तो 3 दिसंबर को ही पता चलेगा.
रिवाज बदलने की जुगत में कांग्रेस
प्रदेश में लंबे समय से हर बार सत्ता परिवर्तन का रिवाज चलता आ रहा है. लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी रिवाज बदलने के लिए दमखम लगाती हुई दिख रही है. यहां तक कि सीएम गहलोत लगातार 156 सीटें आने के दावे करते आ रहे हैं. फिलहाल अभी कांग्रेस का पूरा फोकस मतगणना की तैयारी पर है. सभी उम्मीदवारों को मतगणना पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया है. वहीं पार्टी के बड़े नेता उम्मीदवारों से फीडबैक जुटा रहे हैं.
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कांग्रेस के लिए जयपुर में ही बाड़ाबंदी मुफीद
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक विशेष परिस्थितियों में विधायकों की बाड़ाबंदी की जरूरत पड़ी तो सबसे पहले जयपुर में ही विधायकों को रखा जाएगा. प्रदेश में सत्ता की चाबी अभी कांग्रेस के पास है. इसलिए पार्टी को कोई परेशानी नहीं होगी.
जरूरत पड़ी तो बीजेपी के पास गुजरात का रास्ता
वहीं, चुनावों में जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त बीजेपी ने प्रदेश में 135 सीटें जीतने का दावा कर दिया है. पार्टी की ओर से सभी प्रत्याशियों को कहा गया है कि वे खुद भी मतगणना स्थल एक मिनट के लिए भी नहीं छोड़ें. प्रदेश स्तर पर प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह भी फीडबैक ले चुके हैं और आलाकमान तक फीडबैक पहुंचाया भी जा चुका है. वहीं, बीजेपी नेताओं का मानना है कि पार्टी को बाड़ाबंदी की जरूरत पड़ेगी ही नहीं और पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने जा रहा है. बावजूद इसके किसी तरह की विशेष परिस्थति बनी तो पार्टी विधायकों को ग़ुजरात ले जा सकती है.
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कांग्रेस पिछले 5 साल में दो बार कर चुकी है बाड़ाबंदी
इससे पहले मानेसर एपिसोड के दौरान पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट गुट के विधायकों ने बगावत की तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनके विधायकों के साथ बाड़ेबंदी में रहे थे. वहीं, 10 जून 2022 को राज्यसभा चुनाव से पहले उदयपुर के पांच सितारा होटल ताज अरावली में बाड़ाबंदी की गई थी. जिसमें पायलट, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायकों को लेकर उदयपुर पहुंचे. यहां कुल 114 विधायक बाड़ाबंदी में शामिल होने पहुंच गए थे.
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