Rajasthan By-election 2024: उपचुनाव के बाद सीएम भजनलाल की ताकत हो जाएगी कम? ये 5 सीटें तय करेंगी भविष्य!

गौरव द्विवेदी

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राजस्थान के 5 पूर्व विधायकों के लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने के बाद इन सीटों पर अब उपचुनाव की तैयारी है. देवली-उनियारा, खींवसर, झुंझुनू, दौसा और चौरासी सीटों पर उपचुनाव होने हैं. हालांकि निर्वाचन आयोग ने तिथि की घोषणा नहीं की है. लेकिन सभी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है. खास बात यह है कि साल 2023 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 3 सीट कांग्रेस, 1-1 आरएलपी और बाप पार्टी ने जीती थी. जाहिर तौर पर बीजेपी के पास सीटें जीतकर ताकत बढ़ाने का अच्छा मौका है. गौरतलब है कि नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, झुंझुनू सांसद बृजेंद्र ओला, बांसवाड़ा-डूंगरपुर राजकुमार रोत, दौसा सांसद मुरारीलाल मीणा और टोंक-सवाई माधोपुर सांसद हरीश मीणा के चुनाव जीतने के बाद देवली-उनियारा, खींवसर, झुंझुनू, दौसा और चौरासी विधानसभा सीट खाली हुई है. 

फिलहाल विधानसभा में बीजेपी के पास 115 और कांग्रेस के 66 विधायक हैं. ऐसे में बीजेपी अगर पांचों सीट जीतती है तो यह आंकड़ा 120 हो जाएगा. भले ही इन 5 सीटों पर बीजेपी के लिए हारने के लिए कुछ ना हो, लेकिन लोकसभा चुनाव में 11 सीटें हार चुकी सत्ताधारी पार्टी के लिए इन सीटों पर हार से प्रदेशभर में सरकार के खिलाफ नैरटिव तैयार हो सकता है. 
 

इधर, कांग्रेस के लिए चुनौती यह होगी कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर चुनाव लड़ने वाली पार्टी को एक बार फिर सहयोगी की जरूरत होगी. जबकि आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल की नाराजगी और भारत आदिवासी पार्टी के रूख के बाद नागौर की खींवसर और डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट पर कांग्रेस और उसके सहयोगी आमने-सामने हो सकते हैं. 

देवली-उनियारा में पायलट तय करेंगे टिकट!

वहीं, उपचुनाव में दावेदारों की भी लंबी फेहरिस्त है. टोंक की देवली-उनियारा सीट के समीकरण की बात करें तो 46 हजार गुर्जर मतदाता और 55 हजार मीणा मतदाता है. कांग्रेस खेमे से मीणा और गुर्जर, दोनों समुदाय से नेताओं की उम्मीदवारी संभावित है. जिसमें सबसे पहला नाम कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके प्रहलाद गुंजल का है. वहीं, धीरज गुर्जर, पूर्व विधायक रामनारायण मीणा और हरीश मीणा के बेटे हनुमंत मीणा का नाम भी चर्चाओं में हैं. हालांकि पार्टी के दिग्गज नेता सचिन पायलट की प्रभाव वाली इस सीट पर गुर्जर नेता के चुनाव लड़ने के कम आसार है. एक वजह यह भी है कि इस विधानसभा सीट से हरीश मीणा ने कांग्रेस का चुनाव जीता था, ऐसे में कांग्रेस एक बार फिर मीणा समाज के नेता पर ही दांव खेलना चाहेगी. 

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दूसरी ओर, बीजेपी में प्रमुख नाम विजय बैंसला का है. साल 2023 के विधानसभा चुनाव में हरीश मीणा को कड़ी टक्कर देने वाले बैंसला के साथ उनके पिता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की विरासत जुड़े होने के चलते पार्टी को उन्हें नजरंदाज करना आसान नहीं है. तथ्य यह भी है कि वह चुनाव हारने के बावजूद भी वह पिछले 6 महीने से सक्रिय बने हुए हैं. इसी में प्रबल दावेदार के तौर एक नाम टोंक-सवाई माधोपुर के पूर्व सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया का भी है. बीतें 10 साल तक संसद के सदस्य रहने के बाद वह चुनाव हार गए और अब उपचुनाव में हाथ आजमाना चाहते हैं. इसके अलावा पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर, पार्टी की राष्ट्रीय सचिव डॉ. अलका गुर्जर, सीताराम पोसवाल और लोकसभा सीट के संयोजक रहे नरेश बंसल का नाम भी चर्चाओं में है. हालांकि पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर पर साल 2023 के चुनाव में बगावत के आरोप भी लगे थे. जिसके बाद चुनाव नतीजों के बाद केंद्रीय नेतृत्व को लिखे पत्र में बीजेपी के कई पदाधिकारियों ने निष्कासन की भी मांग की थी. ऐसे में उनकी दावेदारी पर खतरा हो सकता है. पिछले साल पार्टी से बगावत कर आरएलपी से चुनाव लड़ चुके डॉ. विक्रम सिंह अब एक बार फिर बीजेपी के साथ हैं और टिकट के इंतजार में हैं. 

एक बार फिर ज्योति मिर्धा और हनुमान बेनीवाल होंगे आमने-सामने?

जाटलैंट में एक बार फिर सियासी घमासान तेज हो गया है. नागौर की खींवसर सीट से ज्योति मिर्धा का नाम एक बार फिर सुर्खियों में हैं. साल 2014, 2019, 2023 का विधानसभा चुनाव के बाद हाल के लोकसभा चुनाव में लगातार चौथी बार चुनाव हार चुकी मिर्धा के लिए करियर दांव पर है. हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ उनकी मुलाकात के बाद दावेदारी की प्रबल संभावना जाहिर हो चुकी है. साथ ही दावेदार के तौर पर रेवत राम डांगा का नाम भी चल रहा है. दूसरी ओर, कांग्रेस अपनी गठबंधन सहयोगी आरएलपी को समर्थन देगी या नहीं, इस पर तस्वीर साफ नहीं है. जबकि आरएलपी से नारायण बेनीवाल या हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल की उम्मीदवारी को लेकर चर्चा हो रही है.

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दौसा में किरोड़ीलाल मीणा के भाई को मौका देगी पार्टी?

दौसा विधानसभा की बात करें तो हाल ही में सांसद निर्वाचित हुए मुरारी लाल मीणा की पत्नी सविता मीणा कांग्रेस से टिकट की दावेदार हैं. इसी लिस्ट में डीसी बैरवा, मंजू सीताराम और ममता भूपेश का नाम भी शामिल है. जबकि पिछला चुनाव हार चुके शंकरलाल शर्मा भी टिकट की कतार में हैं. लगातार 2 विधानसभा चुनाव हार चुके शंकरलाल शर्मा के लिए इस बार टिकट पाना आसान नहीं होगा. संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट में बीजेपी की ओर से बिरदी चंद शर्मा, अरुण चतुर्वेदी, नंदलाल बंसीवाल और नीलम गुर्जर का नाम भी सामने आ रहा है. 

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दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में कैबिनेट से इस्तीफा दे चुके क्षेत्र के दिग्गज नेता नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा भी इस दौड़ में हैं. लेकिन उनका नाम बीजेपी और कांग्रेस, दोनों खेमों में शामिल हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान भी वह कांग्रेस के संभावित दावेदारों की लिस्ट में बताए जा रहे थे. जबकि उनके भाई किरोड़ीलाल मीणा मौके-मौके पर बीजेपी नेतृत्व से उनके लिए टिकट की मांग कर चुके हैं. 

झुंझुनू सांसद की पत्नी, बेटे और बहू भी टिकट की दौड़ में!

झुंझुनूं विधानसभा सीट से भी काफी लंबी लिस्ट है. हाल ही में सांसद निर्वाचित बृजेंद्र ओला चाहेंगे कि विधानसभा का टिकट भी उनके परिवार के खाते में आए. इसके लिए अपने बेटे अमित ओला, बहू आकांक्षा ओला और पत्नी राजबाला ओला के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं. दावेदारों की लिस्ट में एक नाम दिनेश सूंडा शामिल है. वहीं, बीजेपी की ओर से विशंभर पुनिया, शुभकरण चौधरी, राजेंद्र भांबू, बबलू चौधरी, राजेश बाबल, हर्षीणी कुलहरी, संतोष अहलावत, बनवारी लाल सैनी और मुकेश दाधीच प्रमुख नाम है. 

इन सबके बीच जाट बाहुल्य सीट के लिए पार्टी सतीश पूनिया पर भी दांव लगा सकती है. हाल ही में हरियाणा बीजेपी के प्रभारी बनाए गए पार्टी के इस दिग्गज नेता का नाम एक बार फिर दौड़ में हैं. जबकि पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे और शिवसेना राजेंद्र गुढ़ा के भी चुनाव लड़ने के कयास हैं. हालांकि उन्होंने साफ किया है कि वह शिवसेना (शिंदे गुट) से चुनाव नहीं लड़ेंगे. ऐसे में उन्हें लेकर कई तरह के संशय बरकरार है. 

वागड़ अंचल में एक बार फिर बीजेपी का कड़ा इम्तिहान

दक्षिण राजस्थान में भारत आदिवासी पार्टी की मजबूती ने बीजेपी की नींद उड़ा दी है. 2023 के विधानसभा चुनाव में 3 सीटें जीतकर धमाकेदार एंट्री की थी. जिसके बाद साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के बागी नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीया पर दांव खेला. लेकिन पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले राजकुमार रोत ने इस दिग्गज नेता को 2.47 लाख के अंतर से हराया. ना सिर्फ मालवीया लोकसभा चुनाव हारे, बल्कि उनके गढ़ बागीदौरा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में पार्टी ने जीत हासिल की. ऐसे में उपचुनाव को देखते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी मेवाड़-वागड़ का दौरा भी कर तैयारियों का आगाज भी कर चुके हैं. दावेदारों की बात करें तो बाप पार्टी से कांतिलाल रोत और मोहनलाल रोत का नाम दावेदारों की लिस्ट में हो सकता है. जबकि कांग्रेस पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा और बीजेपी सुशील कटारा पर दांव लगा सकती है. संभावना यह भी है कि महेंद्रजीत मालवीया को बीजेपी एक बार फिर मौका दें. हालांकि लोकसभा चुनाव में हार के बड़े अंतर को देखते हुए इसकी संभावना काफी कम है. 

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