2 करोड़ के घूस मामले में ASP दिव्या मित्तल पर गिरी गाज, राज्य सरकार ने किया सस्पेंड

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दिव्या मित्तल को फिर मिली जमानत, कोर्ट ने वकील की इस बात पर जताई सहमति, जानें
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Rajasthan news: 2 करोड़ के रिश्वतकांड की आरोपी RPS दिव्या मित्तल पर सरकार की गाज गिरी है. गृह विभाग ने एक्शन लेते हुए दिव्या मित्तल को निलंबित किया है. दिव्या मित्तल SOG में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थी. इससे पहले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने राज्य पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) एएसपी दिव्या को रिश्वत मांगने के मामले में सोमवार को गिरफ्तार कर लिया था.

एसीबी के अनुसार आरोपियों ने शिकायतकर्ता से दो करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी. इस मामले में आरोपी अधिकारी का बिचौलिया दलाल भाग गया था. एसीबी की टीम ने दिव्या मित्तल के विभिन्न ठिकानों पर कार्रवाई भी की है. बता दें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दिव्या मित्तल को बिचौलिए सुमीत कुमार के मार्फत दो करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में अजमेर से गिरफ्तार किया था.

ASP दिव्या मित्तल पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई के बाद नाम हटाने के एवज में 2 करोड़ की रिश्वत मांगने का आरोप है. आरोप है कि दलाल ने उनके उदयपुर में स्थित रिसॉर्ट पर पीड़ित को बुलाकर रिश्वत की मांग की और डराया-धमकाया. एसीबी ने कोर्ट से ऑर्डर ले दिव्या मित्तल के 5 ठिकानों पर सोमवार को छापा मारा था.

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यह है मामला
दरअसल मई 2021 में अजमेर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 16 करोड़ रुपए से ज्यादा की नशीली दवाओं की खेप पकड़ी थी. इसमें जयपुर में साढ़े पांच करोड़ और अजमेर में 11 करोड़ की दवाओं के साथ आरोपी पकड़े गए थे. इसी मामले से नाम हटाने के एवज में रिश्वत मांगने का आरोप है. परिवादी ने 4 जनवरी को एसीबी से संपर्क किया था.

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परिवादी ने लगाए ये आरोप
एसीबी के एडिशनल एसपी बजरंग सिंह के मुताबिक- एक परिवादी एसीबी मुख्यालय पर आए थे. उन्होंने इस बात की सूचना दी थी कि उसके खिलाफ एक प्रकरण दर्ज होने के बाद उसमें से नाम हटाने के एवज में दो करोड़ रुपए की डिमांड की जा रही है. परिवादी ने कहा कि उसका इसके अंदर कोई दोष नहीं है. उसने बताया- जब मैं अनुसंधान अधिकारी दिव्या मित्तल के पास गया तो उन्होंने मुझसे कहा कि आप उदयपुर की तरफ रवाना हो जाओ. आपके पास एक फोन आएगा. उसके अनुसार वहां चले जाना. थोड़ी देर में निकलते ही फोन आया और उसके बाद मैं उदयपुर के लिए रवाना हो गया. वहां मुझसे दो करोड़ की मांग की गई. असमर्थता जाहिर करने पर डरा-धमकाकर एक करोड़ रुपए से कम नहीं होने की बात कही गई. यहां से लौटकर एसीबी को रिपार्ट दी.

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