बीजेपी सांसद के बयान से चर्चा में आई ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ मस्जिद , जानें क्या कहता है इसका इतिहास

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बीजेपी सांसद के बयान से चर्चा में आया ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’, जानें क्या कहता है इसका इतिहास
बीजेपी सांसद के बयान से चर्चा में आया ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’, जानें क्या कहता है इसका इतिहास
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Adhai din ka jhonpra : जयपुर से बीजेपी सांसद रामचरण बोहरा (BJP MP Ramcharan Bohra) के एक बयान के बाद अजमेर में स्थित ‘अढाई दिन का झोपड़ा’ मस्जिद चर्चा में है. बोहरा ने कहा है कि “अढाई दिन के झोपडे़ को बनाने के लिए वहां मौजूद संस्कृत विद्यालय को तोड़ा गया था. अब वो दिन दूर नहीं जब एक बार फिर से यहां संस्कृत के मंत्र गूंजेंगे.” इस बीच हम आपको बताने जा रहे हैं कि अक्सर अपनी खूबसूरती को लेकर चर्चा में रहने वाली इस मस्जिद का इतिहास क्या है?

अजमेर स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा करीब 800 साल पुरानी मस्जिद है. इसका इतिहास काफी विवादास्पद माना जाता है. कुछ इतिहासकारों का कहना है कि इस इमारत की जगह पहले एक संस्कृत कॉलेज हुआ करता था. जब 12वीं सदी में अफगान शासक मोहम्मद गोरी ने भारत पर हमला किया तब वह घूमते हुए यहां आ निकला. उसी के आदेश पर उसके सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने संस्कृत कॉलेज को तुड़वाकर उसकी जगह मस्जिद बनवा दी.

पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर भी है संस्कृत कॉलेज का जिक्र

राजस्थान पर्यटन की आधिकारिक वेबसाइट पर एक लेख के मुताबिक, मूल रूप से ‘अढ़ाई दिन का झोंपड़ा’ कहलाने वाली इमारत एक संस्कृत महाविद्यालय था. 1198 ई. में सुल्तान मुहम्मद गौरी ने इसे मस्जिद में तब्दील करवा दिया. हिन्दू व इस्लामिक स्थापत्य कला के इस नमूने को 1213 ई. में सुल्तान इल्तुतमिश ने और ज्यादा सुशोभित किया.

इसलिए बुलाया जाता है अढाई दिन का झोपड़ा

अढ़ाई दिन का झोपड़ा नाम की भी लंबी कहानी है. मोहम्मद गोरी ने इस मस्जिद को बनवाने के लिए अपने सेनापति कुदुबुद्दीन ऐबक कोढाई दिन का समय दिया था. इसके बाद वास्तुकार अबु बक्र ने इसका डिजाइन तैयार किया और इसे कारीगरों ने मिलकर 60 घंटे में ही बनाकर तैयार कर दिया. बताया जाता है कि तय समय में मस्जिद को बनाने के लिए कारीगरों ने बिना रुके और बिना थके ढाई दिन तक काम किया. इसी वजह से इस मस्जिद को ‘अढाई दिन का झोपड़ा’ कहा जाने लगा.

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