Right to health: जिस बिल का डॉक्टर कर रहे विरोध उसे 10 प्वॉइंट्स में समझिए

राजस्थान तक

29 Mar 2023 (अपडेटेड: Mar 29 2023 1:14 PM)

Right To health Bill Rajasthan 2022: राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल-2022 सदन में पास हो गया है. गजट नोटिफिकेशन पूरा होते ही ये बिल कानून बन जाएगा. इधर बिल पास होने से लेकर अब तक प्रदेश के सभी निजी अस्पतालों के डॉक्टर इसका विरोध कर रहे हैं. उनका तर्क है कि ये बिल पूरी […]

Right To health Bill: जिस राइट टू हेल्थ बिल के लिए राजस्थान में डॉक्टर मचा रहे बवाल, यहां 10 प्वाइंट में जानें पूरी डिटेल

Right To health Bill: जिस राइट टू हेल्थ बिल के लिए राजस्थान में डॉक्टर मचा रहे बवाल, यहां 10 प्वाइंट में जानें पूरी डिटेल

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Right To health Bill Rajasthan 2022: राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल-2022 सदन में पास हो गया है. गजट नोटिफिकेशन पूरा होते ही ये बिल कानून बन जाएगा. इधर बिल पास होने से लेकर अब तक प्रदेश के सभी निजी अस्पतालों के डॉक्टर इसका विरोध कर रहे हैं. उनका तर्क है कि ये बिल पूरी तरह से अतार्किक है. इसमें डॉक्टरों और अस्पताल के हित को नजरअंदाज किया गया है. यहां तक तर्क दिया जा रहा है कि मरीजों को फ्री इलाज देंगे तो अस्पताल के इन्फ्रास्ट्रक्चर, डॉक्टरों और स्टाफ की सैलरी कहां से आएगी.

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राजस्थान तक आपको बता रहा है इस बिल के प्रावधानों की डिटेल. इसके साथ ही बिल पर डॉक्टरों की आपत्ति के साथ उनके तर्क…

बिल में आखिर क्या है?
राइट टू हेल्थ बिल (Right To health Bill) के जरिए सरकार ने राजस्थान के निवासियों को स्वास्थ्य का अधिकार दिया है. इन अधिकारों में आपात स्थिति में इलाज के अधिकार से लेकर किसी भी अस्पताल में इलाज के दौरान मरीज के अधिकारों को बताया गया है. यहां 10 प्वाइंट में जानें पूरी डिटेल…

1- राज्य का कोई भी अस्पताल (निजी/सरकारी), डॉक्टर को मरीज की रोग की प्रकृति, कारण, प्रस्तावित जांच, उपचार और उसका अनुमानित रिजल्ट, अनुमानति खर्चे और कॉप्लिकेशंस के बारे में बताना होगा.
2- आपात परिस्थितियों में इलाज से पहले फीस का बिना भुगतान किए निजी अस्पताल हो सरकारी इलाज करना होगा. इसमें दुर्घटना के अलावा संर्प देश, जानवर के काटने (कुत्ते वगैरह के काटने), आपात प्रसूति उपचार शामिल है. दुर्घटना में सड़क, जल, वायु और रेल दुर्घटना शामिल हैं.
3- यदि कोई कानूनी मामला है तो डॉक्टर या अस्पताल केवल इस बात से इलाज में देरी नहीं कर सकता कि पुलिस का नो ऑब्जेक्शन रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुआ है.
4- यदि आपात स्थिति में उपचार या किसी दूसरे अस्पताल में रेफर होने के बाद मरीज या उसके परिजन उचित फीस नहीं दे पाते हैं तो वो अस्पताल राज्य सरकार से तय नियमों के तहत पैसे लेने का हकदार होगा.
5- रोगी को उसकी डिटेल, जांच रिपोर्ट, डिटेल बिल की पूरी जानकारी देनी होगी.
6- मरीज के उपचार के दौरान जांच, ऑपरेशन या कीमोथैरेपी से पूर्व उसकी सहमति लेना जरूरी है.
7- किसी भी पुरूष डॉक्टर के द्वारा किसी महिला की जांच के समय एक महिला सहयोगी की मौजूद होना जरूरी है.
8- उपचार के दौरान जो भी सेवाएं दी जा रही हैं उसके रेट की जानकारी मरीज को देनी होगी.
9- उपचार के दौरान मरीज दवाएं कहां से लेगा और जांच कहां से कराएगा इसकी छूट उसे देनी होगी.
10- मरीजों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्राधिकरण का गठन होगा.

डॉक्टरों के तर्क
आईएमए का कहना है कि जब तक सरकार की ऐसी योजनाएं नहीं चलती थीं, तब तक सरकारी अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज होता था. वहीं, अब सरकार प्राइवेट अस्पताल से मुफ्त इलाज करने की उम्मीद करते हैं जो कि सरासर नाइंसाफी है. आईएमए ने सरकार पर मनमानी का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि सरकार अपनी योजनाएं बना रही हैं और बिना पूछे ही निजी अस्पतालों पर थोप रही है. अब इस मनमानी को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. डॉक्टरों ने इस बिल को ब्यूरोक्रेसी की चाल बता रहे हैं. दूसरी ओर, सरकार इसे डॉक्टरों की मनमानी पर नकेल कसने वाला और मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया करवाने वाला बिल बता रही है. दोनों ही अपनी अपनी बात पर अड़े हैं.

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