दादा वॉचमैन, पिता ऑटो चालक, गरीबी को हराकर अब बेटी बनेगी IITian

चेतन गुर्जर

• 10:13 AM • 27 Jun 2023

Kota’s Kashish becomes IITian: आपने ऐसे कई कहानियां सुनी होगी कि कोई छात्र अपनी कठिन परिस्थितियों से लड़कर जीवन में बड़ी सफलता हासिल कर लेता है. लेकिन आज हम कोटा की एक ऐसी लडकी की कहानी बताने जा रहे हैं जिसकी संघर्ष की कहानी कोई साधारण कहानी नहीं है. उसके दादा वॉचमैन है और उसके […]

दादा वॉचमैन, पिता ऑटो चालक, गरीबी को हराकर अब बेटी बनेगी आईआईटीयन

दादा वॉचमैन, पिता ऑटो चालक, गरीबी को हराकर अब बेटी बनेगी आईआईटीयन

follow google news

Kota’s Kashish becomes IITian: आपने ऐसे कई कहानियां सुनी होगी कि कोई छात्र अपनी कठिन परिस्थितियों से लड़कर जीवन में बड़ी सफलता हासिल कर लेता है. लेकिन आज हम कोटा की एक ऐसी लडकी की कहानी बताने जा रहे हैं जिसकी संघर्ष की कहानी कोई साधारण कहानी नहीं है. उसके दादा वॉचमैन है और उसके पिता ऑटो चालक हैं जो ब्रेन हेमरेज की बीमारी से पीड़ित है. इसके अलावा उसकी मां ने सिलाई-कढ़ाई का काम कर घर चलाने में मदद की. लेकिन कोटा में कंसुआ की रहने वाली कशिश ने इन परिस्थितियों को हराकर देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक आईआईटी प्रवेश परीक्षा जेईई एडवांस्ड 2023 को क्रेक कर लिया है.

यह भी पढ़ें...

कशिश अपने परिवार की पहली आईआईटीयन बनेगी. उसकी सफलता से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है. कशिश ने जेईई-एडवांस्ड में कैटेगरी रैंक 1216 प्राप्त की है. वहीं जेईई-मेन में उसकी कैटेगरी रैंक 5557 थी.

बेटी को पढ़ाने के लिए पिता ने लोन लेकर खरीदा ऑटो
चार बहनों में सबसे बड़ी कशिश ने बताया कि पिता भूपेन्द्र पहले छावनी में एक किराए की दुकान में मोबाइल रिचार्ज और नल-बिजली के बिल जमा करने का काम करते थे लेकिन सारा काम ऑनलाइन होने से उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी. इसके बाद परिवार का खर्चा चलाने के लिए करीब पांच साल पहले उन्होंने लोन लेकर ऑटो रिक्शा लिया था, जिसकी किस्तें अभी तक चल रही हैं. मेरे दादा यशराज 85 वर्ष की उम्र में भी परिवार को पालने के लिए वाॅचमैन का काम कर रहे हैं. मां वंदना भी घर पर सिलाई-कढ़ाई का काम करती हैं.

कशिश ने बताया कि छोटी बहन 12वीं कक्षा में है एवं उससे छोटी दो बहनें स्कूल में पढ़ रही हैं. घर आधा कच्चा-पक्का है. मैंने 10वीं कक्षा 95 प्रतिशत एवं 12वीं कक्षा 91 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है. इसके बाद जेईई मेन और जेईई एडवांस्ड क्रेक किया.

पिता को ब्रेन हेमरेज होने से बिगड़े हालात
कशिश ने बताया- पापा ने दुकान बंद करने के बाद ऑटो लिया था. जैसे-तैसे कर परिवार की गाड़ी चल रही थी. पापा को हाई बीपी है. पैसों की तंगी और पारिवारिक जिम्मेदारियों में इतने उलझे रहते थे कि नियमित दवाइयां नहीं लेते थे. पिछले साल 31 दिसंबर 2022 को अचानक बीपी बढ़ा और दिमाग की नस फट (ब्रेन हेमरेज) गई. पापा करीब डेढ़ महीने अस्पताल में रहे. मेरी बड़ी बुआ ने उनका इलाज कराया. आज छह महीने हो गए लेकिन वह अभी भी पूरी तरह फिट नहीं हुए. ऑटो बंद होने से थोड़ी बहुत कमाई होती थी, वो भी बंद हो गई.

सुबह पिता का ऑपरेशन, शाम को कोचिंग
पिछले समय को याद करते हुए कशिश ने बताया- पापा की तबीयत काफी खराब हो गई थी. बावजूद इसके मैंने जेईई की तैयारी के लिए कोचिंग जाना बंद नहीं किया. पापा की सार-संभाल के साथ एग्जाम की तैयारी भी करनी थी. ब्रेन हेमरेज के बाद सुबह पापा का ऑपरेशन हुआ और मैं उसी दिन शाम वाले बैच में पढ़ने कोचिंग पहुंच गई थी.

यह भी पढ़ें: राजस्थान में धोनी का जबरा फैन, बर्थडे पर करवा रहा क्रिकेट प्रतियोगिता, खून से पत्र लिखकर दिया निमंत्रण

    follow google newsfollow whatsapp