Impact of 25th September rebellion in third list of Congress also: राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार देर शाम तक तीसरी सूची जारी कर दी. 19 उम्मीदवारों वाली तीसरी सूची में शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ के नाम नहीं हैं. गहलोत गुट के तीनों नेताओं ने 25 सितंबर 2022 को आलाकमान के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था.
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टिकट मिलने को लेकर अनिश्चितता के बीच मंगलवार को महेश जोशी दंडवत प्रणाम करते हुए गोवर्धन गिरिराजजी की शरण में पहुंचे. यहां उन्होंने पैदल परिक्रमा भी की.महेश जोशी को उम्मीद थी कि अगली सूची में उनका नाम जरूर आएगा, लेकिन यहां भी उनको निराशा ही हाथ लगी है.
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जोशी के बेटे पर भी है गंभीर आरोप
मंत्री महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी पर भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं. 23 साल की पीड़िता ने आरोप लगाया था कि मंत्री के बेटे ने नशीला पदार्थ पिलाकर उसके साथ कई बार रेप किया था. इस मामले में राहित जोशी पर रेप समेत कई गंभीर धाराओं में दिल्ली में केस भी दर्ज हुआ था. यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट भी नोटिस जारी कर रोहित जोशी से जवाब तलब कर चुका है. केस दर्ज कराए जाने के बाद पीड़िता ने यह भी कहा था कि उसके परिवार और उसकी जान को खतरा है.
धारीवाल पर सोनिया और राहुल जता चुके हैं आपत्ति
बताया जाता है कि 18 अक्टूबर को जब दिल्ली में सीईसी की बैठक के दौरान सोनिया गांधी ने लिस्ट में शांति धारीवाल का नाम लेकर पूछ दिया था- ये वही आदमी है न? इस सवाल के बाद मीटिंग रुम में कुछ देर तक सन्नाटा पसर गया. इसके बाद सोनिया गांधी ने फिर सवाल करते हुए कहा- इनके ऊपर तो भ्रष्टाचार के आरोप हैं न? मुख्यमंत्री गहलोत ने सोनिया गांधी के सवालों का जवाब देते हुए कहा- नहीं-नहीं… कोई आरोप नहीं है. साफ छवि है इनकी. तभी राहुल गांधी ने कहा- भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इनके खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं.
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ये है 25 सितंबर का पूरा मामला
बता दें कि जयपुर में 25 सितंबर 2022 को पार्टी के विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी. बैठक के लिए पार्टी ने राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा था तो महेश जोशी समेत गहलोत समर्थक विधायकों ने बगावत बुलंद कर दी और बैठक से पहले अपनी अलग मीटिंग की. मंत्री शांति धारीवाल के घर पर विधायक जुटे. इस बैठक के बाद गहलोत खेमे के विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचे और करीब 80 से ज्यादा विधायकों ने पायलट के सीएम बनाए जाने के विरोध में अपना इस्तीफा सौंप दिया था.
गहलोत गुट की मांग थी कि कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगा. इसके साथ शर्तें भी रख दी कि सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही सीएम बने. दूसरी शर्त ये थी कि सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाए. तीसरी शर्त भी रखी कि जो भी नया मुख्यमंत्री हो, वो गहलोत की पसंद का ही होना चाहिए.
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