Rajasthan Politics: लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं.राजस्थान में इस बार बीजेपी को 11 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा. वहीं सीएम भजनलाल के गढ़ में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया. भरतपुर, दौसा, करौली, सवाईमाधोपुर में बीजेपी को करारी हार देखनी पड़ी. अब लोग जानना चाह रहे हैं कि आखिर सीएम के गढ़ में बीजेपी हारी कैसे, आइए बताते हैं.
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पूर्वी राजस्थान की भरतपुर लोकसभा सीट मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गढ़ है, भाजपा के हारने और कांग्रेस के जीतने के पीछे की बड़ी वजह जाट आरक्षण मुद्दा रहा, यहां आरक्षण नहीं मिलने से नाराज जाटों ने कांग्रेस के पक्ष में वोट किया. भरतपुर-धौलपुर जाट समाज ने केन्द्र से ओबीसी आरक्षण की मांग की थी, लेकिन केन्द्र ने उनकी मांग नहीं मानी. इस वजह से इन्होंने केन्द्र सरकार के खिलाफ गंगाजल अभियान शुरु कर दिया और भरतपुर लोकसभा सीट के जाट बीजेपी के खिलाफ हो गए.
इसके अलावा भाजपा का सही टिकट वितरण भी हार का एक कारण रहा. वहीं प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद लोगों को पेट्रोल-डीजल के दाम से ज्यादा राहत नहीं मिली. इसके चलते जनता की नाराजगी बीजपी को भारी पड़ी.
कई जातियां भाजपा से थी नाराज
राजस्थान सहित भरतपुर में जाट समाज, राजपूत समाज, मीणा समाज और दलित वर्ग भाजपा से नाराज हो गया था. इन जातियों को भाजपा ने साधने का काम नहीं किया. पूरे राजस्थान में भाजपा जाटलैंड से हारी है. क्योंकि देश का जाट समाज कई मुद्दों से भाजपा से नाराज चल रहा था. बीजेपी की हार की वजह यह है कि जाट, जाटव, मुस्लिम वोटर्स ने एक होकर बीजेपी के खिलाफ वोट किया और कांग्रेस प्रत्याशी संजना जाटव चुनाव जीत गई. वहीं, पिछली साल हुए प्रदेश के विधानसभा में संजना जाटव को करीब 409 वोट से हार का सामना करना पड़ा था. मगर इस बार सूबे के सीएम के गढ़ को ढहा कर भरतपुर लोकसभा सीट से सांसद बन गई.
51 हजार वोटों से बीजेपी प्रत्याशी को हराया
आपको बता दें प्रदेश के पूर्वी लोकसभा सीट भरतपुर से कांग्रेस की प्रत्याशी संजाना जाटव ने चुनाव जीत कर बीजेपी को करारी पटखनी दी है. 26 वर्षीय संजना जाटव ने बीजेपी के रामस्वराम कोली को 51983 वोटों से करारी शिकस्त दी. संजना जाटव प्रदेश की सबसे छोटी उम्र की सांसद है और साथ ही इनके पति कप्तान सिंह राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल है. सूबे के सीएम के गृह जिले से कांग्रेस के जीतने के कई कारण सामने आये है.
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