एक बार फिर चुनावी राजनीति में हाथ आजमाने के लिए तैयार हैं राजेंद्र गुढ़ा! बीजेपी-कांग्रेस को देंगे झटका?

राजस्थान तक

27 Aug 2024 (अपडेटेड: Aug 27 2024 3:39 PM)

पूर्ववर्ती गहलोत सरकार का हिस्सा रहने के दौरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके गुढ़ा को लेकर अक्सर चर्चा होती है. पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा पर एक बार फिर निगाहें हैं.

Rajasthantak
follow google news

पूर्ववर्ती गहलोत सरकार का हिस्सा रहने के दौरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके गुढ़ा को लेकर अक्सर चर्चा होती है. पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा पर एक बार फिर निगाहें हैं. वो कभी लोगों के बीच नजर आते हैं, तो कभी धरने प्रदर्शन में नजर आते हैं. कभी गले में सांप डाले नजर आते हैं तो कभी परिवार के साथ समय बिताते नजर आते हैं. समाज में उनकी मौजदूगी के इस अंदाज को अगले सियासी कदम से जोड़कर देखा जा रहा है. कयास है कि वह झूंझूनु विधानसभा सीट से आगामी उपचुनाव लड़ सकते हैं. 

यह भी पढ़ें...

बता दें कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ भी मोर्चा खोला था. दरअसल, गुढ़ा सचिन पायलट खेमे के माने जाते थे. गुढ़ा ने कई बार सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी आवाज उठाई थी. जिसके बाद उनकी पूर्व सीएम गहलोत से दूरी हो गई और उन्होंने सरकार के कार्यकाल के आखिरी दिनों में लाल डायरी के जरिए सरकार को घेरा था. इस दौरान उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे. इस दौरान उन्होंने कथित लाल डायरी के पन्ने भी सार्वजनिक किए.  

लोकसभा चुनाव से पहले गुढ़ा ने मायावती को दिया था चकमा!

वहीं, लोकसभा चुनाव से पहले गुढ़ा ने मायावती को चकमा को देते हुए बीएसपी पार्टी के विधायक तोड़ लिए थे. प्रदेश में पार्टी के दो विधायक शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल हो गए थे. मुंबई में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में आज सादुलपुर से MLA मनोज न्यांगली और बाड़ी से जसवंत सिंह गुर्जर ने बीएसपी छोड़कर शिवसेना (शिवसेना) की सदस्यता ली थी. जबकि बयाना से निर्दलीय विधायक रितु बनावत पहले ही शिवसेना को समर्थन दे चुकी हैं. साल 2008 और 2013 की तरह बीएसपी एक बार फिर जीरो पर पहुंच गई है. इस पूरे मामले के पीछे शिवसेना (शिंदे गुट) के कोऑर्डिनेटर राजेंद्र गुढ़ा की अहम भूमिका थी.

हर चुनाव के बाद बदली पार्टी

राजेंद्र गुढ़ा ने पहली बार 2008 में राजनीति में कदम रखा. उन्होंने 2008 में बसपा के टिकट पर कांग्रेस के विजेंद्र सिंह और बीजेपी के मदनलाल सैनी के खिलाफ चुनाव लड़ा. इसमें उन्होंने करीब 8 हजार वोटों से जीत हासिल की. इस चुनाव में जीत के बाद गुढ़ा ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. इससे पहले साल 2013 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने राजेंद्र गुढ़ा को उनकी सीट उदयपुरवाटी से उम्मीदवार पद पर खड़ा किया. लेकिन तब गुढ़ा चुनाव हार गए. इस कारण से 2018 में कांग्रेस पार्टी ने उनका टिकट काट दिया. जिसके बाद वो फिर से बीएसपी से चुनाव लड़े.

 

 

    follow google newsfollow whatsapp