Will Rajput vote to congress or BJP? राजस्थान चुनाव (rajasthan news) के लिए वोटिंग अगले महीने हैं. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस में मंथन का दौर अंतिम चरण पर है. वहीं, मैदान में दोनों पार्टियों के साथ ही आप, आरएलपी, आजाद पार्टी समेत कई राजनैतिक दल उतर चुके हैं. ये सभी पार्टियां अलग-अलग तरीकों से जातियों को साधने में लगी हुई है. 26 अक्टूबर को हनुमान बेनीवाल और चंद्रशेखर आजाद के गठबंधन के बाद दलित और जाट वोट को लेकर कई तरह के कयास लग रहे हैं.
ADVERTISEMENT
वहीं, बीजेपी (BJP) की निगाहें राजूपत वोट पर हैं. हाल ही में मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ और करणी सेना के संस्थापक के पुत्र भवानी सिंह कालवी को पार्टी में शामिल कराने के बाद सभी को चौंका भी दिया है. क्योंकि पिछले चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नाराजगी के चलते राजपूत वोट ने बीजेपी के खिलाफ वोट किया था. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या राजपूत वोट इस बार बीजेपी को वोट करेगा?
इसे लेकर अब एक सर्वे भी सामने आ गया है, जिसमें स्थिति स्पष्ट हो गई है. इंडिया टीवी-सीएनएक्स सर्वे के मुताबिक 73 फीसदी राजपूत आबादी बीजेपी के पक्ष में खड़ी हुई है. जबकि कांग्रेस को महज 15 फीसदी राजपूत ही पसंद करता है. जबकि 64 फीसदी बनिया वोटर बीजेपी और 20 फीसदी कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं. जबकि 16 फीसदी बनिया वोटर्स दोनों ही दलों को वोट नहीं करना चाहते. इसके अलावा जाट का एक बड़ा तबका बीजेपी के साथ दिखाई दे रहा है. वहीं, 45 फीसदी ओबीसी बीजेपी और 65 फीसदी मीणा बीजेपी और 18 फीसदी मीणा की पसंद कांग्रेस है.
आनंदपाल एनकाउंटर के बाद बीजेपी के विरोध में आ गए थे राजपूत
दरअसल, साल 2014 में राजपूत समाज की नाराजगी का बड़ा कारण आनंदपाल एनकाउंटर को बताया जाता है. इसके अलावा बीजेपी के कद्दावर नेता जसवंत सिंह का टिकट कटना भी पार्टी को भारी पड़ा. इसके बाद राजपूत समाज प्रदेश अध्यक्ष के लिए अपना दावा ठोंक रहा थआ. लेकिन राजे के विरोध के चलते अपेक्षाकृत कम लोकप्रिय चेहरा मदन लाल सैनी को राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया. ऐसी तमाम वजहों के चलते इस समाज के वोटबैंक ने पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ वोट किया.
क्यों अहम है राजूपत वोट?
दरअसल, प्रदेश में 8 से 10 फीसदी राजपूत है. भले ही यह संख्या जाट और गुर्जर से कम होने की बात कही जाती है. लेकिन राजनैतिक पार्टियां इस समाज की उपेक्षा करने का जोखिम नहीं उठा सकती. इनकी राजनीतिक हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य के हर विधानसभा चुनाव में करीब 14 से 15 प्रतिशत विधायक इसी समाज से चुने जाते हैं. विधानसभा सीटों की बात करें, राज्य के करीब 120 विधानसभा सीटों पर राजपूत निर्णायक होते हैं.
ADVERTISEMENT