हाथरस वाले बाबा का खुल गया राज! झूले पर बैठकर लड़कियों को देता था ऑर्डर, कुंवारी लड़कियां पहनाती थी कपड़े

Himanshu Sharma

09 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 9 2024 4:51 PM)

सूरजपाल के अनुयायियों ने 12 साल पहले अलवर के खेड़ली के पास एक छोटे से गांव सहजपूरा में डेढ़ बीघा जमीन पर आश्रम (Bhole Baba Ashram) बनाया था.

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हाथरस की घटना के बाद सूरजपाल जाटव उर्फ भोले बाबा की चर्चा देशभर में हो रही है. सूरजपाल लग्जरी लाइफ व अय्याशी की जिंदगी जीते हैं. अलवर के खेड़ली के पास सहजपुरा गांव में सूरजपाल का आश्रम है. बाबा के अनुयायियों ने गांव की डेढ़ बीघा जमीन पर 12 साल पहले इस आश्रम को बनवाया था. अब इस गांव के लोगों ने भोले बाबा को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.

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आश्रम के आसपास के घरों में रहने वाले लोगों ने कहा कि आश्रम में बाबा के लिए स्पेशल झूला लगा हुआ है और झूले पर बैठकर सूरजपाल महिलाओं को आर्डर देता था. उसके आसपास हमेशा कुंवारी लड़कियां रहती थी, जो उसको खाना खिलाने, कपड़े पहनाने समेत सारे काम करती थी. जब सूरजपाल अलवर आते थे तो यहां उनसे मिलने के लिए नेता, अभिनेता, कारोबारी व व्यापारी जैसे सभी वीआईपी लोग आते थे.

 

 

ब्रांडेड चश्मा, टाई, सूट व जूतों का शौक

बाबा के सेवकों ने बताया कि सूरजपाल हमेशा सफेद कपड़ो में रहते हैं. उनको महंगे चश्मे, टाई और जूते का शौक है. वो हमेशा सूट पहनकर प्रवचन देते थे. सेवकों से वो पैसे नहीं लेते थे. लेकिन उसके बाद भी उनके सेवक उनके लिए ब्रांडेड सामान लेकर आते थे. उनके पास चश्मे, जूते, सूट व टाई का बड़ा कलेक्शन है.

खाने के लिए थी अलग से रसोई

बाबा के आश्रम में खाने के लिए विशेष इंतजाम रहते हैं. बाबा के लिए आश्रम में अलग से रसोई बनी हुई है. उसमें केवल बाबा के लिए खाना तैयार होता है. लड़की व महिलाएं खाना बनाती हैं और बाबा के पसंद की चीज तैयार करती हैं. बाबा अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखते है.

जेड प्लस जैसी थी बाबा की सिक्योरिटी!

 बाबा का यह आश्रम लोगों की नजरों से दूर था और यहां सूरजपाल रिलैक्स होने के लिए आते थे. सूरजपाल की खुद की अलग सुरक्षा व्यवस्था है. उनकी सुरक्षा व्यवस्था जेड प्लस जैसी थी जिसमें कोई भी सेंध नहीं लगा पाता था. बाबा के सेवक उसे चारों तरफ से हमेशा घेर कर रखते थे. 

मंच पर लोगों से सुनवाते हैं कहानी

सूरजपाल के अनुयायियों ने बताया कि कथा के दौरान मंच पर लोग अपनी कहानी सुनाते हैं. उन कहानियों को सुनकर कथा में मौजूद लोग भावुक हो जाते थे और कहानियों की बदौलत ही लोग उनसे जुड़ने लगे थे. इसी तरह से उनके अनुयायियों का कारवां बढ़ता गया. आश्रम के आसपास क्षेत्र के रहने वाले लोगों ने बताया कि सूरजपाल के अनुयायी एक विशेष समुदाय के लोग हैं. वो केबल उन लोगों को ही टारगेट करते हैं.

सुरक्षाकर्मी भक्तों को मारते हैं डंडे

सेवकों ने बताया कि मंगलवार के दिन अंधविश्वास का खेल चलता है. भूत प्रेत भगाने का काम चलता है. इस दौरान जो लोग परेशानी में रहते हैं, उनको यातनाएं दी जाती है व सुरक्षाकर्मी उनको डंडे मारते हैं. सुरक्षा कर्मियों के डंडों की मार को सेवक प्रसाद मानते हैं. इतना ही नहीं, दर्शन करने के लिए लोग पागलों की तरह सूरजपाल के पीछे भागते हैं और इस दौरान भी सेवक उन पर डंडे बरसाते हैं.

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