अलवर में मुस्लिम समाज की अनूठी पहल, बदली सैकड़ों साल पुराना रिवाज, इस वजह से मोहर्रम पर नहीं निकलेगा मातमी जुलूस

Himanshu Sharma

11 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 11 2024 1:09 PM)

Alwar: अलवर जिले में भगवान जगन्नाथ मेले को लेकर प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है. जिला प्रशासन ने मेले के दिन अवकाश घोषित किया है. वहीं इस बार भगवान जगन्नाथ का मेला और मोहर्रम की तारीख आसपास है.

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Alwar: अलवर जिले में भगवान जगन्नाथ मेले को लेकर प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है. जिला प्रशासन ने मेले के दिन अवकाश घोषित किया है. वहीं इस बार भगवान जगन्नाथ का मेला और मोहर्रम की तारीख आसपास है. ऐसे में हिंदू-मुस्लिम समुदाय में कोई सांप्रदायिक घटना ना हो इसके लिए मुस्लिम समाज ने बड़ा फैसला लिया है. 

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हिंदू समाज ने पहली बार अनूठी पहल करते हुए मोहर्रम का ताजिया जूलूस बाजार से नहीं निकालने का फैसला किया है. ताजिया सीधे कर्बला मैदान लाया जाएगा और फिर सुपुर्द ए खाक किया जाएगा. सैकड़ों साल में ऐसा पहली बार देखने को मिला जब मोहर्रम ताजिया का जुलूस नहीं निकाला जाएगा. मुस्लिम समाज के द्वारा लिए गए इस फैसले का सर्वसमाज ने स्वागत किया है. लोगों का मानना है, इससे शांति का माहौल बना हुआ है. 

15 जुलाई को  निकाली जाएगी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

आपको बता दें 15 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी. उसके बाद रूपबास में तीन दिनों तक मेला भरेगा. इस मेले के दौरान शहर में भीड़ भाड़ रहती है. चौराहों पर प्याऊ व झूले लगते है व बाजारों में भी भीड़ का माहौल रहता है. इस साल 17 जुलाई को मुस्लिम समुदाय का मोहर्रम पर्व है. मोहर्रम के दिन जुलूस निकलता है और ताजिए को कर्बला मैदान तक पहुंचाया जाता है. इस दौरान जिले भर से हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग अलवर में इकट्ठा होते हैं. इसलिए मुस्लिम समुदाय द्वारा एक अनूठा प्रयास करते हुए मोहर्रम के पर्व पर जुलूस नहीं निकलने का फैसला लिया है. 

मेव समाज ने लिया बड़ा फैसला

जिला मेव पंचायत के संरक्षक शेर मोहम्मद ने बताया कि 17 जुलाई को जगन्नाथ जी का मेला है व उसी दिन मोहर्रम पर्व है. दोनों कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. ऐसे में कानून व्यवस्था बनाए रखना और शांति स्वार्थ बनी रहे. इसलिए ताजिए का जुलूस नहीं निकाला जाएगा. उन्होंने बताया कि 16 जुलाई को कत्ल की रात के रूप में मनाई जाएगी. इस दिन शाम को 7 बजे नंगली मोहल्ले से छोटा ताजिया भगत सिंह सर्किल के लिए प्रस्थान करेगा. इसके अलावा अलवर के मेव बोर्डिंग से निकलने वाला बड़ा ताजिया भी छोटे ताजिए के साथ भगत सिंह सर्किल पर पहुंचेगा. भगत सिंह सर्किल से ही दोनों ताजियों को जेल का चौराहा स्थित कर्बला मैदान ले जाया जाएगा और अगले दिन 17 जुलाई को कर्बला मैदान में दोनों ताजियों को सुपुर्द ए खाक कर दिया जाएगा.

पहली बार नहीं निकाला जा रहा जुलूस

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 7 जुलाई से मुस्लिम समुदाय के पहले महीने मोहर्रम की शुरुआत हुई और 17 जुलाई को मोहर्रम है. लेकिन इस बार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को देखते हुए अलवर शहर में ताजिए का मातमी जुलूस नहीं निकलेगा. अलवर में 1956 से रोड नंबर 2 स्थिति मेव बोर्डिंग से ताजिए का जुलूस निकलता है. पहली बार ऐसा मौका होगा जब ताजिए का जुलूस नहीं निकलेगा. इससे पहले राजाओं की देखरेख में महल चौक से अलवर शहर के तेज मंडी तक ताजिए का जुलूस निकाला जाता था. लेकिन कोरोना के 2 साल बाद पहली बार अलवर में ताजिए का जुलूस नहीं निकल पाएगा.
 

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