Kargil Vijay Diwas 2023: वो कमांडो जिसने 5 गोली लगने के बाद भी पाक मेजर का काट दिया सिर

राजस्थान तक

26 Jul 2023 (अपडेटेड: Jul 26 2023 11:31 AM)

Kargil Vijay Diwas 2023: 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में भारत को विजय दिलवाने में वैसे तो भारत के कई जांबाजों ने अपनी जान की बाजी लगाई, लेकिन कुछ जांबाज ऐसे भी हैं जिनकी बहादुरी को कभी भुलाया नहीं जा सकता. ऐसे ही एक हीरो हैं कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह (Commando Digendra Kumar Singh). […]

Kargil Vijay Diwas 2023: वो कमांडो जिसने 5 गोली लगने के बावजूद पाक मेजर का सिर काटकर फहराया तिरंगा

Kargil Vijay Diwas 2023: वो कमांडो जिसने 5 गोली लगने के बावजूद पाक मेजर का सिर काटकर फहराया तिरंगा

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Kargil Vijay Diwas 2023: 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में भारत को विजय दिलवाने में वैसे तो भारत के कई जांबाजों ने अपनी जान की बाजी लगाई, लेकिन कुछ जांबाज ऐसे भी हैं जिनकी बहादुरी को कभी भुलाया नहीं जा सकता. ऐसे ही एक हीरो हैं कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह (Commando Digendra Kumar Singh).

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60 दिन तक चले कारगिल के युद्ध में भारत को पहली जीत 13 जून 1999 को द्रास सेक्टर की तोलोलिंग पहाड़ी (Battle of Tololing) पर मिली थी. इस जीत के हीरो थे 2 राजपुताना राइफल्स बटालियन के 10 कमांडो. उन 10 कमांडो में से 9 शहीद हो गए थे और जो जिंदा बचे थे वो थे कमांडो दिगेंद्र कुमार उर्फ कोबरा. आइए जानते हैं कारगिल विजय में दिगेंद्र कुमार की अद्भुत बहादुरी की कहानी.

महावीर चक्र विजेता दिगेंद्र कुमार मूलरूप से राजस्थान (Rajasthan News)के सीकर जिले के नीमकाथाना के रहने वाले हैं. मई 1999 में जम्मू-कश्मीर के द्रास सेक्टर में तोलोलिंग की पहाड़ी पर हजारों पाकिस्तानी सैनिकों ने घुसपैठ कर कब्जा कर लिया था. तोलोलिंग से पाक सैनिकों को खदेड़ने में इंडियन आर्मी की 3 यूनिट पूरी तरह से असफल हो गई थीं. एक यूनिट के 18, दूसरी के 22 और तीसरी यूनिट के 28 सैनिक इसमें शहीद हो चुके थे. उसके बाद इंडियन आर्मी की सबसे बेहतरीन बटालियन में से एक राजपुताना राइफल्स को तोलोलिंग पहाड़ी को मुक्त करवाने की जिम्मेदारी दी गई जिसका नेतृत्व कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह ने किया.

सेना प्रमुख को पसंद आया कमांडो दिगेंद्र का प्लान
राजपुताना राइफल्स बटालियन 1 जून 1999 को द्रास सेक्टर पहुंची. जवानों ने दो दिन तक इलाके की रैकी की. अगले दिन द्रास सेक्टर के गुमरी में सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने सैनिकों के साथ मीटिंग की. सभी सेक्शन कमांडरों ने तोलोलिंग पहाड़ी से पाकिस्तानी सैनिकों को खड़ेदने का प्लान बताया लेकिन उन्हें पसंद नहीं आया. आखिर में सेनाध्यक्ष ने कहा कि कोई पुख्ता प्लान बताओ जिसके सफल होने के चांस सबसे ज्यादा हो. तभी आगे की पंक्ति में बैठा कमांडो दिगेंद्र कुमार खड़ा हुआ और उन्होंने सेनाप्रमुख को पूरा प्लान बताया जो उन्हें पहली ही बार में पसंद आ गया.

आर्मी चीफ ने की तारीफ
दिगेंद्र कुमार प्लान बताने को खड़े हुए और बोला- जय हिंद सर, बेस्ट कमांडो ऑफ इंडियन आर्मी नायक दिगेंद्र कुमार सिंह उर्फ कोबरा. तब उनकी उम्र करीब 30 साल थी. आर्मी चीफ मलिक ने उनका नाम सुनते ही पहचान लिया. वह तुरंत बोल उठे- “तुम वही हो ना जिसने हजरतबल में एक गोली से 144 उग्रवादियों को सरेंडर करवाया था. बहुत सुना है तुम्हारे बारे में.”

पहाड़ी के पीछे से चढ़ने का बनाया प्लान
दिगेंद्र ने आर्मी चीफ को अपना पूरा प्लान बताते हुए कहा- दुश्मन तोलोलिंग पहाड़ी की चोटी पर बैठा है. हमारी 3 यूनिट पहले ही हार चुकी है. मेरा प्लान है कि दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब दिया जाए. मतलब पहाड़ी के पीछे की तरफ से चढ़ाई करके उन पर धावा बोला जाए. आर्मी चीफ को यह प्लान सबसे सटीक लगा और उन्होंने तुरंत 2 राजपुताना राइफल्स बटालियन के कमांडर कर्नल रविन्द्र नाथ को प्लान पर काम करने का आदेश दे दिया. उन्होंने कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह समेत 10 सबसे खतरनाक कमांडो की एक टीम तैयार की.

14 घंटे की मशक्कत के बाद पहाड़ी की चोटी पर बांधी रस्सी
प्लान के मुताबिक पूरी टीम तोलोलिंग पहाड़ी के पीछे की तरफ पहुंच गई. 9 जून को सभी 10 कमांडो तोलोलिंग की पहाड़ी पर बनी पाकिस्तानी चेक पोस्ट के नीचे थे. सबसे पहले उन्होंने नीचे फायर बेस बनाया. फिर तोलोलिंग की दुर्गम पहाड़ी में क्लिप ठोक-ठोककर 14 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद चोटी तक रस्सी बांध दिया. दुश्मनों को सामने से चार्ली कम्पनी और डेल्टा कम्पनी के जवानों ने फायरिंग करके उलझाए रखा ताकि उनका ध्यान इन कमांडो की तरफ ना जा पाए.

12 जून की रात चोटी पर पहुंचकर बोला धावा
12 जून की रात करीब साढ़े 8 बजे सभी कमांडो तोलोलिंग पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गए. सबसे पहले उन्होंने तय किया कि दुश्मन के बंकर में ग्रेनेड डालकर उसे तबाह करेंगे. जैसे ही उनके सामने पाकिस्तानी फौज का पहला बंकर आया तो दिगेंद्र कुमार आगे बढ़े और लूपोल से ग्रेनेड डालने लगे. तभी पाकिस्तानी सैनिक ने बंदूक निकाल ली और दनादन फायर करने लगे. इस बीच दिगेंद्र कुमार के सीने में 3, अंगूठे और पैर में एक-एक गोली लग गई. 2 गोली उनकी एके-47 पर लगी लेकिन इसके बावजूद उन्होंने ग्रेनेड डालकर बंकर को तबाह कर दिया.

पाकिस्तान सेना के 11 बंकर किए धवस्त
बंकर में ग्रेनेड फटते ही पाकिस्तानी सैनिकों को पता लग गया कि इंडियन आर्मी ने हमला बोल दिया है. उनकी तरफ से आवाज आने लगी ‘अल्लाह हू अकबर, काफिरों का यह चौथा हमला भी फेल करेंगे’. इसके बाद दोनों तरफ से अंधाधुंध फायरिंग होने लगी. दिगेंद्र के अलावा सभी 9 कमांडो शहीद हो गए. लेकिन दिगेंद्र ने भारत को विजय दिलवाने की कसम खा ली थी और उन्होंने एक एक करके पाकिस्तानियों के 11 बंकर तबाह कर दिए.

पाकिस्तानी मेजर का सिर कलम करके फहराया तिरंगा
9 साथियों के शहीद होने के बाद भी कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह लड़ते रहे. उन्होंने ताबड़तोड़ फायरिंग से 48 पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतार दिया. इस बीच उन्होंने पाकिस्तान सेना के मेजर अनवर खान का सिर भी कलम कर दिया. 13 जून की सुबह करीब 4 बजे तोलोलिंग पहाड़ी की चोटी पर दोनों तरफ भारतीय सेना के अन्य जवान भी पहुंच गए. दिगेंद्र सिंह ने मेजर अनवर खान के कटे हुए सिर में ही तिरंगा गाड़ दिया जिसे देखकर साथी सैनिकों के रौंगटे खड़े हो गए. साल 2005 में दिंगेंद्र कुमार इंडियन आर्मी से रिटायर हो गए लेकिन उनकी बहादुरी के किस्से आज भी ताजा हैं.

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