biggest blackmail and rape case: राजस्थान के इस मंत्री ने डेढ़ माह पहले ही देख ली थी अश्लील तस्वीरें फिर भी थे चुप!

राजस्थान तक

21 Aug 2024 (अपडेटेड: Aug 21 2024 8:39 PM)

एक स्थानीय अखबर दैनिक नवज्योति में युवा पत्रकार संजय गुप्ता ने खबर छापी-'बड़े लोगों की पुत्रियां ब्लैकमेलिंग का शिकार'. इस खबर के साथ अखबार शहर में बंटा और लोगों के होश उड़ गए. पूरा शहर क्रोध और पछतावे की आग में उबलने लगा. 

तस्वीर: राजस्थान तक.

तस्वीर: राजस्थान तक.

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राजस्थान (rajasthan Ajmer 1992 rape and blackmailing case) के अजमेर में 1992 ऐसा काला वर्ष बनकर आया जो प्रदेश के इतिहास में खौफनाक सपने जैसा दर्ज हो गया. इस केस में 32 साल बाद अजमेर (ajmer news) की एक अदालत ने 6 आरोपियों को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. एक बार फिर ये दर्दनाक सच लोगों के जेहन को कुरेदने लगा है. इस पूरी कहानी के ऐसे कई मोड़ हैं जिसे जानकार आप बेहद चौंक जाएंगे और समझ पाएंगे कि इस केस को सामने लाने के लिए कोई साहस क्यों नहीं जुटा पा रहा था. 

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वर्ष 1992 में एक पोल्ट्री फार्म हाउस में 100 से ज्यादा स्कूल-कॉलेज की लड़कियों से गैंगरेप हुआ. इनकी अश्लील तस्वीरें कैमरे में क्लिक की गईं और फिर एक फोटो लैब से वे तस्वीरें वायरल हो गईं. उनकी कॉपियां बनने लगीं और जिसके हाथ लगती वही ब्लैकमेल कर लड़कियों को रेप के लिए मजबूर करता था. 

हिम्मत जुटाकर लड़कियां पहुंची थाने

इधर शहर में फैलती तस्वीरों की कॉपियों को देखते हुए कुछ लड़कियां थाने पहुंच गईं. दरअसल ये पीड़ित लड़कियां शहर के रईसों, अफसरों की बेटियां थीं. जब पुलिस ने पड़ताल की तो पता चला कि गैंगरेप करने वाले 
जब तस्वीरें शहर में बंटने लगीं तो कुछ लड़कियां थाने पहुंच गईं. पुलिस के सामने जो बात आई उससे उसके होश उड़ गए. दरअसल ये सारी लड़कियां शहर के बड़े-बड़े अफसरों, रइसों की बेटियां थीं. इधर आरोपी अजमेर शहर यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट, वॉइस प्रेसिडेंट और जॉइंड सेक्रेटरी के साथ-साथ शहर के रईसजादे थे. केस के मुख्य अभियुक्तों में अजमेर यूथ कांग्रेस अध्यक्ष फारुख चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती के नाम सामने आते ही पुलिस के हाथ-पांव फूल गए. केस को दबाने की कोशिशें होने लगीं. 

अखबार की खबर ने सच सामने ला दिया

इधर एक स्थानीय अखबर दैनिक नवज्योति में युवा पत्रकार संजय गुप्ता ने खबर छापी-'बड़े लोगों की पुत्रियां ब्लैकमेलिंग का शिकार'. इस खबर के साथ अखबार शहर में बंटा और लोगों के होश उड़ गए. पूरा शहर क्रोध और पछतावे की आग में उबलने लगा. 

इधर बात तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत तक गई और उन्होंने मामले में आरोपियों को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ने के निर्देश दिए. इधर पुलिस कार्रवाई पर विचार करती रही और उधर आरोपियों को साक्ष्य मिटाने के साथ फरार होने का समय मिल गया. 

फिर अखबार में छपी दूसरी खबर

इधर पहली खबर को छपे 15 दिन हो चुके थे पर कार्रवाई कुछ नहीं हुई थी. पीड़िताओं का परिवार रातों-रात घर छोड़ रहा था. जो शहर में थे वे अंदर-अंदर घुट और टूट रहे थे. तभी दूसरी खबर छपी ‘छात्राओं को ब्लैकमेल करने वाले आजाद कैसे रहे गए?’ साथ ही वो फोटो भी छप गई जो आरोपियों ने ब्लैकमेल करने के लिए पीड़िता के साथ खींची थी. ये खबर आते ही पूरा शहर हिल गया और बवाल मच गया. फिर तीसरी खबर ‘सीआईडी ने पांच माह पहले ही दे दी थी सूचना!’ शीर्षक से छप गई. 

गृहमंत्री के बयान से पूरा शहर था हैरान

दैनिक नवज्योति में चौथी खबर गृहमंत्री का बयान छपा. सुबह-सुबह लोगों के हाथों में ये अखबार पहुंचा और सबके होश उड़ गए. सभी हैरान थे. दरअसल गृहमंत्री भाजपा के दिग्विजय सिंह ने कहा कि ‘डेढ़ महीने पहले ही ये तस्वीरें देख लिया था’ . इसके बाद तो लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. इस बयान के बाद लोग सड़कों पर आ गए और अजमेर बंद का ऐलान कर दिया गया. यहां क्लिक करके पढ़ें पूरी खबर...विस्तार से

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