Alwar:अलवर के सरिस्का अभ्यारण में टाइगर के अलावा भालुओं को भी लाया गया है. 4 भालुओं को सिरोही और माउंट आबू के जंगल से सरिस्का शिफ्ट किया गया लेकिन उनका यहां मन नहीं लगता दिख रहा. भालुओं को चटपटा लजीज भोजन नहीं मिल रहा इसी के चलते वह जंगल छोड़कर 240 किमी दूर करौली पहुंच गए. अब सरिस्का में सिर्फ 1 भालू ही बचा है. ऐसे में भालुओं को यहां लाने की योजना असफल होती दिख रही है.
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वन विभाग की कोशिशों के बाद अप्रैल 2023 में सिरोही और माउंट आबू से चार भालुओं को सरिस्का लाया गया था. इनको लाने के पीछे मकसद था कि सरिस्का में आने वाटे पर्यटक भालू का भी दीदार कर सके. इनमें 2 नर और 2 मादा भालू थे. सभी को सरिस्का की ताल वृक्ष के जंगल में रखा गया था. हालांकि भालुओं की मूवमेंट लगातार आबादी क्षेत्र की तरफ आई. ऐसे में वह कई बार सरिस्का से बाहर आबादी क्षेत्र में भी आ गए. वहीं बीते दिनों पहले भालु को पकड़ते समय एक वनकर्मी घायल भी हो चुका है.
केवल एक मादा भालू बचीं
फिलहाल जंगल में केवल एक मादा भालू सरिस्का के ताल वृक्ष क्षेत्र में है. जबकि दूसरी मादा भालू विराट नगर के जंगल क्षेत्र में है. एक मेल भालू हरसोली में आसपास क्षेत्र में पहुंच गया था. वहां उसने कई लोगों को घायल किया. इसके बाद भालू को ट्रेंकुलाइज करके करौली जिले के कैला माता वन क्षेत्र में छोड़ा गया. वहीं दूसरा मेल भालू जिंदोली व दौसा होता हुआ 240 किलोमीटर दूर करौली पहुंच गया. भालू के रेडियो कॉलर लगा हुआ है. इसलिए सरिस्का की टीम उसका पीछा कर रही है.
जंगल रास नहीं आया
इस संबंध में जब विशेषज्ञों से बात की गई. तो उन्होंने कहा कि भालू को सरिस्का का जंगल रास नहीं आया. दरअसल माउंट आबू और सिरोही क्षेत्र में भालुओं को रिसोर्ट होटल का लजीज चटपटा मसालेदार खाना मिलता था. वहां जंगल में बड़े होटल व रिसोर्ट हैं. जिनका बचा हुआ कचरा व खाना रिसोर्ट के पीछे जंगल में फेंक दिया जाता है. भालू उस भोजन को खाते हैं, ऐसे में भालू को चटपटा मसालेदार भोजन खाने की आदत पड़ गई और उस भोजन की तलाश में भालू सरिस्का का जंगल छोड़कर आबादी में जाने लगे.
सरिस्का में बढ़ रहा है बाघों का कुनबा
सरिस्का में बाघों के कुनबा बढ़ रहा है. इस समय सरिस्का में 43 बाघ, बाघिन व शावक हैं. मानसून सीजन के दौरान 3 महीने सरिस्का पर्यटकों के लिए बंद रहता है. सरिस्का में नए शावकों की मॉनिटरिंग की जा रही है.
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