गुल मोहम्मद बोले- राम मंदिर भारत में नहीं तो क्या पाकिस्तान में बनेगा, बाबारी टूटी तो कारसेवक बन खड़े थे

विशाल शर्मा

12 Jan 2024 (अपडेटेड: Jan 12 2024 10:23 AM)

Ram Mandir news: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir news) के लिए पुरे देशभर में उत्साह है और उत्साह उनमें भी है जो इस आंदोलन से जुड़े रहें. जयपुर के रहने वाले कारसेवक हाजी गुल मोहम्मद मंसूरी भी बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराते वक्त वह भी मौजूद थे. 1992 के उन पलों को याद […]

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Ram Mandir news: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir news) के लिए पुरे देशभर में उत्साह है और उत्साह उनमें भी है जो इस आंदोलन से जुड़े रहें. जयपुर के रहने वाले कारसेवक हाजी गुल मोहम्मद मंसूरी भी बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराते वक्त वह भी मौजूद थे. 1992 के उन पलों को याद करते हुए गुल मोहम्मद मंसूरी ने राजस्थान तक से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि बाबरी मस्जिद को तोड़ने के बाद वापस जयपुर लौटे तो उनके पसीने छूट गए. राममंदिर आंदोलन से जुड़ने का असर यह हुआ कि समाज ने उनके खिलाफ उस समय फतवा तक जारी कर दिया. जिसकी वजह से लोगों ने उनका नाम गुल मोहम्मद की जगह गुल्लूराम नाम रख दिया.

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कारसेवक हाज़ी गुल मोहम्मद मंसूरी ने बताया कि बाबरी मस्जिद के ढांचे को नीचे गिराने के बाद हजारों धमकियां मिली, जो आज तक जारी है. जिसकी वजह से डर के मारे पत्नी तक ने साथ रहने से इंकार कर दिया. परिवार डर के साए में जी रहा था और पुलिस का पहरा 24 घंटे उनके घर के बाहर तैनात रहता.

अपनी ही पत्नी से दोबारा करना पड़ा निकाह

जयपुर की जामा मस्जिद से जारी हुए फतवे के बाद समाज में रहना मुश्किल हो गया. आखिर में समझाइश हुई, तब वापस गुल्लूराम से गुल मोहम्मद बनने के लिए कलमा पढ़ना पड़ा और खुद की पत्नी से दोबारा निकाह करने के बाद वापस उनका नाम गुल मोहम्मद पड़ा. ऐसे में अब राममंदिर बनने पर उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि राम मंदिर भारत में नहीं बनेगा तो क्या पाकिस्तान में बनेगा. भले ही उन्हें निमंत्रण नहीं मिला हो लेकिन अल्लाह ने चाहा तो आगे दर्शन जरूर करुंगा.

जनता पार्टी से विधायक भी रहे मंसूरी

बता दें कि 1977 में गुल मोहम्मद मंसूरी जनता पार्टी से विधायक बने. फिर 1992 में जब राममंदिर का आंदोलन के तहत अयोध्या कूच हुआ और बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया तब कारसेवकों की टोली में वह भी शामिल थे. हालांकि मस्जिद को ऊपर वह नहीं चढ़े लेकिन उस ढांचे के नीचे मौजूद थे. हालांकि उनका कहना है कि मस्जिद के ढांचे के ऊपर उस वक़्त कुछ लोग कारसेवक बनकर नारे लगाने लगे. उसके बाद तनाव बढ़ गया तो सभी मस्जिद के ऊपर चढ़कर नारे ढाचे को तोड़ने लगे. बाद में लाठी डंडे चले तो भगदड़ मच गई. उसके बाद देशभर में बवाल कटा तो जयपुर में भी तनाव बढ़ गया. फिर आंदोलन के बाद ट्रेन के डिब्बी में ठूस ठूस कर जैसे तैसे जयपुर पहुंचे लेकिन घर के बाहर समाज के लोग ही उन्हें मारने तोड़ पड़े. फिर जब धीरे धीरे तनाव शांत हुआ तो समाज से नाता टूट गया. लेकिन अब ख़ुशी है कि वह आंदोलन आज रंग लाया.

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