Jaisalmer में डायनासोर का मिला 16.7 करोड़ साल पुराना जीवाश्म

राजस्थान तक

09 Aug 2023 (अपडेटेड: Aug 9 2023 2:40 PM)

Dinosaur fossil found in Jaisalmer: राजस्थान की रेतीली धरती जैसलमेर (jaisalmer news) में 16.7 करोड़ साल पुराना डायनासोर (dynasore) का जीवाश्म मिला है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जीवाश्म अवशेष लंबी गर्दन वाले डाइक्रायोसॉरिड डायनासोर के हो सकते हैं. आईआईटी रुढ़की और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के वैज्ञानिकों ने शहाकारी डायनासोर के सबसे पुराने जीवाश्म […]

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Dinosaur fossil found in Jaisalmer: राजस्थान की रेतीली धरती जैसलमेर (jaisalmer news) में 16.7 करोड़ साल पुराना डायनासोर (dynasore) का जीवाश्म मिला है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जीवाश्म अवशेष लंबी गर्दन वाले डाइक्रायोसॉरिड डायनासोर के हो सकते हैं. आईआईटी रुढ़की और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के वैज्ञानिकों ने शहाकारी डायनासोर के सबसे पुराने जीवाश्म अवशेषों की खोज की है.

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अंतरराष्ट्रीय जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, 2018 में इस क्षेत्र से एकत्र किया गया जीवाश्म 167 मिलियन वर्ष पुराना पाया गया. वैज्ञानिकों ने अब पता लगाया है कि जीवाश्म अवशेष लंबी गर्दन वाले डाइक्रायोसॉरिड डायनासोर के हो सकते हैं.

इकट्‌ठा किए गए अवशेषों के नतीजे न केवल उम्र बताते हैं बल्कि यह भी संकेत देते हैं कि जीवाश्म एक नई और अज्ञात प्रजाति का था. आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर सुनील बाजपेयी ने अपने आईआईटी सहयोगी देबजीत दत्ता के साथ जैसलमेर में साइट से जीवाश्मों के संग्रह के बाद विस्तृत अध्ययन किया था.

वर्ष 2018 में शुरू हुआ था खनन

जीएसआई ने जीवाश्म की व्यवस्थित खोज व उत्खनन के लिए 2018 में कार्यक्रम शुरू किया था. इसी के तहत थारोसोरस के जीवाश्म जीएसआई के अधिकारी देबाशीष भट्टाचार्य, कृष्ण कुमार, प्रज्ञा पांडे और त्रिपर्णा घोष ने जैसलमेर से संग्रह किए थे. राजस्थान के जैसलमेर में आज भले ही थार रेगिस्तान नजर आता है, लेकिन 16.7 करोड़ साल पहले यहां दुनिया का सबसे पुराना शाकाहारी डायनासोर रहा करता था. थार रेगिस्तान में इसका जीवाश्म मिला, इसलिए इसे ‘थारोसोरस इंडिकस’ यानी भारत के थार का डायनासोर नाम दिया गया है.

मिले जीवाश्म पर 2022 से शुरू हुई स्टडी

वज्ञानिकों की खोज में सबसे पुराने शाकाहारी डायनासोर की रीढ़, गर्दन, सूंड, पूंछ और पसलियों के जीवाश्म मिले थे. इन पर आईआईटी रुड़की के सुनील बाजपेयी और देबाजित दत्ता ने 2022 में अध्ययन शुरू किया. वैज्ञानिकों ने बताया कि थारोसोरस की रीढ़ लंबी थी और सिर पर ठोस नोक होती थी. इसे डायनासोरों के प्राचीन परिवार डायक्रेओसोराइड सोरोपॉड्स में रखा गया है. इस परिवार के डायनासोर की गर्दन लंबी, सिर छोटे होते थे और वे शाकाहारी होते थे.

महत्वपूर्ण है यह खोज

थारोसोरस के रूप में भारत में पहली बार एक डायक्रेओसोराइड सोरोपॉड मिला है. यह करीब 40 फीट लंबे होते थे. उनकी गर्दन और पूंछ छोटी होती थी. डायनासोर का परिवार डिप्लोडोसॉइड नामक एक विस्तृत डायनासोर प्रजाति में आता है. भारत में इससे पहले किसी डिप्लोडोसॉइड का जीवाश्म नहीं मिला था. थारोसोरस से पहले चीन में मिले डाईक्रेओसोराइड के जीवाश्म को सबसे प्राचीन समझा जाता था. वह 16.6 करोड़ से 16.4 करोड़ वर्ष पुराना था. भारत में हुई ताजा खोज ने चीन के जीवाश्म को 10 से 30 लाख साल पीछे छोड़ दिया है.

डिप्लोडोसॉइड डायनासोर की उत्पत्ति का केंद्र भारत

मध्य भारत में इससे भी प्राचीन सोरोपॉड्स बारापासोरस और कोटासोरस मिले हैं. उनका समय 19.9 करोड़ से 18.3 करोड़ वर्ष पूर्व का माना जाता है. वैज्ञानिकों के अनुसार इन सभी खोजों को जोड़ कर देखें तो पुख्ता संकेत मिलते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप डिप्लोडोसॉइड डायनोसोरों की उत्पत्ति और क्रमिक-विकास का केंद्र था.

इनपुट: चांदनी कुरैशी

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