Hathras stampede: जिस बाबा के सत्संग में भगदड़ उसका राजस्थान के पेपर लीक माफिया से कनेक्शन!

Sandeep Mina

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तस्वीर: संदीप मीणा, राजस्थान तक.
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उत्तर प्रदेश के हाथरस (hathras ratibhanpur satsang accident) जिले में रतिभानपुर गांव में भोले बाबा के सत्संग में अब तक 122 लोगों की दर्दनाक मौत के बाद से पुलिस उस बाबा नारायण साकार शिव हरि को खोज रही है जिसने सत्संग आयोजित कराया है. भोले बाबा ऊर्फ नारायण साकार शिव हरि अभी तक पुलिस की पहुंच से दूर है. इधर भोले बाबा का राजस्थान कनेक्शन सामने आया है. राजस्थान के पेपर लीक माफिया हर्षवर्धन पटवारी (harsh vardhan patwari) से बाबा का कनेक्शन है. 

राजस्थान JEN पेपर लीक (JEN Paper leak) मामले में नेपाल भागने से पहले मुख्य आरोपी हर्षवर्धन पटवारी को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है. जब एसओजी की टीम ने हर्षवर्धन के जयपुर, दौसा और भरतपुर में करीब 12 ठिकानों पर दबिश दी तब इन्हीं में से एक था दौसा में आगरा रोड पर गोविंद देवजी मंदिर के सामने एक आश्रम. इस आश्रम की जमीन हर्षवर्धन के नाम पर निकली. बताया जा रहा था कि यहां भोले बाबा हर 4 महीने में दरबार लगाते थे. बाबा का यहां अस्थायी रूप से दरबार लगता था और हर्षवर्धन इसी आश्रम में आया-जाया करता था. आश्रम से पेपर लीक से जुड़े दस्तावेज भी मिले थे. फरवरी में एसओजी की रेड के बाद बाबा नारायण हरि यहां नहीं आए. 

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पेपर लीक का आरोपी भी था भक्त 

बताया जा रहा है कि पेपर लीक का आरोपी भी बाबा का भक्त था. जयपुर-आगरा हाईवे के पास गोविंद कॉलोनी में स्थित इस अस्थायी आश्रम के गेट पर बाबा का बोर्ड लगा रहता था. इसपर लिखा था नारायण साकार हरि की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा-सदा के लिए जय-जयकार हो. पेपर लीक माफिया हर्षवर्धन भी बाबा का भक्त था. 

स्थानीय बोले- लगती थी यहां हजारों की भीड़

राजस्थान तक की टीम दौसा पहुंची और बाबा के अस्थायी आश्रम जिसे एसओजी ने सील किया है उसके आसपास रहने वाले लोगों से बात की. एक निवासी हिम्मत सिंह ने बताया कि बाबा का यहां जब दरबार लगता था तब उनके सेवादार और सिक्योरिटी वाले पूरी कॉलोनी को घेर लेते थे. यहां के लोग बाबा के दरबार में न जाते थे और न ही उनकी कोई रुचि थी. हालांकि दरबार में हजारों की संख्या में भीड़ और गाड़ियां आने से लोगों को परेशानी जरूर होती थी. कई बार कॉलोनी वालों को ही अपना आईकार्ड या आधार कार्ड दिखाने के बाद ही अपने घर तक जाने की अनुमति मिलती थी. हालांकि एसओजी की रेड के बाद से ही बाबा को लेकर यहां तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थी और बाबा ने यहां आना भी बंद कर दिया था.

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