Jaisalmer: फिर चर्चाओं में छाई टीना डाबी, पाक विस्थापित लेखक ने इस वजह से अपनी किताब पर छपवाया IAS का फोटो

विमल भाटिया

13 Jun 2024 (अपडेटेड: Jun 13 2024 7:50 AM)

Jaisalmer: आईएएस टीना डाबी एक बार फिर से चर्चाओं में आ गई है. वजह है एक किताब. किताब के लेखक ने कवर फोटो पर उनकी तस्वीर छपवाई है. पाक विस्थापित हिंदू आज भी पूर्व कलेक्टर को दुआएं देते हुए नहीं थक रहे हैं.

Jaisalmer: फिर चर्चाओं में छाई IAS टीना डाबी, पाक विस्थापित लेखक ने अपनी किताब पर छपवाया कवर फोटो, लिखी ये बातें

Jaisalmer: फिर चर्चाओं में छाई IAS टीना डाबी, पाक विस्थापित लेखक ने अपनी किताब पर छपवाया कवर फोटो, लिखी ये बातें

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Jaisalmer: आईएएस टीना डाबी (IAS Tina Dabi) एक बार फिर से चर्चाओं में आ गई है. वजह है एक किताब. किताब के लेखक ने कवर फोटो पर उनकी तस्वीर छपवाई है. पाक विस्थापित हिंदू आज भी पूर्व कलेक्टर को दुआएं देते हुए नहीं थक रहे हैं. दरअसल, टीना डाबी पहले जैसलमेर कलेक्टर थीं. उस समय हिंदू पाक विस्थापितों के लिए उन्होंने अच्छा कार्य किया था. एक हिन्दू पाकिस्तानी विस्थापित व्यक्ति हैं जो 20 वर्ष पहले व 60 साल की उम्र में पाकिस्तान में अत्याचारों से तंग आकर परिवार सहित भारत आया और जैसलमेर में रहकर आज नागरिकता हासिल कर इन विस्थापितों के हक के लिये लड़ाई लड़ रहा है. 

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किशनराज भील नामक यह पाक विस्थापित मात्र सेकेंडरी तक पढ़ा हुआ है और यह व्यक्ति पूर्व कलेक्टर टीना डाबी के कार्यों को लेकर उनकी वर्किंग स्टाइल से काफी प्रभावित हैं. इसने पाकिस्तानी विस्थापितों की समस्या व उसके मर्म को लेकर एक किताब लिख डाली है. 'पुनर्वासी भील' नामक इस किताब पर कवर फोटो टीना डाबी का दिया है. मात्र 199 की कीमत पर 82 पेज की यह किताब अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि पर भी उपलब्ध है.

जैसलमेर कलेक्टर रहते हुए किया था कार्य

गौरतलब हैं कि गत वर्ष मई 2023 में जैसलमेर से पांच किमी दूर अमरसागर तालाब के कैचमेन्ट एरिया में अवैध रूप से बसे हुए करीब 4 दर्जन से ज्यादा हिन्दू पाकिस्तानी विस्थापितों को तत्कालीन जिला कलेक्टर टीना डाबी ने अतिक्रमण मानते हुवे बेदखल किया था, जिसको लेकर इनकी काफी किरकिरी हुई थी. बाद में पूर्व कलेक्टर डाबी ने डेमेज कंट्रोल करते हुए इन विस्थापितों को करीब 7 किमी दूर मूलसागर में 40 बीघा जमीन अलॉट करके न केवल पुनर्वास किया वरन उनके लिये खाने पीने के इंतजाम किए. देश का संभवतः यह पहला मामला था जिसमें हिन्दू पाकिस्तानी विस्थापितों को बाकयदा राज्य सरकार के सहयोग से जिला प्रशासन द्वारा पुनर्वास किया गया. उसके बाद यह हिन्दू पाकिस्तान विस्थापित तत्कालीन जिला कलेक्टर टीना डाबी की कार्यशैली पर फिदा हो गए और उन्हें खूब दुआएं दी और तो और जिस दिन इन विस्थापितों को पुनर्वास किया जा रहा था उस दिन इन विस्थापितों ने टीना डाबी के लिये खूब पल्के पावड़े बिछाए और उस समय टीना डाबी गर्भवती भी थी तो कई बुजुर्ग महिलाओं ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद तक भी दे दिया.

टीना डाबी से प्रभावित होकर लिखी किताब

टीना डाबी द्वारा इन हिन्दू पाकिस्तानी विस्थापितों के पुनर्वास के लिये किए गए कार्य से प्रभावित होकर इस पाकिस्तानी विस्थापित किशन राज भील ने एक किताब लिख डाली है। पुनर्वासी भील और इसका कवर फोटो बाकयदा टीना डाबी का देकर उनका सम्मान किया है। हालांकि टीना डाबी का गहना हैं कि उनसे किताब के कवर फोटो छापने के लिये परमिशन नहीं ली थी लेकिन किताब के लेखक किशन राज भील ने कहा कि हमनें कवर फोटो छापने के लिये टीना मैडम से काफी सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे सम्पर्क हो नहीं पाया. इस कारण हम उनसे अनुमति ले नहीं पाए. मगर हमारे दिल में उनके प्रति श्रृद्वा व आस्था है और हमनें यह फोटो किताब के कवर पर छाप दिया. अब डाबी मैडम यदि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करती हैं तो उन्हें वे मंजूर है.

किताब में लिखा- पाक से भारत आने वाली समस्याओं के बारे में

किताब के लेखक किशनराज भील ने बताया कि वह पत्थर का काम करते हैं.  82 पृष्ठ व 6 अध्याय की इस पुस्तक में अखबारों की कटिंग के साथ ही तथ्यात्मक आंकड़ों, पाकिस्तान में हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों के साथ ही भारत में मिलने वाली सुविधाओं और यहां उनके लिए आने वाली कठिनाइयों का भी इस किताब में जिक्र किया है. वहीं इस किताब के मुख्य पृष्ठ पर 2015 की आईएएस टॉपर टीना डाबी का फोटो छापी है. इस किताब में मई 2023 में पाकिस्तान विस्थापितों की बस्ती पर उस समय जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए बुल्डोजर की कहानी व पुनर्वास की बातें भी लिखी हुई हैं. इसके अलावा पाकिस्तानी विस्थापितों को पुनर्वासी शब्द कहने की बात को ज्यादा तवज्जो दी है. इसके अलावा किताब में पाकिस्तानी विस्थापितों के भारत आने वाली कई समस्याओं व पुनर्वास को लेकर भी वृतांत लिखा गया है. उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वज तत्कालीन कारणों के चलते भले ही पाकिस्तान चले गए हों लेकिन हमारा मूल जन्म स्थान जैसलमेर ही है और हमारा दिल आज भी भारत के लिए धड़कता है.

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