राजस्थान (Rajasthan News) में पिछले 10 महीने में ऐसे 4 केस आए हैं जिसमें अलग-अलग जिलों में 4 प्रसूताओं ने 14 बच्चों को जन्म दिया है. इनमें दो महिलाओं ने एक साथ 4-4 और दो ने एक साथ 3-3 बच्चों को जन्म दिया है. ऐसी स्थिति में अक्सर पैरेंट्स चिंतित हो जाते हैं. क्योंकि सरकारी नियम के मुताबिक दो से ज्यादा बच्चे पैदा होने पर लोगों को सरकारी नौकरी और अन्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है. लेकिन अगर एक साथ 3-4 बच्चे पैदा हो जाए तो ऐसी स्थिति में नियम (Two child policy) क्या कहता है, यह सवाल उठना भी स्वाभाविक है. ऐसे में हम आपको इस मसले पर विस्तार से बताने जा रहे हैं.
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2 चाइल्ड पॉलिसी को समझने के लिए 'राजस्थान तक' ने एडवोकेट रामप्रताप सैनी से बात की. एडवोकेट रामप्रताप सैनी ने बताया कि एक साथ 3-4 बच्चे पैदा होने पर पैरेंट्स को परेशान नहीं चाहिए. क्योंकि ऐसी स्थिति में पैरेंट्स को सरकारी नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता. अगर पहली बार में पैरेंट्स को एक बच्चा होता है और दूसरी बार में भले ही कितने ही बच्चे पैदा हो जाए, वे सरकारी सुविधाओं से वंचित नहीं किए जा सकते. लेकिन यदि 3-4 बच्चे एक साथ होने के बाद पैरेंट्स एक बार फिर बच्चा पैदा करते हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है.
राजस्थान में क्या है 2 चाइल्ड पॉलिसी?
राजस्थान में कोई भी उम्मीदवार सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा, अगर उसके एक जून 2002 को या उसके बाद 2 से अधिक बच्चे पैदा हुए हों. सुप्रीम कोर्ट ने भी राजस्थान सरकार के इस नियम को बरकरार रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी देने से इनकार करना गैर-भेदभावपूर्ण है और यह नियम पॉलिसी के दायरे में आता है.
पंचायत चुनाव में भी लागू है ये नियम
राजस्थान में पंचायत चुनाव पर भी 2 चाइल्ड पॉलिसी वाला नियम लागू है. जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं वो पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकते. सुप्रीम कोर्ट के सामने 2003 में ऐसा मामला आया था. उस समय पंचायत चुनाव में उतर रहे उम्मीदवारों के आड़े ये नियम आया था और वे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे. तब भी कोर्ट ने इस नियम को बरकरार रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस नियम के पीछे का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है.
पंचायत सीरीज से फिर शुरू हो गई थी बहस
साल 2022 में पंचायत वेब सीरीज़ का पार्ट 2 आया था. उसमें पंचायत सचिव गांव की दीवारों पर परिवार नियोजन का नारा लिखवाता है. नारा था-दो बच्चे मीठी खीर उससे ज्यादा बवासीर. इसके बाद गांव में जिस-जिसके 2 से ज़्यादा बच्चे हैं वे सब ऐसे नारों का विरोध करने लग जाते हैं. वे कहने लगते हैं कि हमारे पहले दो बच्चे मीठी खीर हैं तो क्या तीसरा वाला बवासीर है. आखिरकार फिर हार मानकर सचिव को गांव की दीवारों पर स्लोगन पर चूना पुतवाना पड़ता है. पंचायत वेब सीरीज के इस सीन के बाद देश में फिर से इस बात की बहस छिड़ गई थी कि परिवार नियोजन के लिए इस तरह के नारे लिखना कितना कारगर है.
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