Tonk: बनास नदी पर बन रहा प्रदेश का सबसे लंबा पुल तेज हवाओं से हुआ धराशायी, BJP-कांग्रेस में छिड़ी थी क्रेडिट की जंग!

मनोज तिवारी

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Tonk: बनास नदी पर बन रहा प्रदेश का सबसे लंबा पुल तेज हवाओं से हुआ धराशायी, BJP-कांग्रेस में छिड़ी थी क्रेडिट की जंग!
Tonk: बनास नदी पर बन रहा प्रदेश का सबसे लंबा पुल तेज हवाओं से हुआ धराशायी, BJP-कांग्रेस में छिड़ी थी क्रेडिट की जंग!
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Tonk: टोंक जिले में बीती शाम चली तेज हवाओं के चलते एक बड़ा हादसा सामने आया है. यहां बनास नदी पर निर्माणाधीन गहलोद हाई लेवल ब्रिज के पिलर 42 व 43 के बीच रखे गये प्री कास्ट विशालकाय 5 गर्डर एक साथ धराशायी होकर तेज धमाके के साथ नीचे आ गिरे. गनीमत यह रही कि जिस समय ये गर्डर धराशायी हुए उस समय श्रमिक अपना काम बंद कर वहां से जा चुके थे. तेज धमाके की आवाज सुनकर मौके पर मौजूद श्रमिक व आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे. सभी ने यह जानकर राहत की सांस ली कि किसी तरह की जनहानि नहीं हुई है.

ग्रामीणों ने पुल निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री का लगाया आरोप

पुल के पांच विशालकाय व भारी भरकम गर्डरों के हवा का दबाव ना झेल पाने पर ग्रामीणों ने निर्माण कंपनी पर घटिया निर्माण सामग्री के प्रयोग में लिये जाने व निर्माण में कई तरह की खामिया बरते जाने का आरोप लगाते हुए मौके पर हंगामा खड़ा कर दिया.

सांसद जौनापुरिया भी बता चुके है निर्माण में खामियां

राजस्थान के इस सबसे लंबे रिवर ब्रिज के निर्माण के निरीक्षण के दौरान सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया भी निर्माण कंपनी व पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं पर लापरवाही व मिलीभगत का आरोप लगा चुके हैं.

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साइट इंजीनियर बोले- गर्डर के अड़ गया था हाईड्रा का हेड

साइट इंजीनियर कनिष्क शर्मा ने बताया कि पांचों गर्डर धराशायी होने का कारण हाईड्रा मशीन का हेड एक गर्डर के अड़ जाना है. शर्मा ने कहा कि उस समय हवायें तो चल रही थीं लेकिन उनसे गर्डरों का गिर जाना संभव नहीं है.

प्रत्यक्षदर्शी श्रमिक ने कहा हाईड्रा नहीं तकनीकी गड़बड़ी से गिरे हैं. श्रमिक मतीउर्रहमान ने बताया कि वे पिलर के ऊपर से स्पान से काम करके नीचे उतरे ही थे कि पांचों गर्डर धराशायी हो गये. मतीउर्रहमान ने कहा कि मौके पर जब हाईड्रा मशीन थी ही नहीं तो उससे यह घटना किस तरह हो सकती है.

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रात तक भी नहीं पहुंचे अधिकारी

प्रशासनिक अधिकारी व इसके निर्माण का काम देख रहे पीडब्ल्यूडी के अधिकारी घटना के बाद देर रात तक भी मौके पर नहीं पहुंचे. घटना शाम लगभग सात बजे हुई लेकिन रात 10बजे तक भी किसी ने भी मौके पर पहुंचना मुनासिब नहीं समझा.

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राजस्थान का सबसे लंबा है यह हाई लेवल ब्रिज

टोंक-शहर को मालपुरा, टोडारायसिंह व पीपलू उपखंड के दर्जनों पंचायतों के लगभग सौ गांवों को जोड़ने वाला यह पुल प्रदेश का सबसे बड़ा नदी पुल है. इस पुल की कुल लंबाई चार किमी है. इस चार किमी में से 2.50 किमी हिस्से पर पुल बनाया जा रहा है जबकि 1.50 किलोमीटर हिस्से पर एप्रोच रोड बनाया जाना है. लगभग 135 करोड़ रुपए की लागत वाले इस पुल के 49 पिलरों का काम पूरा हो चुका है और अब स्पानों पर प्रीकास्ट गर्डर रखे जाने का काम चल रहा है. यह पुल जिले का सबसे चौड़ा पुल भी है. पुल का निर्माण जयपुर की निर्माण कंपनी आरके जैन ज्योति बिल्डर्स द्वारा किया जा रहा है. इसके दो स्पानों के बीच की दूरी 40 मीटर है. धराशायी हुए एक एक गर्डर का वजन लगभग 200 टन से ज्यादा बताया जा रहा है.

पुल निर्माण के क्रेडिट को लेकर छिड़ी रही राजनैतिक जंग

पुल निर्माण की क्रेडिट को लेकर भाजपा व कांग्रेस में राजनैतिक जंग छिड़ी रही है. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में शुरू हुए इसके काम के चलते सचिन पायलेट इसे राज्य सरकार की अपनी उपलब्धि बताते रहे. वहीं भाजपा से सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया इसे अपने प्रयासों से व केंद्र सरकार की राशि से बन रहा पुल बताते रहे. अधिकारियों के अनुसार इस पुल का सारा काम केंद्र सरकार द्वारा ही कराया जा रहा है.

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