Success Story: बाड़मेर के छोटे से गांव की बेटी गरिमा चौधरी बनीं पायलट, पिता को लोग देते थे ताने, अब उड़ाएगी प्लेन
Barmer: बाड़मेर के छोटे से गांव से आने वाली बेटी गरिमा चौधरी का प्राइवेट एयरलाइंस कंपनी इंडिगो में बतौर पायलट सिलेक्शन हो गया है. अब ट्रेनिंग के बाद गरिमा चौधरी आसमान में हवाई जहाज उड़ाती नजर आएगी.
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Barmer: जब व्यक्ति मन में कुछ करने की ठान लेता है तो उसे पूरा करके ही दम लेता है. ऐसा ही उदाहरण हमें बाड़मेर में देखने को मिला, जहां आसमान में उड़ान की उम्मीद लेकर मेहनत की और अपनी मंजिल तक पहुंची.
बाड़मेर के छोटे से गांव से आने वाली बेटी गरिमा चौधरी का आखिरकार 4 साल के सफर के बाद प्राइवेट एयरलाइंस कंपनी इंडिगो में बतौर पायलट सिलेक्शन हो गया है. अब ट्रेनिंग के बाद गरिमा चौधरी आसमान में हवाई जहाज उड़ाती नजर आएगी.
गरिमा ने बनाया इतिहास
गरिमा की इस उपलब्धि का इतिहास बना गया. ऐसा पहली बार है जब यहां के गांव की कोई बेटी किसी प्राइवेट कंपनी में पायलट बनी हो. गरिमा बाड़मेर जिले के शिव उपखंड के काश्मीर गांव से आती है. उसकी प्रारंभिक शिक्षा बाड़मेर शहर के एक प्राइवेट स्कूल में हुई. पहले 10वीं अच्छे अंकों से पास की. फिर 12वीं में पीसीएम (फिजिक्स, कैमेस्ट्री मैथ्स) लिया. अप्रैल 2019 में गरिमा ने फ्लाइंग क्लब एकेडमी भुवनेश्वर ज्वॉइन किया. गरिमा बताती है कि वहां 6 पेपर भी क्लियर किए. कॉमर्शियल फ्लाइंग लाइसेंस के लिए 18 माह में 200 घंटे फ्लाइंग करनी होती है.
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कोरोना काल ने किया हताश
एक वक्त ऐसा भी आया कि जब गरिमा हताश हो गई थी. 2020 में कोरोना के समय फ्लाइंग क्लब बंद हो गए थे. तब गरिमा ने केवल 22 घंटे की ही फ्लाइंग की थी. ऐसे में उन्हें गांव आना पड़ा. लेकिन वह बार-बार सोचती रही कि वह पापा का सपना कैसे पूरा करेंगी. लेकिन उनके पिता ने उन्हें मोटिवेट रखा.
पिता चलाते हैं दुकान
गरिमा के पिता खींयाराम ट्रेक्टर एजेंसी और मेडिकल शॉप चलाते हैं. उनके तीन बेटियां हैं,, इनमें बड़ी बेटी डॉक्टर है, दूसरे नंबर पर गरिमा है जिसे उनके पिता पायलट बनाने चाहते थे. इसलिए 2019 में बेटी को भुवनेश्वर में फ्लाइंग क्लब ज्वॉइन करवाया.
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परिवार वाले देते थे ताने
गरिमा बताती है कि लोग पिता को कहते थे इतना मोटा पैसे खर्च कर रहे हो, बेटी की शादी के लिए बचा लो. कोरोना के समय घर लौटी तो दुख हुआ. लेकिन पिता ने मोटिवेट किया.
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कॉमर्शियल फ्लाइंग लाइसेंस मिला
गरिमा ने बताया मार्च-अप्रैल 2022 में फिर से फ्लाइंग क्लब खुल गए. फिर भुवनेश्वर फ्लाइंग क्लब से ट्रांसफर लेकर फिर पुणे में फ्लाइंग क्लब ज्वॉइन किया. जहां मुझे बाकी बचे 178 घंटे फ्लाइंग करनी थी. 178 घंटे की फ्लाइंग पूरी करने के बाद रेड बर्ड फ्लाइंग ट्रेनिंग एकेडमी ने मुझे कॉमर्शियल फ्लाइंग लाइसेंस दिया.
अमेरिका में की ट्रेनिंग
गरिमा कहती है 2023 में दो महीने की ट्रेनिंग के लिए साउथ अमेरिका गई. जहां कॉमर्शियल पैसेंजर प्लेन को उड़ाने की ट्रेनिंग ली. 60 दिन की ट्रेनिंग में वहां हर वीक 8 - 8 घंटे ग्राउंड क्लासेज और 4 - 4 घंटे फ्लाइंग ट्रेनिंग होती थी. वहां सारा प्रोसेस सीखा.
उतार चढ़ाव देखे, हिम्मत नहीं हारी
गरिमा का कहना है कि अमेरिका से लौटने के बाद अलग - अलग एयरलाइंस की वैकेंसी में हिस्सा लिया. किसी वैकेंसी में 3 तो किसी में 4 राउंड थे. सितंबर 2023 में एयर इंडिया की वैकेसनी आई तो पार्टिसिपेट किया. जिसमें 3 राउंड थे. जिसमें पहले राउंड में राइटिंग एग्जाम में रह गई. जनवरी 2024 में विस्तारा एयरलाइंस की वैकेंसी आई. जिसका पहला राउंड मैंने पूरा कर लिया. लेकिन, दूसरे राउंड के मुझे एयरलाइंस में मुझे अभी तक नहीं बुलाया है. विस्तारा में मैं अभी स्टैंड बाय हूं.
दूसरी बार में हुआ सिलेक्शन
2024 में इंडिगो एयरलाइंस की वैकेंसी आई. गरिमा बताती है उसमें 4 राउंड थे. दो राउंड क्लियर कर लिए फिर तीसरे राउंड में फिर रह गई. मई 2024 में फिर इंडिगो की वैकेंसी आई. जिसमें सारे राउंड क्लियर कर लिए. 3 दिन पहले ही 17 मई को रिजल्ट आया है. अब ताने देने वाले लोग भी पिताजी के साथ पूरे परिवार और मुझे बधाईयां दे रहे हैं.
अब इंडिगो एयरलाइंस ने होगी ट्रेनिंग
गरिमा बताती है कि अब इंडिगो एयरलाइंस कंपनी जुलाई माह से चेन्नई में आगे की ट्रेनिंग करवाएगी. मेरा सिलेक्शन पैसेंजर कॉमर्शियल प्लेन में जूनियर फर्स्ट ऑफिसर के पद पर हुआ है. कैप्टन के साथ प्लेन में रहूंगी. 2 से 3 साल बाद जब मुझे करीब 5 हजार घंटों का फ्लाइंग एक्सप्रियंस हो जाएगा तो इंटरव्यू रिटर्न क्लियर करने के बाद मैं कैप्टन बनकर प्लेन उड़ाऊंगी और जूनियर फर्स्ट ऑफिसर मेरे साथ रहेंगे.
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