krishna janmashtami 2024 : राजस्थान के इस शहर में श्रीकृष्ण का नाम पड़ा था 'रणछोर', जानें क्या है ये पूरी कहानी

Umesh Mishra

ADVERTISEMENT

तस्वीर: उमेश मिश्रा, राजस्थान तक.
तस्वीर: उमेश मिश्रा, राजस्थान तक.
social share
google news

आज भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी कृण भक्ति के रंग में रंगे भक्त 'जन्माष्टमी' (krishna jayanthi 2024) की तैयारियां जोर-शोर से कर रहे हैं. मंदिर सज गए और हैं और हरि कीर्तन के साथ संगीतमय आयोजन हो रहे हैं. इधर राजस्थान के धौलपुर जिले में स्थित तीर्थनगरी मुचकुंद में भी तैयारियां हो चुकी हैं और कृष्ण जन्म का उद्घोष करने के लिए भक्त उत्सुक हैं. 

कहते हैं तीर्थराज मुचकुंद ही वो स्थान है जहां श्रीकृष्ण को 'रणछोर' कहा गया. राजस्थान तक आपको बता रहा श्रीकृष्ण के यहां रणछोर कहे जाने का वो किस्सा. 

ये है श्रीकृष्ण के रणछोर कहे जाने की कहानी

मुचकुंद तीर्थ स्थान धौलपुर (dholpur news) जिले में जीटी रोड से करीब 3 किमी की दूरी पर आरावली पर्वत पर स्थित है. इस तीर्थ स्थल के चारो तरफ आरावली की पर्वत श्रृंखलाएं हैं. यहां एक पवित्र तालाब और उसे घेरे हुए 108 मंदिर है. यहां का सुरम्य वातावरण और खूबसूरती लोगों को सहसा आकर्षित कर लेती है. 

ये कहानी है भगवान राम से 19 पीढ़ी पहले 24वें सूर्यवंशी राजा मुचकुंद की. पौराणिक कथा के मुताबिक त्रेतायुग में महाराजा मंधाता के तीन बेटे थे. अमरीश, पुरू और मुचकुण्द. मुंचकुंद युद्ध कला में काफी निपुण थे. जब देवासुर संग्राम हुआ तो देवताओं ने महाराजा मुचकुंद को युद्ध में सहयोग के लिए बुलाया और उन्हें अपना सेनापति बनाया. उन्होंने जमकर युद्ध लड़ा. 

विजय मिलने के बाद महाराज मुचकुंद ने देवराज इंद्र से आराम करने की इच्छा जाहिर की. देवराज इंद्र ने उन्हें वरदान दिया कि जब तक वे खुद नहीं जगेंगे, यदि कोई नींद में खलल डाला तो वो जलकर भस्म हो जाएगा. कहते हैं इसके बाद महाराज मुचकुंद धौलपुर में ही आरावली की पहाड़ियों में एक गुफा में आकर सो गए. 

ADVERTISEMENT

जब भगवान शंकर के वरदान की लाज के लिए भागे कृष्ण

पौराणिक कथा के मुताबिक जरासंध ने कृष्ण को पराजित करने के लिए म्लेक्ष्छ देश के राजा कालयवन को भेजा. कालयवन को भगवान शंकर का वरदान मिला था कि उसे युद्ध में कोई पराजित नहीं कर सकता. जरासंध ने कालयवन को मथुरा भेजा. इधर भगवान शंकर के वरदान की लाज रखने के लिए कृष्ण मैदान छोड़कर भागे. वे भागते-भागते मथुरा से धौलपुर के पास आरावली की पहाड़ी की उस गुफा में आ गए जहां मुचकुंद सोए हुए थे. 

श्रीकृष्ण ने अपना पीतांबर उनके ऊपर डाल दिया और खुद छुप गए. इधर कालयवन ने मुचकुंद को श्रीकृष्ण समझकर लात मारी और वे जाग गए. उनकी आख खुलते ही सामने कालयवन खड़ा था. वो जलकर भस्म हो गया. फिर श्रीकृष्ण सामने आए और मुचकुंद को अपना विष्णु अवतार दिखाया. 

इसलिए कहा जाता है तीर्थों का भांजा

कहते हैं भगवान कृष्ण के कहने पर मुचकुंद ने यहां यज्ञ कराया और सभी तीर्थों का निमंत्रित किया. इस स्थान को सभी तीर्थों का स्नेह मिला. कहते हैं उस यज्ञकुंड में ही पानी भरने से वो पवित्र सरोवर बन गया. मान्यता है कि यहां स्नान करने से चर्मरोग ठीक हो जाते हैं. 

ADVERTISEMENT

जन्माष्टमी पर यहां ये होंगे कार्यक्रम    

महंत कृष्ण दास ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के मुख्य कार्यक्रम 26 अगस्त को सुबह से रात तक होंगे. 26 अगस्त को सुबह 8 बजे से छप्पन भोग और फूल बंगला झांकी के दर्शन होंगे. शाम को 6 बजे से रात 12 बजे तक भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा. रात को साढ़े 9 बजे से पौने 12 बजे तक भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के पावन पर्व पर भगवान का जन्म महाभिषेक किया जाएगा. उसके बाद रात को 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की महाआरती की जाएगी. इसके बाद 27 अगस्त को दोपहर 12 बजे से नंद उत्सव का आयोजन किया जाएगा. 

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें:

Krishna Janmashtami: यहां मुस्लिम कारीगर तैयार करते हैं राधा और श्रीकृष्ण की पोशाक, बोले- 'बहुत खुशी...'
 

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT