पहले किया ब्रेनवॉश और फिर हो गई लाखों की ठगी...आखिर क्या है साइबर अरेस्ट, जिसका शिकार हो गईं IIT प्रोफेसर?

Ashok Sharma

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पीड़ित का ब्रेनवॉश करना, फिर साइबर अरेस्ट और उसके बाद उससे लाखों की ठगी. सुनने में भले ही यह अजीब लग रहा हो, लेकिन यह हकीकत है. साइबर ठगी की यह वारदात राजस्थान के जोधपुर में सामने आई है. जानकारी के मुताबिक इन दिनों राजस्थान में ऑनलाइन फ्रॉड का एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है. जिसमें पीड़ित के कम्युनिकेशन के सभी डिवाइस पर बदमाश कंट्रोल कर लेते हैं. फिर अपनी मर्जी से ट्रांजेक्शन करवा लेते हैं. ऐसे मामला जयपुर में भी सामने आ चुका है.

ठगों ने इस बार जोधपुर आईआईटी की प्रोफेसर अमृता पुरी को निशाना बनाया और करीब 12 लाख की राशि लूट ली. पहले उन्हें 10 दिन तक साइबर अरेस्ट रखा. इस दौरान असिस्टेंट प्रोफेसर से कहा गया कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के केस में सस्पेक्ट है. जो राजस्थान के लिए घातक है. उनसे कहा गया कि इसके चलते उन्हें सर्विलांस पर रहना होगा और ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. जैसे ही प्रोफेसर ने बदमाशों की बात मानी और ठगों ने चेक के जरिए आरटीजीएस करवा कर 11 लाख 97 हजार ट्रांसफर करवा लिए.

 

 

प्रोफेसर के साथ ऐसे ही हुई ठगी, समझिए पूरा मामला

पुलिस थाना करवड़ के थानाधिकारी  महेंद्र कुमार ने इस वारदात की पुष्टि करते हुए बताया कि प्रोफेसर की रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है. जानकारी के अनुसार बदमाशों ने पहले 1 अगस्त को अलग-अलग नंबर से प्रोफेसर अमृता पुरी को कई कॉल किए. प्रोफेसर से कहा गया कि उनका एक पार्सल मुंबई में आया हुआ है. जिसमें नशे की सामग्री, कई पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड भी है. आप इसकी रिपोर्ट मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच में करवा दें. इसके बाद बदमाश ने खुद ही प्रोफेसर का फोन क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर किया.

जब कॉल ट्रांसफर किया गया तो बताया गया कि आप मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंस गई है. इसलिए सहयोग करें और ऐसा नहीं करने पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाएगा. लेकिन इसके बाद खुद को मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच का पुलिस अधिकारी बता कर बदमाश ने प्रोफेसर को लगातार सर्विलांस पर रखने की बात कही. इसके बाद प्रोफेसर का मोबाइल कंट्रोल ले लिया और फिर उसका मोबाइल का कैमरा ऑन रखा. फिर स्क्रीन शेयर कर की गई ताकि प्रोफेसर किसी से कांटेक्ट नहीं कर सके. उनके लैपटॉप से भी skype के जरिए कनेक्ट किया गया. इतना ही नहीं ऑनलाइन रिपोर्ट भी ले ली. उसके अगले दिन किसी व्यक्ति ने खुद को डीसीपी बताते हुए अरेस्ट करने की धमकी दी, लेकिन लगातार दस दिन सर्विलांस पर रखने के बाद फाइनेंशियल वेरिफिकेशन की बात कह कर सभी खातों और फंड्स से रुपए एक जगह लेने का प्रयास हुआ.

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नई चेक बुक इश्यू करवाई और फिर हो गई ठगी

लेकिन बदमाशों की ये तरकीब काम नहीं आई और नेट बैंकिंग के जरिए फंड ट्रांसफर नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने नई चेक बुक इश्यू करवाई. जिसके बाद 12 अगस्त को उससे यस बैंक के एक खाते में चेक से आरटीजीएस के मार्फत 11 लाख 97 हजार रुपए ट्रांसफर करवाया गया. इसके बाद ठगों ने संपर्क तोड़ लिया. बीतें कई दिनों से चल रही इस साजिश का जब प्रोफेसर को पता चला तब तक उन्हें लाखों का चूना लग चुका था. जिसके बाद प्रोफेसर ने जोधपुर साइबर थाने में सुचना देने पर पर अकाउंट होल्ड करवाए. प्रोफेसर की शिकायत पर करवड़ पुलिस थाने में रिपोर्ट दी गई. 

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