Exclusive Interview: राहुल कस्वां बोले- चुनाव से पहले ही राठौड़ ने कर दी थी टिकट कटवाने की प्लानिंग, मैंने जीतकर मिटाई उनकी खाज
चूरू लोकसभा सीट का मुकाबला काफी रोचक रहा क्योंकि बीजेपी से सांसद रहे राहुल कस्वां का टिकट पार्टी ने काट दिया और उन्हें कांग्रेस (Congress) ने प्रत्याशी बनाया. इस सीट पर कस्वां ने एक बार फिर जीत हासिल की और बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र झाझरिया को शिकस्त दी. अब सांसद बनने के बाद राहुल कस्वां ने इन तमाम मुद्दों पर Rajasthan Tak से खास बातचीत की.
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लोकसभा चुनाव-2024 में राजस्थान के नतीजें बेहद चौंकाने वाले रहे. 10 साल बाद ना सिर्फ कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की, बल्कि गठबंधन के साथ मिलकर बीजेपी को 11 सीटों पर शिकस्त दी. शेखावाटी क्षेत्र में कांग्रेस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी. इसी क्षेत्र की हॉट सीट चूरू का मुकाबला इसलिए भी रोचक रहा क्योंकि बीजेपी से सांसद रहे राहुल कस्वां का टिकट पार्टी ने काट दिया और उन्हें कांग्रेस (Congress) ने प्रत्याशी बनाया. इस सीट पर कस्वां ने एक बार फिर जीत हासिल की और बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र झाझरिया को शिकस्त दी.
इस चुनाव में हार भले ही झाझरिया की हुई, लेकिन इसे बीजेपी के दिग्गज नेता राजेंद्र राठौड़ के लिए झटके के तौर पर देखा गया. क्योंकि अंदरखाने चर्चा रही कि कस्वां के टिकट कटवाने के पीछे राठौड़ की भूमिका थी और उन्होंने ही झाझरिया को विकल्प के तौर पर पेश किया. इस पूरे चुनावी अभियान के दौरान कस्वां और राठौड़ के बीच जुबानी जंग देखने को मिली.
अब सांसद बनने के बाद राहुल कस्वां ने इन तमाम मुद्दों पर Rajasthan Tak से खास बातचीत की. पढ़िए Exclusive Interview के खास अंश....
सवालः पहले बीजेपी और अब कांग्रेस से सांसद बने. लोकसभा नतीजों के बाद किन नेताओं ने कॉल किया?
जवाबः मेरी जीत के बाद कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व से कॉल आए. मुझे अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा और सचिन पायलट ने कॉल करके बधाई दी.
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सवालः आपके परिवार का बीजेपी से एक लंबा रिश्ता होने के बावजूद टिकट कटा. इसके पीछे की कहानी क्या है?
जवाबः मेरा जब टिकट कटा तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी से बात हुई थी. उन्होंने कहा था कि मान-सम्मान का पूरा ध्यान रखा जाएगा. मेरा सवाल यही था कि अब टिकट कटने के बाद कैसा मान-सम्मान? साथ ही जिन लोगों ने मेरे और मेरे पिता के साथ वसुंधराजी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया. उन्हें तो टीम में शामिल किया गया. इन सवालों का उनके पास जवाब नहीं था. मैंने ट्वीट करके भी पूछा था कि आखिर मेरा कसूर क्या है?
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सवालः वसुंधरा राजे से आपके परिवार का गहरा रिश्ता रहा. क्या आपको किसी तरह की गुटबाजी का नुकसान हुआ?
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जवाबः वसुंधरा जी हमारी लीडर रही हैं. उनके कार्यक्रम में जाना पार्टी लाइन से बाहर नहीं हो सकता था. जहां तक सवाल मेरी परफॉर्मेंस को लेकर है तो पार्टी ने स्टैडिंग कमेटी में बैठक में उपस्थिति का निर्देश दिया, मेरी उपस्थिति 100 फीसदी रही. पार्टी के निर्देशानुसार सोशल मीडिया पर भी मैं पूरी तरह सक्रिय रहा. मैंने कभी मीडिया में बयान दिया था. इस पूरे संसदीय क्षेत्र में मैं, मेरे पिता और मेरी माता लोगों के बीच काम करते थे. अगर मुझमे कोई कमी थी तो अध्यक्ष की जिम्मेदारी थी कि मुझे बुलाते और मुझसे सवाल करते. तब मैं बताता कि किसने पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाया है. विधानसभा चुनाव में जयपुर से श्रीगंगानगर तक राजेंद्र राठौड़ ने टिकट बाटें, लेकिन इस बेल्ट में पार्टी की बुरी तरह हार हुई. उसे लेकर भी बातचीत होनी चाहिए थी.
सवालः आपके पिता और राजेंद्र राठौड़ के काफी अच्छे संबंध थे, फिर ऐसा क्यों हुआ?
जवाबः मेरा भी सवाल उनसे यही था कि दुख और खाज किस बात का है? मैं तो बिल्कुल नया था, उनके खिलाफ कई मुकदमे ंहुए हैं मेरे आने से पहले थे. ऐसे में उन्हें मुझसे दिक्कत क्या थी. मैंने चुनाव जीतकर उनके बार-बार टिकट कटवाने की खाज मिटा दी. क्योंकि वो सार्वजनिक तौर पर तो बोल नहीं पाए, उनके लोग कहते थे कि टिकट लेने नहीं देंगे.
सवालः साल 2023 में बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद को लेकर फैसला लिया और वसुंधरा राजे को मौका नहीं दिया. इसे आप कैसे देखते हैं?
जवाबः मुझे इस बार में कुछ नहीं कहना, वो पार्टी का फैसला था. लेकिन जिस तरह से वो फैसला लिया गया, उससे जनता के बीच में अच्छा संदेश नहीं गया. लोकसभा चुनाव के दौरान भी लोगों के मन में यह बात थी.
सवालः आपका जब टिकट कटा तो आपने आवास पर लोगों को संबोधित किया, उसे आपके शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया?
जवाबः नहीं, वो कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं था. तब पार्टी के पदाधिकारियों के फोन कॉल आए थे तो मैंने यही पूछा कि मेरी गलती क्या थी. प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ देने का मामला हो या खिलाड़ियों के लिए सिंथेटिक ट्रेक की बात हो, हर मामले में क्षेत्र के लिए काम किया. मैंने कभी भी मंत्री पद या संगठन में पद की डिमांड नहीं की. हमेशा पार्टी के लिए काम करता रहा.
सवालः देवेंद्र झाझरिया का टिकट और राजेंद्र राठौड़ की कैंपेनिंग को आप कैसे देखते हैं?
जवाबः मुझे पहले ही पता था कि झाझरिया ही उम्मीदवार बनेंगे. इसी साल चुनाव से 2 महीने एक कार्यक्रम में राठौड़ ने उनसे कहा था कि आप तैयारी करिए. झाझरियाजी के टिकट से पहले ही पूरे क्षेत्र में राठौड़ लोगों से मिलना शुरू कर चुके थे.
सवालः पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से आज भी आप संपर्क में हैं?
जवाबः उनके लिए हमेशा आदर रहा है. लेकिन अब मैं उनके संपर्क में नहीं हूं. राजस्थान को जिसने भी लंबा नेतृत्व दिया है, मैं हर उस लीडर का आदर करता हूं. मैडम का नेतृत्व भी पूरे राजस्थान ने देखा है.
सवालः आप बीजेपी से सांसद रहे तो आप इस बात को समझते होंगे कि बीजेपी बहुमत से रह गई, ऐसा क्यों हुआ?
जवाबः अग्निवीर योजना को लेकर युवाओं की नाराजगी सामने आई है. किसान आंदोलन से भी बीजेपी को काफी नुकसान हुआ और बीजेपी इस नेरैटिव को तोड़ नहीं पाई. हमने अग्निवीर को लेकर नेतृत्व से कहा था कि राजस्थान बहुत बड़ा राज्य है, यहां युवाओं का बड़ा हिस्सा भारतीय सेना में भर्ती के लिए प्रयासरत रहता है. इसे लेकर बहुत बड़ी नाराजगी है. किसान आंदोलन का असर हरियाणा-पंजाब से होते हुए श्रीगंगानगर तक भी था. लेकिन हमेशा कम्युनिकेशन का बहुत बड़ा गैप रहा.
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