ओम बिरला के नाम दर्ज हो सकता है रिकॉर्ड, अब बीजेपी की कमान होगी हाथ? बन रहे ये समीकरण!

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एनडीए सरकार के गठन के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिमंडल के सदस्य शपथ ले चुके हैं. राजस्थान से 4 सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली. लेकिन स्पीकर रहे ओम बिरला को इसमें जगह नहीं दी गई. इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि ओम बिरला को कैबिनेट में जगह मिल सकती है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वहीं, बिरला को लेकर अब कई विकल्पों की चर्चा हो रही है. कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें एक बार फिर लोकसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है. हालांकि लोकसभा अध्यक्ष बीजेपी (BJP) का सदस्य बनेगा या एनडीए के सहयोगी दल का, इसे लेकर फिलहाल कुछ भी स्पष्ट नहीं है. अगर बीजेपी के कोटे से बिरला लोकसभा अध्यक्ष बनते हैं तो वह एक रिकॉर्ड दर्ज करने के करीब होंगे. 

दूसरा कार्यकाल पूरा होते ही ऐसा करने वाले बिरला दूसरे लोकसभा अध्यक्ष हो सकते हैं. अभी तक यह रिकॉर्ड बलराम जाखड़ के नाम है. हालांकि जीएम बालयोगी और पीए संगमा को भी दो बार अध्यक्ष चुना गया था लेकिन वह दूसरा कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.

 

 

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे बिरला? 

वहीं, अगर सहयोगी दलों के चलते बीजेपी अपना लोकसभा अध्यक्ष बनाने में असफल रहती है तो ओम बिरला के लिए एक और विकल्प हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जेपी नड्डा को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिलने के बाद अब राष्ट्रीय अध्यक्ष में बिरला का नाम भी दावेदार के तौर पर सामने आ रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के करीबी होने के चलते उनका दावा मजबूत माना जा रहा है. 

हालांकि कयास यह भी है कि इस पद के लिए बीजेपी उन राज्यों में से किसी नेता का चुनाव करेगी, जहां आगामी कुछ महीनों में चुनाव होने है. जैसे महाराष्ट्र, बिहार, हरियाणा या फिर दिल्ली. ताकि इसका फायदा उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में मिल सके.   

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प्रदेश में संगठन के मुखिया भी हो सकते हैं पूर्व स्पीकर?

राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष पद पर नए नाम को लेकर भी चर्चा तेज है. क्योंकि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के चलते प्रदेश में बीजेपी के मुखिया सीपी जोशी सोशल इंजीनियरिंग में फिट नहीं बैठते. अब लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद उनकी जगह किसी नए चेहरे की नियुक्ति की चर्चा चल रही है. ऐसे में इस पद पर भी बिरला की संभावना देखी जा रही है.

लेकिन वैश्य समाज से आने वाले बिरला की बजाय पार्टी जाट या राजपूत समाज को भी साधने पर जोर दे सकती है. प्रदेश की सियासत में निर्णायक भूमिका निभाने वाले इन दोनों समाज को लेकर बीजेपी से नाराजगी की चर्चा है. ऐसे में माना जा रहा है कि डैमेज कंट्रोल के लिए बीजेपी इन्हीं समाज में से किसी को संगठन की कमान दे सकती है.  

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