रंधावा की धमकी का गहलोत-पायलट पर क्यों नहीं पड़ रहा असर, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

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Sharat Kumar Show: पलक झपकते ही सुर्ख फूल को नुकीली चाकुओं में बदल देता है. आपको लगता है एक बार फिर से वह नुकीली चाकुओं को सुर्ख फूलों में बदल देगा, मगर वो ऐसा करता नहीं है. इस बार दूसरा खेल दिखाता है. राजस्थान की सियासत में जादू, जादुगर और जादूगरी का खेल चल रहा है. आपको पता है जादू माया है जादू भ्रम है. जादू असलियत नहीं है. जादू हकीकत नहीं है. मगर जब सचिन पायलट ने सवाल उठाया कि क्या सात तालों में बंद प्रश्न पत्र पेपर माफिया के पास जादूगरी से चला जाता है तो हो हल्ला मचना ही था क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद को जादूगर कहते हैं. जवाब आया हनुमानगढ़ से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कि हां मैं जादूगर हूं. तभी तो मैं तीसरी बार मुख्यमंत्री बना हूं.

वैसे लोकतंत्र में असली जादूगर जनता होती है. मगर फिर कहता हूं मैं कि जादू भ्रम है. जादू माया है. वरना होना तो यह चाहिए था कि अगर जादू वाकई में हकीकत होता तो फिर कैसे राजस्थान में प्रश्न पत्र लीक हो रहे हैं वो पता चल जाता कि कौन लीक कर रहा है. मगर इससे आगे बढ़ते हैं कि राजस्थान की सियासत में कौन जादूगर है और किसकी जादूगरी से पेपर लीक हो रहा है.

सचिन पायलट लगातार ताबड़तोड़ पांच सभाओं के बाद विराम पर हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को लेकर हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर के दौरे पर पहुंचे हैं. शुरुआत तो उन्होंने कर दी थी कल ही हमला बोलकर कि सरकार गिराने की साजिश हुई थी. उसके बाद हनुमानगढ़ पहुंचे जहां पर सुखजिंदर सिंह रंधावा जैसा कि मैं आपसे कह रहा था कि भरा जा रहा है भरा जा रहा है. भरते भरते उन्होंने कहा कि कांग्रेस से ऊपर कोई नहीं है.

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आप समझ सकते हैं कि कांग्रेस की हालत क्या है. और जब सुखजिंदर जी रंधावा बोल रहे हैं श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में, ठीक उसी वक्त कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सांगोद से विधायक पूर्व मंत्री भरत सिंह यहां ऐलान कर रहे हैं कि मैं धरने पर बैठने जा रहा हूं. राज्य के खान एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया के खिलाफ क्योंकि वो भ्रष्टाचारी हैं. और भरत सिंह साफ-साफ कहते हैं कि मैंने तो छोड़ दिया विधायकी का पद यानी कि अगला चुनाव नहीं लड़ूंगा क्योंकि युवाओं को मौका देना चाहिए.

जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी युवाओं को मौका देना चाहिए तो क्या आपको नहीं पता है. दे दिया उन्होंने अपने बेटे को. अपने बेटे को आगे बढ़ा ही रहे हैं. यही तो है युवाओं का मौका देना. इतना तंज कसा जा रहा है और सुखजिंदर रंधावा पता नही किसको कह रहे हैं कि अनुशासन में रहना होगा अगर पार्टी में रहना है तो. दूसरी तरफ अलवर की बैठक में प्रधान ने कहा, हाथ से हाथ जोड़ो की बैठक थी. मगर कांग्रेस में तो हाथ से हाथ को तोड़ो चल रहा है. यहां देखिए ये पूरा पॉलिटिकल शो

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