हवा महल का नाम हवा महल क्यों रखा गया? जानें

फोटो: hawamahalpalace

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हवा महल ऐसी अनूठी अद्भुत इमारत है, जिसमें मुगल और राजपूत शैली का मिश्रण है.

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15 मीटर ऊंचाई वाले पांच मंजिला पिरामिडनुमा महल के वास्तुकार लाल चंद उस्ताद थे. 

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5 मंजिला होने के बावजूद आज भी हवा महल सीधा खड़ा है. 

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कहा जाता है महाराज सवाई प्रताप सिंह कृष्ण के बड़े भक्त थे, 

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उनकी भक्ति महल के ढांचे के डिजाइन से ही प्रतीत होती है, 

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जो एकदम भगवान कृष्ण के मुकुट के समान दिखता है. 

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महल में 953 नक्काशीदार झरोखे हैं, जिनमें से कुछ तो लकड़ी से बने हैं.

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इन झरोखों का निर्माण ऐसे किया गया था कि गर्मियों में ताजी हवा के माध्यम से पूरी इमारत ठंडी रहे.

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हवा महल के बारे में एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि पूरी इमारत बिना किसी ठोस नींव के रखी गई है.

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इसे बिना किसी नींव के दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में से एक माना जाता है.

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माना जाता है हवा महल का नाम यहां की 5 वीं मंजिल के नाम पर रखा गया है. 

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क्योंकि 5 वीं मंजिल को हवा मंदिर के नाम से जाना जाता है. 

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इसलिए इसका नाम हवा महल रखा गया.

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