इन जंगलों में तैयार हुए शहद से होगा अयोध्या में भगवान राम का अभिषेक, 13 को रवाना होगा रथ

Himanshu Sharma

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Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर (Ram Mandir Inauguration) में रामलला विराजमान होंगे. 16 जनवरी से भगवान राम का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम शुरू होगा. इस दौरान अलवर के शहद से भगवान राम का अभिषेक किया जाएगा. सरिस्का के जंगलों में 3 साल के दौरान विभिन्न फूलों के रस से शहद तैयार किया गया है. 13 तारीख को 125 किलो शहद लेकर रथ अलवर से रवाना होगा और 14 तारीख को अयोध्या पहुंचेगा. उससे पहले वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर और अलवर के जगन्नाथ मंदिर में भी शहद का पूजन किया जाएगा.

वेंकटेश्वर बालाजी दिव्य धाम के मुख्य स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया कि साधु संतों की तरफ से उनको राम मंदिर में जाने का न्योता मिला है. इसी दौरान उनको पता चला की राम मंदिर समिति ट्रस्ट को शुद्ध शहद की आवश्यकता है. इस पर उन्होंने समिति के पदाधिकारी से बातचीत की तो उन्होंने शहद भेजने के लिए कहा.

सरिस्का के जंगलों में जितेंद्र गौतम की तरफ से शहद तैयार किया जाता है. बीतें 3 साल के दौरान 125 किलो तैयार शहद अयोध्या भेजा जाएगा. 13 जनवरी को अलवर के जगन्नाथ मंदिर से अयोध्या के लिए रथ रवाना होगा. रथ में विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी शहद लेकर अयोध्या जाएंगे और 14 तारीख को दोपहर में शहद के घड़े राम मंदिर समिति ट्रस्ट के पदाधिकारी देंगे.

अलवर में इस खास वजह से ज्यादा होता है शहद का व्यापार

उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा में प्राण प्रतिष्ठा के स्नान के अंग महत्वपूर्ण होते हैं. प्राण प्रतिष्ठा का मतलब प्राण स्थापित करना होता है. इसमें पंच तत्व पृथ्वी तत्व, जल तत्व, अग्नि तत्व, वायु तत्व और आकाश तत्व शामिल होते हैं. भगवान के स्नान में पंचामृत का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है. जिसमें दूध, दही, मधु, घी और शक्कर होता है. इसमें चौथे स्थान पर मधु आती है. आजकल वैद्य व डॉक्टर भी शहद का सेवन बताते हैं. शरीर में चमक लाने के लिए मधु का सेवन किया जाए. अलवर सरिस्का सेंचुरी के लिए जाना जाता है और यहां पर शहद प्रचुर मात्रा में होता है. अलवर की मुख्य फसल सरसों है और सरसों के फूल से शहद ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. अलवर के जितेंद्र गौतम शहद का व्यापार करते हैं. बीते 3 वर्षों में अलग-अलग फूल के रसों से शहद तैयार किया गया है. जहां तुलसी, अजवाइन व केवड़ा की खेती होती है. वहां मधुमखियों के छत्ते लगाए गए. उनसे बिल्कुल शुद्ध शहद तैयार किया गया है. यह शहद इस ठंड के मौसम में भी नहीं जमता है. एक-एक किलो की पैकिंग करके शहद को रखा गया है.

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