सीएम बनते-बनते रहे गए थे डॉ. सीपी जोशी, पत्नी ने नहीं दिया था वोट, एक वोट से हारे थे चुनाव
Siasi Kisse: राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से सियासी संग्राम चल रहा है. कई बार ऐसे मौके आए तब सीएम की कुर्सी लेने के लिए नेताओं ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. चाहे वह मामला दिसंबर 2018 का हो या जून 2020 और उसके बाद 25 सितंबर 2022. इन तीनों मौकों पर राजस्थान में सीएम […]
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Siasi Kisse: राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से सियासी संग्राम चल रहा है. कई बार ऐसे मौके आए तब सीएम की कुर्सी लेने के लिए नेताओं ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. चाहे वह मामला दिसंबर 2018 का हो या जून 2020 और उसके बाद 25 सितंबर 2022. इन तीनों मौकों पर राजस्थान में सीएम की कुर्सी के लिए जबरदस्त खींचतान दिखाई दी. सिंतबर 2022 के ताजा घटनाक्रम के बाद एक बार गहलोत-पायलट सीएम की रेस से बाहर नजर आने लगे. जब आलाकमान ने सीएम गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात कही तो राजस्थान में नए सीएम की चर्चा होने लगी. सीएम गहलोत पायलट के नाम का खुलकर विरोध जता चुके थे तो ऐसे में राजस्थान के सीएम की रेस में एक नया नाम सामने आया. और वह नाम था डॉ. सीपी जोशी का. जो कभी 1 वोट के चलते सीएम बनते-बनते रह गए थे. आइए आज आपको यह किस्सा सुनाते हैं.
सुखाड़िया से प्रभावित होकर राजनीति में आए
अशोक गहलोत के बाद राजस्थान कांग्रेस में सबसे अनुभवी और कद्दावर नेताओ में डॉ. सीपी जोशी का नाम शामिल है. डॉ. सीपी जोशी को संगठन का अनुभव है. साथ वह केन्द्र में मंत्री भी रहे है. डॉ. जोशी 1980 में पहली बार विधायक चुने गए. मोहनलाल सुखाड़िया को देखकर उन्होंने राजनीति में आने का मन बनाया. क्योंकि डॉ. सीपी जोशी जहां रहते थे. वहीं पड़ोस में सुखाड़िया शादी के बाद पत्नी के साथ रहने आए थे. उनको देखकर डॉ. सीपी जोशी प्रभावित हुए और उनके संपर्क में आए. डॉ. सीपी जोशी बताते हैं कि उन्होंने 1977 में विधानसभा चुनावों के टिकट मांगी थी लेकिन मिल नहीं सकी. जबकि 1980 में उन्हें बिना मांगे ही टिकट मिल गई थी. डॉ. सीपी जोशी 1975 में साइकोलॉजी के टीचर बन गए थे. जब 1990 में चुनाव हार तो उन्होंने कॉलेज से साइकोलॉजी में M.sc की. इसके बाद पीएचडी और एलएलबी भी की.
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2008 में एक वोट से चुनाव हार गए
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2008 के दौरान प्रदेश अध्यक्ष की कमान डॉक्टर डॉ. सीपी जोशी के हाथों में थी. इनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2008 में विधानसभा चुनाव लड़ा गया. लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया और वह नाथद्वारा से 1 वोट से चुनाव हार गए. ब्राह्मण समुदाय से आने वाले जोशी की प्रदेश के इस समुदाय पर अच्छी पकड़ मानी जाती है. 2008 के विधानसभा चुनाव में महज एक वोट से चुनाव हार गए थे और वह मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे. जिसके बाद अशोक गहलोत को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था. हालांकि कुछ जानकार मनाते हैं कि 2008 में गहलोत ने सीपी जोशी के खिलाफ गुप्त रूप से प्रचार किया था. जिसके कारण वह चुनाव हार गए थे. इस बात पर सीपी जोशी ने भी मीडिया को बताया कि यह सच है कि मेरी पत्नी ने मुझे वोट नहीं दिया था. वह वोटिंग वाले दिन मंदिर गई थी. इस कारण वह वोट नहीं डाल पाई.
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