राजस्थान: आखिर BJP क्यों कर रही आदिवासी बेल्ट पर फोकस? विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति तैयार!

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Rajasthan: राजस्थान के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की आदिवासी वोटबैंक पर नजर है. क्या बीजेपी नहीं खिसकने देना चाहती अपने हाथ से आदिवासियों का वोट, आदिवासी बेल्ट में अपनी पकड़ मजबूत बनाकर क्या बीजेपी विधानसभा चुनाव में दिखना चाहती है मजबूत. ये तमाम सवाल इस वक्त राजस्थान की राजनीति में छाए हुए हैं और इसकी वजह है आरएसएस के सहसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का डूंगरपुर दौरा. दरअसल, मोहन भागवत शुक्रवार को डूंगरपुर के बेणेश्वर धाम पहुंचे थे. जहां उन्होंने बेणेश्वर धाम पर मंदिरों में दर्शन कर पूजा-अर्चना की.

इस दौरान संघ प्रमुख को तीर कमान भेंटकर उनका स्वागत किया गया. भागवत का स्वागत करने के दौरान सांसद कनकमल कटारा, आसपुर विधायक गोपीचंद मीणा समेत वाल्मीकि समुदाय के कई लोग मौजूद रहे. संघ प्रमुख भागवत डूंगरपुर के भेमई गांव में आरएसएस की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय ग्राम विकास एवं प्रभात ग्राम सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे. जहां कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद तीन दिन तक उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की.

राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में पिछले एक महीने में भागवत का दूसरा राजस्थान दौरा कई मायनों में खास है. बीजेपी विधानसभा चुनावों को लेकर आदिवासी बेल्ट पर काफी फोकस कर रही है. इससे पहले पीएम मोदी मानगढ़ धाम में आए थे. बीते साल चिंतन शिविर के समापन के बाद राहुल गांधी ने बेणेश्वर धाम में एक बड़ी जनसभा को संबोधित कर वनवासी और आदिवासी के मुद्दे को हवा दी थी. कहा जा रहा है कि कांग्रेस के आदिवासी दांव के आगे बीजेपी आदिवासी वोटबैंक को खिसकने नहीं देना चाहती है. ऐसे में आदिवासी बेल्ट में बीजेपी की जीत की भूमिका तय करने के लिए भागवत बेणेश्वर धाम पहुंचे हैं. हालांकि भागवत का ये कार्यक्रम निजी बताया गया है. लेकिन राजनीति में कुछ भी निजी नहीं होता.

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आपको बता दें कि राजस्थान में उदयपुर की 8, बांसवाड़ा की 5, डूंगरपुर की 4, सिरोही की 3 और प्रतापगढ़ की 2 सीटों पर आदिवासी वोटबैंक चुनावों को प्रभावित करता है. वहीं इसके अलावा उदयपुर और बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर भी आदिवासी चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो राजस्थान में 25 सीटें आदिवासी बाहुल्य हैं. जो कि सभी रिजर्व एसटी सीटे हैं. वर्तमान में इन 25 में से सिर्फ 8 सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं. इसके अलावा पूर्वी और मध्य राजस्थान में भी बीजेपी का फोकस है जहां पिछले चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा था. अब आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ये रणनीति कितनी कारगर सिद्ध होगी ये तो वक्त ही बताएगा.

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