चुनाव से पहले वसुंधरा राजे का रिटायर होने का मूड! झालावाड़ में उन्होंने क्यों कही सन्यास की बात?
Will Vasundhara raje retired? राजस्थान के चुनावी संग्राम (rajasthan election 2023) में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vausundhara raje) के एक बयान ने हलचल पैदा कर दी है. झालावाड़ में एक रैली में उन्होंने कहा “मेरे बेटे (सांसद दुष्यंत सिंह) की बात सुनने के बाद मुझे लगता है कि मुझे संन्यास ले लेना चाहिए. क्योंकि आप […]
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Will Vasundhara raje retired? राजस्थान के चुनावी संग्राम (rajasthan election 2023) में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vausundhara raje) के एक बयान ने हलचल पैदा कर दी है. झालावाड़ में एक रैली में उन्होंने कहा “मेरे बेटे (सांसद दुष्यंत सिंह) की बात सुनने के बाद मुझे लगता है कि मुझे संन्यास ले लेना चाहिए. क्योंकि आप सभी ने उसे इतनी अच्छी तरह प्रशिक्षित किया है कि मुझे उसे आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं है. सभी विधायक यहां हैं और मुझे लगता है कि उन पर नजर रखने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि वे अपने दम पर लोगों के लिए काम करेंगे.” अब इस बयान के मायने निकाले जा रहे हैं. सवाल यह कि क्या राजे अब सन्यास लेने जा रही हैं या अपनी सीएम उम्मीदवारी को मजबूत करने के लिए इमोशनल कार्ड खेला है?
राजनैतिक एक्सपर्ट इसे राजे का एक मजबूत सियासी पैंतरा बता रहे हैं. क्योंकि तीसरी लिस्ट में उनके कई करीबियों को टिकट मिल चुके हैं. जबकि यह भाषण बीजेपी की लिस्ट जारी होने के अगले ही दिन आ गया है. ऐसे में साफ तौर पर वह भाषण के लिए जरिए समर्थकों को खास मैसेज दे रही हैं.
50 से ज्यादा सीटों पर राजे खेमा लड़ेगा चुनाव!
अब तक घोषित 182 टिकट को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि इनमें 50 से ज्यादा सीटों पर पूर्व सीएम के करीबियों को मौका मिला है. यानी वसुंधरा राजे की बात को हाईकमान ने तवज्जो दी है. यही नहीं, कैलाभ मेघवाल समेत कई ऐसे नेता भी हैं, जो बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बावजूद भी निर्दलीय चुनाव जीतने का दमखम रखते हैं. ऐसे में राजे गुट के विधायकों की संख्या पार्टी के भीतर और बाहर, दोनों तरफ निर्णायक हो सकती है. ऐसे में उनके रिटायरमेंट वाले बयान को उनके सन्यास लेने के ऐलान से नहीं देखा जा सकता है. ये साफ तौर पर अपनी शक्ति प्रदर्शन की एक नई कोशिश है.
पार्टी में पकड़ मजबूत करने के लिए रिटायरमेंट की कही बात?
वहीं, एक्सपर्ट के मुताबिक इसे पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की राजनीति के उदाहरण से भी देखा जा सकता है. क्योंकि जब उन्होंने लगातार सीएम पद की मांग की या यूं कहे कि वह अपनी जिद पर अड़े रहे. दूसरी ओर राजे ने खुद को सीएम दावेदार से अलग रिटायर होने की बात कह दी है. जानकार की मानें तो ऐसा करके वो अपनी इच्छा को समर्थकों पर छोड़ने की कोशिश कर रही है. क्योंकि ऐसा बोलकर वो समर्थकों से भावनात्मक अपील कर उन्हें एक नया जोश भरेगी और साथ ही खुद की जिद्दी नेता के तौर पर पेश भी करने से बचेगी. जिससे साफ तौर पर उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत होने की दिशा में कदम हो सकता है.
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‘बेटे के लिए भी चल दिया दांव’
सुखाड़िया विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी की मानें तो इसमें कई संदेश छिपे हुए हैं. प्रो. चतुर्वेदी के मुताबिक इसमें तीन संदेश हैं. भाषण के पीछे के दो संदेश उनके विरोधियों के लिए हैं. जिसमें वो कहना चाह रही है कि मेरे लिए मैदान में समर्थक जुटे हुए हैं, जो मेरे लिए लड़ना जानते हैं. दूसरा संदेश यह कि समर्थकों में मैसेज जाएं कि उन्हें राष्ट्रीय नेतृत्व नजरंदाज कर रहा है. ताकि आलाकमान पर दबाब डाला जा सके. इसी के चलते वह अपने समर्थकों से इशारों ही इशारों में भारी समर्थन की बात कह रही हैं. इन सबसे अलग, भाषण का तीसरा संदेश यह है कि अक्सर दुष्यंत राजे को सिर्फ पूर्व सीएम के बेटे के तौर पर देखा जाता है. ऐसे में वह यह चाहती हैं कि उनके बेटे के लिए यह नरेटिव बदल जाएं. जिसके लिए उन्होंने यह बता दिया कि दुष्यंत अब अपने फैसले खुद लेना जानते हैं यानी सीधे तौर पर उनके पॉलिटिकली मैच्योर होने का इशारा है.
राजे ने ऐसा क्या कह दिया?
बता दे कि सभा को संबोधित करते हुए वसुंधरा राजे ने कहा- ‘मुझे लग रहा है कि अब मैं रिटायर हो सकती हूं.’ इसके बाद लोग तालियां बजाने लगे… फिर राजे बोलीं- ‘मेरे पुत्र (सांसद दुष्यंत सिंह) को आज सुनकर लगा कि हां ठीक है.. आपलोगों ने उन्हें अच्छी तरह से सीखा-सीखाकर प्यार से रस्ते पर लगा दिया है. अब मुझे लगता है कि मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है. मुझे लगता है कि आज उनके ऊपर निगाह रखने की कोई जरूरत नहीं है. उनके ऊपर पड़ने की जरूरत नहीं है. वो आपलोगों के काम ऐसे ही करेंगे. ये झालावाड़ है. और इस झालावाड़ को हम हमेशा याद रखेंगे.’
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झालावाड़ में मेरा 10वां नामांकन है- राजे
यही नहीं, उन्होंने आगे कहा कि झालावाड़ में इस बार मेरा 10वां नामांकन है. पहला नामांकन नवम्बर 1989 में सांसद के लिए भरा. लगातार 5 बार सांसद और 4 बार विधायक चुनी गई. आपने सांसद दुष्यंत सिंह को लगातार 4 बार सांसद बनाया. झालवाड़ के आशीर्वाद से 1998 में केंद्र में विदेश मंत्री बनी. उसके बाद केंद्र में लघु उद्योग, कृषि एवं ग्रामीण उद्योग, कार्मिक, लोक शिकायत, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे महत्वपूर्ण विभागों की मंत्री बनी. अभूतपूर्व बहुमत के साथ 2003 और 2013 में प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी. प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनीं.
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यहां पढ़िए वसुंधरा राजे का पूरा भाषण, जब उन्होंने जता दी सन्यास लेने की इच्छा, झालावाड़ में कही ये बात
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