ज्योति मिर्धा की BJP में एंट्री के बाद Congress-RLP गठबंधन पर क्यों लगा ब्रेक ? जानें

Dinesh Bohra

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ज्योति मिर्धा की BJP में एंट्री के बाद Congress-RLP गठबंधन पर क्यों लगा ब्रेक ? जानें
ज्योति मिर्धा की BJP में एंट्री के बाद Congress-RLP गठबंधन पर क्यों लगा ब्रेक ? जानें
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break on Congress-RLP alliance: राजस्थान में 2 महीने बाद ही विधानसभा चुनाव है. इसे देखते हुए राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा थी कि ज्योति मिर्धा (Jyoti Mirdha) की बीजेपी में एंट्री के बाद हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) का कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन हो सकता है. लेकिन अब यह माना जा रहा है कि इस संभावित गठबंधन पर ब्रेक लग गया है. इसके पीछे की वजह भी सामने आई है.

कहा जा रहा है कि पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने सीडब्ल्यूसी की बैठक और कांग्रेस के महासचिव वेणुगोपाल से बात कर आएलपी से गठबंधन न करने की सलाह दी है. एक तरफ कुछ नेता आरएलपी के साथ गठबंधन चाहते हैं. वहीं दूसरी तरफ हरीश चौधरी का मानना है कि इससे कांग्रेस को जबरदस्त नुकसान हो सकता है.

कांग्रेस में अनदेखी के बाद ज्योति मिर्धा ने थामा बीजेपी का दामन

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाली ज्योति मिर्धा ने दावा किया था कि पार्टी में उनकी अनदेखी की गई और कार्यकर्ताओं को भी सम्मान नहीं दिया गया. इसी वजह से उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली. ज्योति मिर्धा ने ‘राजस्थान तक’ से खास बातचीत में कहा था- “कांग्रेस का खून निचोड़कर आरएलपी को सींचा जा रहा था. समय समय पर हमने इसकी जानकारी दी थी. पता नहीं क्या मामला था. क्या मजबूरियां थीं. तब पार्टी में इंटरनल पॉलिटिक्स चल रही थी. सचिन पायलट का ग्रुप बन गया था. उसके बाद सरकार थोड़ी लड़खड़ा सी गई थी. ऐसा लगता है कि आपस में एडजस्टमेंट टाइप का चल रहा था. मुझे लगा उपचुनाव के बाद चीजें बदलेंगी पर तब भी बात नहीं बनी.”

अशोक गहलोत से मिले हुए हैं बेनीवाल- ज्योति मिर्धा

ज्योति मिर्धा ने कहा कि हनुमान बेनीवाल अशोक गहलोत के साथ मिले हुए हैं. इनको पनपाए ही अशोक गहलोत थे. सर्वे बता रहे हैं कि अकेले के दम पर आरएलपी राजस्थान में चुनाव लड़ती है तो इसकी एक भी सीट नहीं आएगी. इसलिए दौड़-भाग कर गठबंधन करते हैं. डीएमएफटी का फंड जारी हुआ है. परबतसर और लांडनूं के अंदर पायलट के खास कहे जाने वाले को जीरो मिला है. वहीं गहलोत के करीबी महेंद्र चौधरी को 22 करोड़ रुपए का फंड मिला है. इधर यही बजट हनुमान बेनीवाल को भी मिला है. गहलोत साहब को भी समझ में आ जाना चाहिए कि किस घोड़े पर दाव लगाना चाहिए.

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