CEC की बैठक में पायलट क्यों नहीं, गहलोत का था दबाव? BJP के अमित मालवीय ने उठाया सवाल
Discussion of tussle between Gehlot and Pilot again in Rajasthan: राजस्थान में कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची पर अंतिम चर्चा के लिए बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई. इस बैठक में राजस्थान से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा मौजूद थे. वहीं मंगलवार […]
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Discussion of tussle between Gehlot and Pilot again in Rajasthan: राजस्थान में कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची पर अंतिम चर्चा के लिए बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई. इस बैठक में राजस्थान से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा मौजूद थे. वहीं मंगलवार को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में सचिन पायलट दिल्ली में मौजूद रहे.
इधर सीईसी की बैठक में पायलट की गैरमौजूदगी को लेकर बीजेपी आईटी सेल के अमित मालवीय ने सवाल उठाया है. अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा- ‘खड़गे जी, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीईसी मीटिंग में स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य बुलाए गए थे. लेकिन राजस्थान की सीईसी मीटिंग में सचिन पायलट को नहीं बुलाया गया. इस निर्णय पर पर्दा डालने के लिए सीपी जोशी को भी नहीं बुलाया. क्या आपने ऐसा गहलोत जी के दबाव में किया या गांधी परिवार के निर्देश पर?’
खड़गे जी, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीईसी मीटिंग में स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य बुलाए गए थे। लेकिन राजस्थान की सीईसी मीटिंग में सचिन पायलट को नहीं बुलाया गया। इस निर्णय पर पर्दा डालने के लिए सीपी जोशी को भी नहीं बुलाया।
क्या आपने ऐसा गहलोत जी के दबाव में किया या गांधी परिवार के… https://t.co/PNi5Xjh0ja
— Amit Malviya (@amitmalviya) October 18, 2023
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बुधवार को सीईसी की बैठक के बाद ये चर्चा सोशल मीडिया पर भी रही. हालांकि कुछ राजनीतिक एक्सपर्ट्स की मानें तो केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में स्क्रीनिंग कमेटी के मेंबर की मौजूदगी नहीं रहती है.
टिकट से पहले गहलोत Vs पायलट फिर क्यों?
दरअसल स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक से पहले गहलोत जयपुर से दिल्ली रवाना होते समय एयरपोर्ट पर पत्रकारों से रूबरू हुए. यहां पत्रकारों से सवाल के दौरान एक बार फिर उन्होंने उस वक्त का जिक्र किया जब राजस्थान में कांग्रेस विधायकों की बाड़ेबंदी हुई थी और गहलोत की सरकार बच पाई थी. कहीं न कहीं मानेसर एपिसोड का जिक्र कर गहलोत अपने फेवर में खड़े करीब 102 विधायकों के टिकट के लिए परोक्ष रूप से वकालत करते हुए दिखे.
तो क्या गहलोत और पायलट में अब टिकट की लड़ाई?
सियासी गलियारों में ये हलचल तेज हो गई कि गहलोत और पायलट में एक बार फिर अंदरुनी रूप से टिकट को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. गहलोत अपने समर्थक विधायकों के लिए टिकट पर जोर दे रहे हैं तो वहीं पायलट अपने विधायकों के लिए.
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