सियासी किस्से: जब अशोक गहलोत के पिता ने कहा था- नहीं ले जाऊंगा बेटे की बारात, पढ़िए शादी का रोचक किस्सा

ADVERTISEMENT

Rajasthantak
social share
google news

Siasi Kisse: राजनीति के ‘जादूगर’ कहे जाने वाले नेता अशोक गहलोत राजस्थान के तीसरी बार मुख्यमंत्री हैं, वह अपने दांव-पेंचों से हमेशा विरोधियों पर हावी दिखते हैं. राजस्थान की राजनीति में उनके कद काफी ऊंचा माना जाता है. सचिन पायलट की लाख कोशिशों के बाद भी वह गहलोत को सीएम की सीट से नहीं हटवा सके. लोग इसे उनकी जादूगरी बताते हैं. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उनका नाम चलता रहा लेकिन जानकार कहते हैं, गहलोत जो करते हैं वह हर कोई नहीं समझ पाता.और देखिए एक छोटे से घटनाक्रम के बाद वह राजस्थान में अपनी सीएम की कुर्सी भी बचा गए और अध्यक्ष भी नहीं बने. और गहलोत बिल्कुल ऐसा ही चाहते थे.

वह अपने विरोधियों को पस्त भी कर देते हैं और विरोधी इसको समझ भी नहीं पाते. गहलोत के इसी तरह के अनेको किस्से आपको सुनने को मिल जाएंगे. लेकिन आज आपको सीएम गहलोत की शादी का एक किस्सा बताएंगे. जो अभी तक शायद ही आपने सुना होगा.

भीमराव अंबेडकर की 131वीं जयंती पर गहलोत ने अपनी शादी का एक किस्सा शेयर किया. वह सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के एक कार्यक्रम में जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में बोल रहे थे. इसी दौरान गहलोत ने अपनी शादी से जुड़ा एक रोचक किस्सा शेयर किया.

ADVERTISEMENT

गहलोत ने बताया जब वे 1977 में वह एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष थे. तब उनकी शादी जोधपुर की रहने वाली सुनीता से तय हुई. उस दौरान देश में छुआछूत जैसी कुरीतियां व्याप्त थी. गहलोत जोधपुर के जिस मोहल्ले में रहते थे. वहां आसपास सभी जाति के लोग रहते थे. गहलोत के परिवार का सभी जाति के लोगों से मेलजोल था. जब गहलोत घोड़ी पर चढ़कर बारात लेकर ससुराल जाने वाले थे तो उनके ससुर ने बारात में सभी जातियों के लोग लाने पर नाराजगी जताई तो इस पर गहलोत के पिता लक्ष्मणसिंह ने बारात लेकर आने से इंकार कर दिया.

यह भी पढ़ें: आजादी के बाद से ही राजस्थान कांग्रेस में फेस वॉर? जानें हीरालाल शास्त्री के CM बनने की कहानी

ADVERTISEMENT

पिता के इस फैसले से गहलोत भी सहमत थे. गहलोत ने ऑडिटोरियम में छुआछूत को समाज का कलंक बताते हुए कहा कि हमारे मोहल्ले में सभी जाति के लोग रहते हैं. पिता ने सभी तो शादी का न्योता दिया था और सभी लोग बारात में चलने को तैयार हुए तो ससुराल वालों ने इस पर आपत्ति जताई तो पिता जी ने बारात ले जाने से मना कर दिया. बाद में बात बढ़ने लगी तो ससुराल वालों ने हमारी बात मान ली. जिसके बात गहलोत बारात लेकर पहुंचे. उनकी बारात में सभी जाति के लोग शामिल हुए.

ADVERTISEMENT

सियासी किस्से: बेटे दुष्यंत को सिर्फ 50 रुपये पॉकेट मनी देती थीं वसुंधरा राजे, पढ़िए रोचक किस्सा

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT