कांग्रेस आलाकमान को दिखाई दी आंख, अब कट जाएगा धारीवाल-राठौड़ और महेश जोशी का टिकट!

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Shanti dhariwal and mahesh joshi ticket may be cut: राजस्थान विधानसभा चुनाव (rajasthan assembly election) को लेकर कांग्रेस की पहली लिस्ट को लेकर मंथन हो गया है. बावजूद इसके पहली लिस्ट जारी नहीं हुई है. खबरें आ रही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खास 3 नेताओं को लेकर हाईकमान ने नाराजगी जाहिर की है. जिसमें 2 मंत्री और एक टिकट के दावेदार है. ये तीनों खास है मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और पहली बार टिकट मिलने के इंतजार में बैठे धर्मेंद्र राठौड़. दरअसल, 18 अक्टूबर को सीईसी की बैठक के बाद इन 3 नेताओं पर संकट खड़ा हो गय है.

वजह यह है कि धारीवाल, जोशी और राठौड़ ने पार्टी आलाकमान को 25 सिंतबर 2021 को आंख दिखाई और कांग्रेस विधायकों की बगावत का नेतृत्व किया था. इसी बात को लेकर अब केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) ने दो मंत्रियों सहित तीन मौजूदा विधायकों की उम्मीदवारी पर सवालिया निशान लगा दिया है.

एक और कांग्रेस नेता का नाम लंबित सूची में

खबर है कि जब बैठक के दौरान इन नेताओं के टिकट पर चर्चा हुई, तब मुख्यमंत्री ने इस पर चुप्पी साधे रखी. हालांकि मौजूदा विधायकों को बनाए रखने पर जोर दिया, क्योंकि उनका कहना है कि इन विधायकों ने पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की है. इन 3 नेताओं के अलावा कांग्रेस नेता धीरज गुर्जर के टिकट पर भी संकट के बादल है. जानकारी के मुताबिक पार्टी सर्वे में रिपोर्ट अच्छी नहीं होने के चलते इनके टिकट को फिलहाल लंबित सूची में रखा गया है.

गहलोत गुट ने आलाकमान के सामने रखी ती ये मांग

बता दें कि जयपुर में 25 सितंबर को पार्टी के विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी. बैठक के लिए पार्टी ने राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा गया तो गहलोत समर्थक विधायकों ने बगावत बुलंद कर दी और बैठक से पहले अपनी अलग मीटिंग की. मंत्री शांति धारीवाल के घर पर विधायक जुटे. इस बैठक के बाद गहलोत खेमे के विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचे और करीब 80 से ज्यादा विधायकों ने पायलट के सीएम बनाए जाने के विरोध में अपना इस्तीफा सौंप दिया था.

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गहलोत कुगट की मांग थी कि कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगा. इसके साथ शर्तें भी रख दी कि सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही सीएम बने. दूसरी शर्त ये थी कि सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाए. तीसरी शर्त भी रखी कि जो भी नया मुख्यमंत्री हो, वो गहलोत की पसंद का ही होना चाहिए.

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