जब भैरोसिंह शेखावत बने मुख्यमंत्री, उनकी मां बोलीं- म्हारो भैरुसिंह को सरपंच बणग्यो

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Siasi Kisse: सीकर के खाचरियावास में पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत का जन्मशताब्दी समारोह मनाया गया. बाबोसा कहे जाने वाले शेखावत ने राजस्थान में पहली बार बीजेपी को सत्ता में काबिज किया. इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं वो किस्सा जब उन्हें मुख्यमंत्री चुना गया और उनकी मां ने पूरे गांव में मिठाई बंटवाई कि म्हारो भैरुसिंह राजस्थान को सरपंच बणग्यो.

अल्पमत के बावजूद सत्ता चलाने का हुनर भैरोसिंह शेखावत ने पूरे प्रदेश को सिखाया. साल 1952 के बाद से राजस्थान में 11 में से लगातार 10 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. साल 1993 में बीजेपी को जब 95 सीटें मिली तो विधायक दल का नेता भैरोसिंह शेखावत को चुना गया. जिसके बाद समर्थित उम्मीदवारों के साथ पार्टी को साधते हुए सरकार को बखूबी चलाया.

जब पहली बार 1977 में जनता पार्टी के नेता के तौर पर सूबे के सीएम बने. तब शपथग्रहण के बाद उनके गांव खाचारियावास में उनकी मां ने यह कहकर गुड़-पताशे और मिठाई बंटवाई कि म्हारो भैरुसिंह राजस्थान को सरपंच बणग्यो. शेखावत के नाती और भाजपा नेता अभिमन्यु सिंह राजवी बताते है कि जब मुख्यमंत्री की शपथ लेकर सीधा मंच से उतरते ही अपनी मां के पांव छू कर प्रणाम किया तो मां ने यही आशीर्वाद दिया कि भैरूंसिंह तू सरपंच तो बणग्यो है, अब कदेई कोई गरीब री हाय (तकलीफ) मत लीजे. सीएम बनने के बाद शेखावत बहुत देर तक सचिवालय में काम करते थे. इस दौरान अन्य लोग अपना खाना सचिवालय में मंगा लेते थे. लेकिन सीएम ऐसा नहीं करते थे. क्योंकि वह अपनी मां और परिवार के साथ ही भोजन करना पसंद करते थे. भले ही कितनी ही देर हो जाए.

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हालांकि यह बात उनकी मां पसंद नहीं करती थी. एक बार जब रात को बहुत लेट घर पहुंचे तो भोजन करते समय मां ने डांटते हुए कहा कि भैरूंसिंह, तू आ किसी सरपंच की नौकरी कर ली. ना खाणो खाबा रो ठिकाणो ना सोबा रो, तू एक काम कर, थारी आ नौकरी तो छोड़, थारे कने अत्रा बाण्या आवे है, कोई बाण्या ने कैर चोखी सी नौकरी कर ले तो थारे खाबा पीबा रो तो आराम रैवे. यह बात सुनकर शेखावत सहित पूरा परिवार जोर से हंसने लगा. अपनी मां के भोलेपन का सम्मान करते हुए उन्होंने कहा कि ठीक है भाभू, आप कैवो हो तो कोई दूसरी नौकरी देखूं.

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मां पहुंची विधानसभा, शेखावत से की बहस तो सुखाड़िया को डांटा 
ऐसा ही एक किस्सा खास है. जब उनकी मां विधानसभा पहुंची तब जनसंघ विधायक दल के नेता शेखावत और तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के बीच बहस चल रही थी. उन्होंने देखा कि दोनों सदन में एक-दूसरे से जबरदस्त वाद-विवाद कर रहे थे और आरोप लगा रहे थे. उसके बाद उनकी मां शेखावत के कक्ष पहुंची तो देखा सुखाड़िया सामने ही बैठे थे. सुखाड़िया ने जब मां के पांव छूकर प्रणाम किया तो शेखावत से बहस वाले मामले को लेकर मां ने गुस्सा जता दिया. जिस पर सुखाड़िया और शेखावत जोर से हंसने लगे. शेखावत ने कहा कि भाभू (मां) यह तो राजनीति है, हम तो सगे भाई जैसे है. यह बात सुनकर शेखावत की मां ने सुखाड़िया को तो खूब लाड़ किया और आशीर्वाद दिया.

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जोड़-तोड़ की राजनीति के माहिर थे शेखावत
राजस्थान के सीकर जिले के गांव खाचरियावास के 23 अक्टूबर 1923 को हुआ. गरीब परिवार में जन्मे इस राजनेता का बचपन काफी संघर्षपूर्ण रहा. शेखावत को जोड़-तोड़ की राजनीति में माहिल खिलाड़ी माना जाता था. ना सिर्फ राजस्थान में भाजपा की जड़े मजबूत की, बल्कि सूबे में तीन बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी काबिज हुई. प्रदेश ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी उन्हें महारथ हासिल थी. जब भी भाजपा के भीतर अंदरुनी कलह तेज होती तो संकटमोचक के रूप में इन्हें ही याद किया जाता था. चाहे फिर गुजरात हो या दिल्ली, हर मामलों में इन्होंने पार्टी को संकट से उबारने में अहम भूमिका निभाई.

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