सियासी किस्से: राजनीति के जादूगर गहलोत जिस सीट से हारे पहला चुनाव, उसी को बनाया अपना गढ़, जानें
Siasi Kisse: राजनीति में अशोक गहलोत की जादूगरी के किस्से तो आपने कई सुने होंगे. पर क्या आपको पता है कि 3 बार सीएम और 3 बार कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले गहलोत अपना पहला ही चुनाव जोधपुर की सरदारपुरा सीट से हार गए थे. खास बात यह भी है कि जिस सीट से […]
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Siasi Kisse: राजनीति में अशोक गहलोत की जादूगरी के किस्से तो आपने कई सुने होंगे. पर क्या आपको पता है कि 3 बार सीएम और 3 बार कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले गहलोत अपना पहला ही चुनाव जोधपुर की सरदारपुरा सीट से हार गए थे. खास बात यह भी है कि जिस सीट से वह चुनाव हारे उसी को अपना गढ़ भी बनाया और सरदारपुरा सीट से लगातार पांच बार विधायक बने. सरकार चाहे बीजेपी की बने या कांग्रेस की लेकिन वह हर बार यहां से चुनाव जीते. साल 2013 में मोदी लहर के समय भी वह अपनी सीट जीतने में कामयाब रहे थे.
अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि गहलोत ने पहला चुनाव कब लड़ा और वह कितने हजार वोटों से हारे? ऐसी क्या वजह थी कि राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत अपना पहला ही चुनाव हार गए? चलिए जानते हैं उनके इसी सियासी किस्से के बारे में.
विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाज सेवा से जुड़े कार्यों में अशोक गहलोत की काफी रुचि थी. यही कारण रहा कि वह विद्यार्थी जीवन में ही कांग्रेस से जुड़ गए. 1973 से 1979 तक वह वह कांग्रेस की छात्र विंग एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे. उनकी गिनती संजय गांधी के करीबी नेताओं में थी, हालांकि उनको राजनीति में लाने वाली इंदिरा गांधी थीं जो उनके काम से काफी प्रभावित थीं. पूर्वोत्तर क्षेत्र में गहलोत ने शरणार्थियों के लिए काफी काम किया था जिससे प्रभावित होकर इंदिरा उन्हें राजनीति में ले आईं. तब से शुरू हुआ उनका सियासी सफर जो आज तक जारी है.
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4 हजार वोटों से हार गए थे पहला चुनाव
साल 1977 में अशोक गहलोत ने अपना पहला चुनाव लड़ा था. वह जोधपुर की सरदारपुरा सीट से उम्मीदवार थे. यह इमरजेंसी के बाद का दौर था और जनता कांग्रेस के खिलाफ थी. पूरे देश में जनता पार्टी की लहर थी. यही वजह गहलोत के हार का कारण बनी. उनके सामने जनता पार्टी के माधो सिंह खड़े हुए थे. उन्होंने गहलोत को 4 हजार वोटों से हरा दिया था.
लगातार 5वीं बार इसी सीट से दर्ज की जीत
हालांकि पहले चुनाव में पराजित होने के बाद भी गहलोत ने हार नहीं मानी और इसी हार को सीढ़ियां बनाकर कामयाबी के शिखर चढ़े. 1999 में पहली बार विधायक बने थे और वह भी उसी सीट से जहां से वह अपना पहला चुनाव हारे थे. बाद में लगातार वह सरदारपुरा सीट से चुनाव जीतते रहे और इसी सीट को अपना गढ़ बना लिया. यही नहीं, साल 2018 में यहां से उन्होंने लगातार पांचवी बार जीत दर्ज की.
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1980 में बने पहली बार सांसद
गहलोत ने 1980 में पहली बार सांसद का चुनाव लड़ा. वह जोधपुर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे और जीते भी. बाद में उसी सीट से उन्होंने 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा का चुनाव भी जीता. अगर विधानसभा में उनके करियर की बात करें तो वह साल 1999 में पहली बार विधायक बने थे.
3 बार मुख्यमंत्री और 3 बार प्रदेशाध्यक्ष बन चुके हैं गहलोत
गहलोत सबसे पहले 1998 में मुख्यमंत्री चुने गए थे. इसके बाद राज्य में बीजेपी की सरकार बन गई, लेकिन जब 2008 के चुनाव में जब कांग्रेस की वापसी हुई तो एक बार फिर गहलोत को राज्य की कमान सौंपी गई. इसके बाद फिर राज्य में बीजेपी की सत्ता आ गई. 2018 में जब कांग्रेस फिर से सत्ता में लौटी तो फिर से उन्हें सीएम बनाया गया. हालांकि उस समय पार्टी में सचिन पायलट को सीएम पद के लिए मजबूत दावेदार माना जा रहा था, लेकिन राजनीति के जादूगर गहलोत कहां पीछे रहने वाले थे. उन्होंने अपने साथ निर्दलीय विधायकों को जोड़कर बहुमत पेश कर दिया और कांग्रेस आलाकमान को अपनी ताकत दिखाकर सीएम बन गए. इसके अलावा वह 3 बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
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