भरतपुर शहर से 51 साल बाद जाट प्रत्याशी को टिकट देगी बीजेपी, चुनाव से 6 महीने पहले ही कर दिया ऐलान

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BJP Rajasthan News: राजस्थान में इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस रणनीति बनाने में जुटी है. वहीं, भरतपुर शहर विधानसभा सीट को लेकर बीजेपी ने दावेदार को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी है. कांग्रेस में राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग भरतपुर सीट से वर्तमान में विधायक हैं. इस सीट पर सबसे ज्यादा करीब 75 हजार मतदाता जाट समुदाय के हैं. बावजूद इसके बीजेपी हो या कांग्रेस, किसी भी पार्टी ने इस सीट पर जाट समुदाय के व्यक्ति को टिकट नहीं दिया.

पिछले 20 साल से लगातार इस सीट पर ब्राह्मण समाज के लोग भाजपा-कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतते रहे हैं. वहीं, 20 साल से लगातार वैश्य समाज के लोग ही बीजेपी और कांग्रेस के टिकट पर लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. अब बीजेपी अपनी रणनीति में बदलाव करने जा रही है. 

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंद्रजीत भदौरिया सोमवार को भरतपुर पहुंचे. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में ऐसा नहीं होगा. हम इसलिए सोच रहे हैं कि सबसे ज्यादा जाट मतदाता होने के बावजूद भी भरतपुर शहर विधानसभा सीट से किसी जाट को बीजेपी ने टिकट अभी तक क्यों नहीं दिया. ऐसा बीच में कौन व्यक्ति था, जिसने जाट को टिकट नहीं देने दिया.

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सभी 7 सीटों पर होगी बीजेपी की जीत- बीजेपी प्रवक्ता
उन्होंने कहा कि जो पुरानी चीज है उनको खत्म कर दिया जाएगा और जाट समुदाय के व्यक्ति को ही शहर से टिकट दिया जाएगा. भदौरिया ने कहा कि जिले की सभी 7 विधानसभा सीटों को भाजपा जीत कर दिखाएगी. पार्टी के मजबूत कार्यकर्ताओं जमीन से जुड़े हुए लोगों को भाजपा की ओर से टिकट दिया जाएगा.

गौरतलब है कि यहां से साल 1972 में भरतपुर रियासत के अंतिम शासक महाराजा बृजेंद्र सिंह भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीते थे. उसके बाद आज तक दोनों पार्टियों ने इस समुदाय के व्यक्ति को टिकट नहीं दिया. 20 साल तक ब्राह्मण समुदाय के प्रत्याशी लगातार इस सीट पर विधायक रहे हैं. जबकि पिछले 20 वर्षों से लगातार वैश्य समाज के प्रत्याशी विधायक रहे हैं.

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पहलवानों के धरने पर भी रखी बात
वहीं, जंतर-मंतर पर धरना दे रहे महिला पहलवान को पुलिस हिरासत में लेने के मामले पर कहा कि पहले भी यह पहलवान धरना पर बैठे थे. तब मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसकी एक जांच कमेटी बैठाई थी, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही यह महिला पहलवान दोबारा धरने पर बैठ गए. धरने पर वह लोग भी देखे जा रहे हैं जो किसान आंदोलन में थे. इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए. सरकार तो पहले ही कह चुके हैं कि हम पहलवानों के साथ हैं.

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