संजीवनी क्रेडिट घोटाले में SOG ने मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को माना आरोपी, अब 30 मई को होगी सुनवाई

Ashok Sharma

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केंद्रीय मंत्री शेखावत संजीवनी मामले में बहस के लिए गहलोत को दी चुनौती
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 Sanjeevani Cooperative Society Scam: संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की गिरफ्तारी के रोक के बाद एसओजी के प्रार्थना पत्र को आज हाईकोर्ट जोधपुर ने स्वीकार कर लिया है. आरोप में घिरे केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान हाई कोर्ट जोधपुर से राहत मिलने के बाद एसओजी व राज्य सरकार सक्रिय हो गई थी और तत्काल हाईकोर्ट जोधपुर के आदेश में संशोधन के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया था. जिसे हाईकोर्ट ने आज स्वीकार कर लिया है.

हाईकोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी के सहयोगी पल्लव शर्मा की ओर से 13 अप्रैल के आदेश में संशोधन के लिए प्रार्थना पत्र पेश करने के साथ ही कहा गया है कि एसओजी की पूरी तथ्यात्मक रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर आरोप प्रमाणित है, लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी व सिद्धार्थ लूथरा ने पैरवी की तो तालमेल का अभाव रहा और ऐसे में यह रिपोर्ट राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के समक्ष उजागर नहीं हो पाई.

प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि एसओजी की तथ्यात्मक रिपोर्ट व केस डायरी में उजागर तत्वों को शामिल करें. इस प्रार्थना पत्र को आज हाईकोर्ट ने स्वीकार करते हुए कहा कि गिरफ्तारी पर रोक जारी रहेगी. वहीं इस मामले में 30 मई को सुनवाई होगी, अब पूर्व में जारी किए गए आदेश को संशोधित कर जारी किया जाएगा. वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी एवं सिद्धार्थ लूथरा ने वीसी के जरिए राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखा. वहीं अतिरिक्त महाधिवक्ता मय राजकीय अधिवक्ता अनिल जोशी रहे.

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न्यायालय में उपस्थित रहे तो एएसजी आरडी रस्तोगी भी वीसी के जरिए रहे उपस्थित रहे. वहीं याचिकाकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से किसी भी वकील ने उपस्थिति नहीं दी, कोर्ट में प्रार्थना पत्र में पेश की गई तथ्यात्मक रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम बतौर आरोपी शामिल किया गया है, रिपोर्ट में बताया कि गजेंद्र सिंह शेखावत एक कंपनी नवप्रभा बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड में 3 नवंबर 2005 से 10 मार्च 2014 तक डायरेक्टर पद पर रहे.

कंपनी के शेयर की वास्तविक मूल्यांकन दर 31 मार्च 2012 को लगभग 50 रुपए प्रति शेयर थी, गजेंद्र सिंह शेखावत, इन्दु डाकलिया, डूंगर सिंह, नारायण सिंह, महेन्द्र चन्द जैन, मीना जैन, नीरू जैन, सोनू बाहेती, अशोक राठौड़, उषा कंवर, खेम कंवर, विनोद कंवर एवं राजेन्द्र बाहेती ने शेयरों को 500 रुपए प्रति शेयर की दर से क्रय विक्रय किया, जो वास्तविक मूल्यांकन दर का लगभग दस गुणा है. रिपोर्ट में बेचे गए शेयरों का हवाला दिया गया है व एक अन्य संबंध का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि नवप्रभा ने वर्ष 2015 में भवन निर्माण के लिए आरएफसी से 20 करोड़ रुपए का ऋण लिया था.

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इस ऋण के गारन्टर विक्रम सिंह इंद्रोई, विनोद कंवर, उषा कंवर के साथ गजेंद्र सिंह शेखावत भी थे, जबकि उस समय वे न तो कंपनी के निदेशक थे और न ही शेयर धारक, ऋण पत्रावली में प्रस्तुत शपथ पत्र में गारन्टी के तौर पर उम्मेद हेरिटेज के एक भूखंड का हवाला दिया गया है, जिसमें आरोप है कि शेखावत और विक्रम सिंह राठौड का संयुक्त मालिकाना हक दिखाया गया था. एसओजी ने एक अन्य कंपनी ल्यूसिट फार्मा प्राइवेट लिमिटेड से जोड़ते हुए भी शेखावत के शेयरों के लेन-देन का उल्लेख किया है, अब मामले की सुनवाई 30 मई को होगी.

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