मेवाड़ रीजन में इस पार्टी की बल्ले-बल्ले, ताजा सर्वे के नतीजों ने कांग्रेस की बढ़ाई टेंशन!
BJP is winning in Mewar region: राजस्थान (rajasthan election 2023) में चुनाव की तरीख घोषित होने के बाद सबकी जुबां पर एक ही सवाल है- कौन जीत रहा है? चाय की थड़ी, गांव का नुक्कड़, खेत-खलिहान, बाजार-चौराहे हर जगह ये चर्चाएं आम हैं. इधर प्रत्याशियों की जारी लिस्ट और संभावित चर्चाओं ने एक अलग ही […]
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BJP is winning in Mewar region: राजस्थान (rajasthan election 2023) में चुनाव की तरीख घोषित होने के बाद सबकी जुबां पर एक ही सवाल है- कौन जीत रहा है? चाय की थड़ी, गांव का नुक्कड़, खेत-खलिहान, बाजार-चौराहे हर जगह ये चर्चाएं आम हैं. इधर प्रत्याशियों की जारी लिस्ट और संभावित चर्चाओं ने एक अलग ही सरगर्मी बढ़ा दी है. इन सबके बीच एक ताजा ओपिनियन पोल (opiniun poll of rajasthan 2023) सामने आया है.
इस ओपिनियन पोल में मेवाड़ की उदयपुर, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा- डूंगरपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद, सिरोही और भीलवाड़ा समेत करीब 44 सीटों पर सियासी गणित कुछ और कहानी कह रही है.
मेवाड़ में BJP ने पलटा पासा
ABP सी-वोटर के ताजा सर्वे में मेवाड़ रीजन की करीब 44 सीटों पर नतीजे सामने आए हैं. इनमें बीजेपी को जहां 45-39 सीटें मिलती दिख रही हैं वहीं कांग्रेस महज 3-7 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. अन्य के खाते में 0-2 सीटें आती हुई दिख रही हैं.
मेवाड़ में जिसकी ज्यादा सीटें उसकी सरकार
हम मेवाड़ रीजन की कोर 28 सीटों की चर्चा करें तो वर्ष 2003 में बीजेपी के खाते में 18 सीटें आई थीं और कांग्रेस को महज 5 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. बीजेपी जीती और सत्ता की चाबी बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे के हाथों में पकड़ाई गई. ये वही वक्त था जब गहलोत का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था. उनका काट बीजेपी के पास नहीं था. फिर महारानी को आगे कर बीजेपी ने राजस्थान की सियासत का पास पलटा.
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साल 2008 में कांग्रेस ने बाजी पलटी
मेवाड़ की धरती ने फिर तवे पर रोटी पलट दी. जैसा कि वहां कहावत प्रचलित है कि तवे की रोटी पलटते रहना चाहिए वरना वो कच्ची रह जाती है. इस बार इस रीजन में कांग्रेस ने 19 सीटों पर बाजी मारी और बीजेपी को 7 सीटों पर समेट दिया. इस बार सेहरा कांग्रेस के सिर सजा.
2013 में भी बीजेपी की सरकार
रियासतकालीन रीजन मेवाड़ की करीब 28 सीटों में से 25 पर बीजेपी ने बाजी मारी थी. 2 पर कांग्रेस और एक निर्दलीय के पास थी. खास बात ये है कि इनमें से 16 सीटें आदिवासी इलाकों वाली हैं. 2013 में बीजेपी बंपर वोटों से जीती और फिर राजे मुख्यमंत्री बनीं.
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2018 में परंपरा टूटी
वर्ष 2018 में मेवाड़ ने भले ही वोट बीजेपी को दिया पर प्रदेश की सियासत की बागडोर कांग्रेस के हाथों में गई. इस बार बीजेपी के खाते में 15 और कांग्रेस के हिस्से में 10 सीटें आईं. अन्य के पास 3 सीटें गईं. यहां तवे की रोटी पलटी जरूर पर मेवाड़ की जनता ने भाजपा विधायकों पर ही भरोसा जताया.
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