क्या राजस्थान में समय पर होंगे विधानसभा चुनाव? केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिया जवाब

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क्या राजस्थान में समय पर होंगे विधानसभा चुनाव? केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिया जवाब
क्या राजस्थान में समय पर होंगे विधानसभा चुनाव? केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिया जवाब
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One Nation, One Election: वन नेशन वन इलेक्शन (ONOE) को लेकर देशभर में हलचल तेज हो गई है. ऐसे में दिसंबर में राजस्थान होने वाले विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election 2023) को लेकर भी अलग-अलग कयास लगने शुरू हो गए थे. इसी बीच इंडिया टुडे से खास बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस पर जवाब दिया है. अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने आम चुनाव और विधानसभा चुनाव साथ होने की बात कही है.

हाल ही में लोकसभा और विधानसभाओं (Lok Sabha and Assembly Elections) को एक साथ कराए जाने को लेकर केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया है. यह समिति चुनावी प्रक्रिया का अध्ययन करेगी. वहीं सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र भी बुलाया है. इसी बीच केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार की आम चुनाव को पहले कराने की कोई योजना नहीं है और पीएम मोदी अपने कार्यकाल के आखिरी दिन तक भारत के नागरिकों की सेवा करना चाहेंगे.

आगामी विधानसभा चुनावों पर बोले अनुराग ठाकुर

केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने कहा कि सरकार ने एक राष्ट्र एक चुनाव पर एक समिति गठित की है और यह समिति वन नेशन वन इलेक्शन के मानदंडों को अंतिम रूप देने से पहले व्यापक विचार-विमर्श करेगी. वहीं मंत्री ने कहा कि सरकार की आगामी विधानसभा चुनावों को आम चुनावों के साथ कराने की कोई योजना नहीं है. ठाकुर ने चुनाव समय से पहले या देरी से होने की सभी बातों को मीडिया अनुमान कहकर खारिज कर दिया.

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राजस्थान विधानसभा चुनाव समय पर होंगे

वन नेशन वन इलेक्शन के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं होने लगी थी कि आगामी 5 विधानसभा चुनावों को आगे बढ़ाया जा सकता है. दिसंबर में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में होने वाले चुनाव को लेकर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्थिति साफ कर दी. उन्होंने ऐसी बातों से इनकार कर दिया. अब माना जा सकता है कि इस बार विधानसभा चुनाव तय समय पर ही होंगे और लगातार चल रहे कयासों पर विराम लग गया है.

एक साथ चुनाव कराने से क्या फायदा?

भारत में आजादी के बाद से 1967 तक एक साथ लोकसभा और विधानसभा होते आए हैं, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाओं को समय से पहले भंग कर दिया था. उसके बाद 1970 लोकसभा भी भंग कर दी गई थी. जिसके बाद देश में वन नेशन वन इलेक्शन नहीं हो सके. लेकिन अलग-अलग चुनाव होने से देश में कई चीजें पर असर पड़ने लगा. वहीं राजनीतिक जानकारों का कहना है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने से जनता का पैसा बचेगा. वहीं एक साथ चुनाव होने से चुनावों में लगने वाली प्रशासनिक मशीनरी का उपयोग विकास कार्यों में किया जा सकेगा.

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