CM गहलोत विधानसभा चुनाव की बजाय मिशन-2030 पर क्यों दे रहे हैं जोर? जानिए इसके मायने

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Ashok gehlot’s mission 2030: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot) ‘मिशन-2030’ अभियान के तहत 27 सिंतबर से 18 जिलों के 9 दिवसीय दौरे पर रहेंगे. जिसके तहत वह राजस्थान (rajasthan news) को एक मॉडल राज्य बनाने के लिए लोगों से सुझाव मांगेंगे. कांग्रेस (congress) सूत्रों ने बताया कि अपनी यात्रा के तहत गहलोत जयपुर, सीकर, चूरू, नागौर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, पाली, सिरोही, जालौर, राजसमंद, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और चित्तौड़गढ़ का दौरा करेंगे. यह अभियान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इस साल के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले हो रहा है.

गहलोत ने इसकी शुरुआत दोपहर 12 बजे यहां बिड़ला ऑडिटोरियम में एक सार्वजनिक बैठक से की. इस कार्यक्रम के तहत सभागार में वह ज्वैलर्स, रत्न व्यापारियों, ज्योतिषियों और कारीगरों के साथ बातचीत करेंगे. इसके बाद वह हेलीकॉप्टर से यहां चोमू शहर के लिए रवाना होंगे और वहां बागवानों से बातचीत करेंगे.

देवदर्शन के साथ मिशन का बिगुल फूकेंगे सीएम

खास बात यह है कि इस दौरान वह मंदिरों में दर्शन करने के साथ-साथ लोगों के साथ संवाद करेंगे. टाउन हॉल बैठकें, युवा संवाद, महिला सम्मेलन और सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करेंगे. इन यात्राओं का उद्देश्य जनता से जुड़ना, ‘मिशन-2030’ के दृष्टिकोण का प्रसार करना और राज्य के लोगों से सुझाव लेना है. ‘मिशन-2030’ गहलोत के दिमाग की उपज है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ‘मिशन-2030’ के तहत मुख्यमंत्री ने विकास विशेषज्ञों और नागरिकों के साथ गहन चर्चा करके 4.5 लाख से अधिक जानकारियां जुटाकर सुझाव एकत्र किए हैं. सरकार ने जन कल्याण ऐप के जरिए सुझाव मांगे हैं.

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यह पार्टी के सामुदायिक स्वयंसेवकों के माध्यम से घर-घर सर्वेक्षण कर रहा है और लोगों की आकांक्षाओं को समझने के लिए निबंध और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रहा है. जबकि ऑनलाइन और ऑफलाइन सर्वेक्षणों के माध्यम से 45 लाख से अधिक नागरिकों के 74 लाख से अधिक सुझावों के माध्यम से सार्वजनिक इनपुट एकत्र किए गए.

ERCP था मुद्दा, आलाकमान के चलते स्थगित

इससे पहले कांग्रेस ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग के लिए पूर्वी राजस्थान में 5 दिवसीय यात्रा निकालने की योजना बनाई थी. हालांकि पार्टी ने इसे स्थगित कर दिया और अब आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने के बाद यात्रा निकाली जाएगी.  

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चौथी बार ताजपोशी का रास्ता साफ कर रहे CM

इस पूरे मिशन के पीछे कई वजहें बताई जा रही है. कयास लगाए जा रहे हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी जिस तरह से पहले मिशन-2022 का जिक्र करते आए हैं और मिशन-2047 के तहत विकसित राष्ट्र के सपने का जिक्र अपने भाषण में करते हैं. ठीक वैसे ही सीएम गहलोत ने भी राजस्थान को विकास के मामले में देश में नंबर वन राज्य बनाने के लिए मिशन-2030 का लक्ष्य रखा है. इस तरह से राज्य के लोगों को यह सपना दिखा रहे हैं कि 2030 में राजस्थान विकास में सारे राज्यों को पीछे छोड़ देगा.

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यह बात कह कर अशोक गहलोत 2023 के विधानसभा चुनाव में ही जनादेश हासिल नहीं करना चाहते हैं, बल्कि 2028 के चुनाव का टारगेट लेकर चल रहे हैं. इस तरह से गहलोत ना सिर्फ कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने की दिशा में सक्रिय होंगे, बल्कि सचिन पायलट को भी पीछे छोड़ सकते हैं.

बीजेपी की परिवर्तन यात्रा का जवाब?

वहीं, इस बीच इसे बीजेपी की परिवर्तन यात्रा से भी जोड़कर देखा जा रहा है. पार्टी ने सियासी माहौल बनाने के लिए चार परिवर्तन यात्रा शुरू की थी. जिसका समापन पीएम मोदी ने 25 सिंतबर को जयपुर में किया. इस यात्रा में बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने सिर्फ शिरकत ही नहीं किया, बल्कि यात्राओं के दौरान महिला अपराध, भ्रष्टाचार और हिंदुत्व से जुड़े मुद्दे को उठाया. जिसके जरिए गहलोत सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को भुनाने की कोशिश भी हुई. इसी नैरेटिव को तोड़ने के लिए अब सीएम अशोक गहलोत खुद सूबे की जमीन पर उतर गए हैं. गहलोत ने मिशन 2023 के तहत यात्रा निकालने का फैसला किया है.

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