आज कैबिनेट बैठक में गहलोत खेलेंगे बड़ा दांव! पायलट के गढ़ को साधने की भी होगी कोशिश?

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CM गहलोत का बड़ा तोहफा, वोल्वो समेत रोडवेज की सभी बसों में महिलाओं का किराया लगेगा आधा
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Ashok Gehlot govt’s cabinet meeting: इस साल के विधानसभा चुनाव (assembly election) में हर बार सत्ता बदलने का रिवाज को तोड़ने के लिए कांग्रेस (congress) में रणनीति पर काम हो रहा है. वहीं, सूबे के मुखिया अशोक गहलोत (ashok gehlot) भी नए दांव खेलकर बीजेपी समेत तमाम राजनीतिक दलों को चौंकाने से भी पीछे नहीं हैं. अब एक बार फिर गहलोत प्रदेशवासियों को बड़ी सौगात देने जा रहे हैं. 20 सितंबर यानी आज दोपहर 2 बजे कैबिनेट बैठक होगी. जिसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जाने की संभावना है.

संभावना जताई जा रही है कि सीएम गहलोत संविदा कर्मचारियों को बड़ी सौगात देते हुए उनके नियमितीकरण की दिशा में अहम फैसला ले सकते हैं. वहीं, ईस्टर्न राजस्थान कैनाल योजना (ERCP) को लेकर भी राज्य फंड जारी किया जा सकता है.

अगर ऐसा होता है तो चुनाव से ठीक कुछ महीने पहले कांग्रेस बड़ी बढ़त ले जाएगी. इसके पीछे वजह यह है कि संविदा कर्मचारियों की संख्या जहां 1 लाख से भी ज्यादा है, वहीं, पूर्वी राजस्थान के लिए ईआरसीपी अहम मुद्दा है. दरअसल, इसी साल संविदा कर्मचारियों के संगठन ने प्रदेश में एक लाख 10 हजार से ज्यादा संविदाकर्मी नियमितीकरण की मांग उठाई थी. जिसे लेकर पिछले कुछ समय से अनशन से लेकर आंदोलन की गूंज सुनाई दी है.

OPS के बाद एक और बड़ा दांव!

इन कर्मचारियों के संगठन का कहना है कि सरकार की तरफ से ‘राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स-2022’ के अंतर्गत कोई भी अनुभव गणना करने और नियमितीकरण का सर्कुलर जारी नहीं किया है. इससे संविदा कर्मियों में काफी गुस्सा है. ऐसे में विधानसभा चुनाव में कर्मचारियों को साधने के लिए गहलोत सरकार दांव खेल सकती है. यह बात इसलिए भी क्योंकि मुख्यमंत्री की ओल्ड पेंशन स्कीम की घोषणा के बाद कांग्रेस के चुनावी पोस्टर में OPS को भी जोरो-शोरों से प्रचारित किया जा रहा है.

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IAS पैटर्न हटाने की भी है मांग

हालांकि संविदाकर्मी नियमतीकरण को लेकर IAS पैटर्न हटाने की मांग करते आए हैं. उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से 10 प्रतिशत ही संविदा कर्मी नियमित हो पाएंगे. दरअसल, बजट घोषणा में आईएएस पैटर्न के आधार पर 3 साल का कार्य अनुभव सिर्फ 1 साल जोड़ा जाता है. ऐसे में पिछले 15 साल से जो कर्मचारी काम कर रहे है. उनका कार्य अनुभव इस फैसले के बाद महज 5 साल हो जाएगा. इसलिए सरकार से मांग करते है कि नियमित करने के लिए आईएएस पैटर्न को हटाया जाए.

पायलट के गढ़ को गहलोत की सौगात!

वहीं, खास बात यह भी है कि जिस तरह से ERCP को लेकर कांग्रेस सियासत कर रही है. उससे साफ है कि वह बीजेपी को पटखनी देने के लिए पूर्वी राजस्थान में दमखम से उतरेगी. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के गढ़ में बीजेपी जहां अपनी खोई हुई जमीन तलाश रही है. वहीं, गहलोत भी मीणा-गुर्जर बाहुल्य वाले इस इलाके में गर्वनेंस मॉडल के जरिए वोट बैंक को साधना चाह रहे हैं.

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शेखावत को घेरने के लिए गहलोत के पास सियासी मुद्दा

बता दें कि ईस्टर्न राजस्थान कैनाल योजना की घोषणा 2017-2018 के बजट में तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने की थी. जानकारों के अनुसार ईआरसीपी परियोजना के जरिए झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी , सवाई माधोपुर जैसे 13 जिलों की सिंचाई और पानी की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. इस योजना के लिए मुख्यमंत्री पिछले दो साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को कई पत्र लिख चुके हैं.

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शेखावत पर तीखे वार करने वाले गहलोत इस मुद्दे पर भी कई बार जलशक्ति मंत्री को आड़े हाथ ले चुके हैं. उन्होंने कई बार आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय ने राजस्थान सरकार को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का काम रोकने के लिए कहा है. साथ ही कहा कि हमारी सरकार ने ईआरसीपी के लिए 9,600 का बजट राज्य कोष से जारी किया है.

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